नई दिल्ली: सेंट्रल बोर्ड ऑफ फिल्म सर्टिफिकेशन (CBFC) से लंबी और मुश्किल लड़ाई के बाद, अजेय: द अनटोल्ड स्टोरी ऑफ ए योगी, जो उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन पर आधारित है, आखिरकार सिनेमाघरों में रिलीज होने जा रही है. फिल्म सेंसरशिप विवाद में फंसी रही क्योंकि CBFC ने इसे मंजूरी देने से इनकार कर दिया था और कहा था कि पहले मेकर्स यूपी सीएम के दफ्तर से अनापत्ति प्रमाण पत्र (NOC) लें.
अब 19 सितंबर को रिलीज होने जा रही अजेय शांतनु गुप्ता की किताब द मॉन्क हू बिकेम चीफ मिनिस्टर पर आधारित है और इसमें आनंद जोशी योगी आदित्यनाथ का किरदार निभा रहे हैं.
फिल्म के डायरेक्टर रविंद्र गौतम ने दिप्रिंट से हंसते हुए कहा, “यह कोई राजनीतिक फिल्म नहीं है. इसमें बुलडोज़र नहीं है.” उन्होंने बताया कि उनका मकसद प्रेरणादायक फिल्म बनाना था, न कि कोई भेदभाव फैलाने वाली. फिल्म में हिंदू युवा वाहिनी का जिक्र भी नहीं है, जबकि किताब में इसका जिक्र मौजूद है.
करीब चार महीने चली इस कानूनी लड़ाई में CBFC ने पहले फिल्म को सर्टिफिकेट देने से मना कर दिया और आखिरकार 29 कट लगाने का आदेश दिया.
4 सितंबर को रिलीज हुए फिल्म के ट्रेलर में दिखाया गया है कि किस तरह उत्तराखंड में जन्मे मध्यमवर्गीय परिवार के एक युवक अजय सिंह बिष्ट, साधु बनकर भारत के सबसे बड़े राज्य के मुख्यमंत्री बन जाते हैं. फिल्म का नाम सीएम के सन्यास से पहले के नाम से लिया गया है.

“सिनेमैटोग्राफ एक्ट 1952 में कहीं नहीं लिखा है कि फिल्ममेकर को NOC लेना पड़ेगा. यह असंवैधानिक है और कोर्ट ने भी कहा कि जब हमारे पास किताब के अधिकार हैं, तो इसकी ज़रूरत नहीं है. बोर्ड ने मेरी फिल्म बिना देखे ही खारिज कर दी थी,” गौतम ने कहा.
25 अगस्त को जस्टिस रेवती मोहिता डेरे और नील गोकले की डिवीजन बेंच ने फिल्म को कोर्ट में देखकर रिलीज की अनुमति दी. कोर्ट ने कहा, “इसमें कोई अश्लीलता नहीं है. बिल्कुल भी नहीं. आजकल के ओटीटी स्टैंडर्ड्स को देखते हुए भी यह बहुत हल्की फिल्म है.”
एक ‘मानवीय’ फिल्म
गौतम, जिन्होंने सोनी लिव की पॉलिटिकल ड्रामा महारानी का दूसरा सीजन डायरेक्ट किया है, लखनऊ में पढ़े हैं और उन्होंने छात्र चुनावों को करीब से देखा है, जिससे इस विषय में उनकी रुचि बनी.
महारानी 1990 के दशक में बिहार में घटी घटनाओं पर आधारित है, जब तत्कालीन मुख्यमंत्री लालू प्रसाद यादव ने अपनी पत्नी राबड़ी देवी को अपना उत्तराधिकारी बनाया था.
गौतम ने कहा, “मेरा फोकस उस व्यक्ति पर होता है जो पब्लिक इमेज से परे है. महारानी को सभी ने पॉलिटिकल स्टोरी के तौर पर देखा, लेकिन मैंने इसे पति-पत्नी की कहानी की तरह देखा. अजेय के लिए भी यह 22 साल के उस लड़के की कहानी थी, जो कहीं दूर पैदा हुआ और जिसकी कोई राजनीतिक पृष्ठभूमि नहीं थी.”
योगी आदित्यनाथ ने उत्तराखंड के हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल यूनिवर्सिटी (HNBGU) से साइंस में ग्रेजुएशन किया, और 1990 के दशक में राम मंदिर आंदोलन से जुड़ने के लिए घर छोड़ दिया. वे गोरखनाथ मंदिर के महंत अवैद्यनाथ के शिष्य बने.
2014 में अवैद्यनाथ के निधन के बाद योगी आदित्यनाथ ने गोरखनाथ मठ की कमान संभाली, जिस पर वे आज भी हैं. अपने गुरु के निर्देश पर वे 1998 में राजनीति में आए और 26 साल की उम्र में गोरखपुर से सबसे युवा लोकसभा सांसद बने. इसके बाद लगातार पांच बार चुनाव जीते और 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने.
“आपको इंसान को मानवीय रूप में दिखाना होगा. अगर आप उन्हें भगवान जैसा दिखाएंगे, तो लोग ताली तो बजाएंगे लेकिन जुड़ नहीं पाएंगे. यह बहुत भावनात्मक फिल्म है,” फिल्म के सह-लेखक दिलीप झा ने कहा, जिन्होंने प्रियंक दुबे के साथ मिलकर इसे लिखा है.
फिल्म की शूटिंग लखनऊ, गोरखपुर, उत्तराखंड और मुंबई में हुई, जिसमें आदित्यनाथ के जीवन की अहम घटनाओं को दिखाया गया है.
झा के लिए आकर्षण यह था कि कैसे एक युवा, जो अपने परिवार से गहराई से जुड़ा था, सब कुछ छोड़कर साधु बन गया.
“अगर उसका व्यक्तित्व ग्लैमरस है, तो उसे ग्लैमरस दिखाओ. अगर वह अंतर्मुखी है, तो उसे कम बोलने दो. यही मेरा बायोपिक लिखने का सिद्धांत है,” झा ने कहा, जिन्होंने एम.एस. धोनी: द अनटोल्ड स्टोरी (2016) की पटकथा भी लिखी थी, जो भारतीय क्रिकेट टीम के पूर्व कप्तान महेंद्र सिंह धोनी के जीवन पर आधारित है.
अजेय के लिए रिसर्च करने की अपनी यात्रा में, झा को मुख्यमंत्री के कई पहलुओं के बारे में पता चला, जिन्होंने फिल्म में उनके व्यक्तित्व को मानवीय रूप देने में मदद की.
लेखक ने कहा, “मैं उनकी बहन के परिवार और कॉलेज के दोस्तों से मिला और उनके बारे में बहुत कुछ जाना. उन्हें दूध वाली कॉफी बहुत पसंद है और वे हमेशा इसके कई कप पीते थे, आज भी. उन्हें काले चश्मे पहनना भी पसंद है, जो उन्होंने अपने पिता को देखा था, जो फॉरेस्ट रेंजर थे और अक्सर पहनते थे.”
परिवर्तन का वाहक
जब योगी आदित्यनाथ 2017 में उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने, तो एक साधु के राजनीतिक शख्सियत बनने को लेकर बहसें फिर से शुरू हो गईं. लेकिन झा के लिए यह चर्चा या बहस का विषय नहीं है.
“वह उत्तर प्रदेश के स्थानीय गुंडों के खिलाफ सख्त हैं. उन्होंने खुद भी इसका सामना किया है और इसी वजह से उनकी सरकार इसके खिलाफ है. और यह हमारी फिल्म की शूटिंग के अनुभव में भी दिखा,” गौतम ने कहा.
उन्होंने बताया कि आदित्यनाथ के सत्ता में आने के बाद फिल्मों की शूटिंग करने के तरीके में बड़ा बदलाव आया है.
“पहले हमें अपनी महिला साथियों के लिए चिंता होती थी कि उन्हें परेशान किया जाएगा, या कोई स्थानीय गुंडा अपने इलाके में शूटिंग के लिए पैसे मांगेगा. अब कोई हिम्मत नहीं करता. मेरी भतीजियां और रिश्तेदार, जो उत्तर प्रदेश में रहते हैं, शाम को बाहर निकलने में सुरक्षित महसूस करते हैं,” गौतम ने कहा.
हालांकि झा और गौतम ने फिल्म बनाने या रिसर्च करने के दौरान मुख्यमंत्री से मुलाकात नहीं की.

“किताब की जानकारी और हमारी यात्राएं — उनके जन्मस्थान से लेकर कॉलेज तक, उनके दोस्तों और परिवार से मुलाकात — हमें फिल्म बनाने के लिए सब कुछ दे गईं,” झा ने कहा.
फिल्म की यात्रा 2022 में शुरू हुई, जब शांतनु गुप्ता एक कार्यक्रम के लिए अमेरिका गए और वहां अभिनेता अजय मेंगी और प्रोड्यूसर रितु मेंगी से मिले. दोनों ने सम्राट सिनेमैटिक्स की शुरुआत की, जिसके बैनर तले यह फिल्म रिलीज होगी.
लेकिन CBFC के साथ विवाद के बाद, वे निराश हो गए.
“वे सोच रहे हैं कि वापस अमेरिका लौट जाएं, क्योंकि फिल्म रिलीज कराने के अनुभव ने उन्हें हतोत्साहित कर दिया,” गौतम ने कहा.
फिलहाल, प्रोड्यूसर्स, राइटर्स और डायरेक्टर रिलीज की तैयारी में जुटे हैं.
“मैं गारंटी देता हूं कि जब आप फिल्म देखने जाएंगे, तो आपको सुखद आश्चर्य होगा. यह वैसी नहीं होगी जैसी आप योगी आदित्यनाथ पर बनी फिल्म से उम्मीद करेंगे,” झा ने कहा.
“योगी हमेशा से राजनीति में मौजूद रहे हैं. चाणक्य को देखिए — यह कोई असामान्य बात नहीं है कि कोई साधु राजनीति में है,” झा ने कहा. अपनी पटकथा में उन्होंने आदित्यनाथ और उनके गुरु व राजनीतिक मार्गदर्शक अवैद्यनाथ के रिश्ते पर भी ध्यान दिया है, जिसे परेश रावल ने निभाया है.
एक और अहम पहलू आदित्यनाथ का महिलाओं को सुरक्षित समाज दिलाने का लगातार संघर्ष है. झा और गौतम ने पाया कि मुख्यमंत्री ने महिलाओं के अधिकारों के लिए संघर्ष कॉलेज के दिनों से ही शुरू कर दिया था.
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