scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमसमाज-संस्कृतिजम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों में दूसरी शादी करने का बढ़ता चलन, सरकार ने दी चेतावनी

जम्मू-कश्मीर में सरकारी कर्मचारियों में दूसरी शादी करने का बढ़ता चलन, सरकार ने दी चेतावनी

जम्मू कश्मीर के 1973 के सरकारी सेवा आचरण कानून की धारा 22 साफतौर पर कहती है कि सरकारी कर्मचारी पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी नही कर सकता और यह कानून सभी धर्मों से जुड़े कर्मचारियों पर लागू होता है.

Text Size:

जम्मू: जम्मू-कश्मीर में शादीशुदा सरकारी कर्मचारियों में इन दिनों दूसरी शादी को लेकर बढ़ती प्रवृत्ति को लेकर राज्य सरकार परेशान है. राज्य सरकार के विभिन्न विभाग अपने कर्मचारियों को दूसरी शादी करने को लेकर चेतावनी भी जारी कर रहे हैं. पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने के अधिकतर मामले मुस्लिम समुदाय से जुड़े हुए हैं.

सरकारी कर्मचारियों द्वारा पहली पत्नी व बच्चों के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेने की बढ़ती शिकायतों को देखते हुए राज्य सरकार के विभिन्न विभागों द्वारा बक़ायदा सर्कुलर निकाल कर कर्मचारियों से कहा गया है कि जम्मू कश्मीर सरकारी सेवा आचरण कानून की शर्तों के मुताबिक़ पहली पत्नी के स्वस्थ व जिवित रहते दूसरी शादी नही की जा सकती. सर्कुलर में कहा गया है कि अगर कोई सरकारी कर्मचारी विशेष परिस्थितियों में दूसरी शादी करना चाहता है तो उसे पहले बक़ायदा सरकार से अनुमति लेनी होगी.

ऐसा ही एक सर्कुलर जारी करने वाले पीएचई विभाग के चीफ़ इंजीनियर (कश्मीर) अब्दुल वाहिद का कहना है कि आए दिन उनके दफ़्तर में कई महिलाएं अपने बच्चों को लेकर आती हैं. उन्होंने बताया कि इन महिलाओं को पीएचई विभाग में काम करने वाले उनके पतियों ने बच्चों सहित बेसहारा छोड़ कर गैरकानूनी ढ़ग से दूसरी शादी कर ली होती है. अब्दुल वाहिद का कहना है कि यह एक बहुत बड़ी समस्या है और इससे विभाग की बदनामी हो रही है.

पीएचई विभाग के चीफ़ इंजीनियर (कश्मीर) अब्दुल वाहिद ने अपने विभाग के कर्मचारियों के लिए गत 29 जून 2019 को सर्कुलर जारी किया है जिसमें कर्मचारियों को दूसरी शादी करने को लेकर चेताया गया है.

राज्य के मुस्लिम समाज में नही दूसरी शादी की रिवाज़

मुस्लिम बहुल राज्य होने के बावजूद जम्मू कश्मीर के मुस्लिम समाज में इस तरह की कहानियां पूरी तरह से नई हैं. आमतौर पर जम्मू कश्मीर के मुस्लिम समुदाय में दूसरी शादी की प्रथा न के बराबर रही है और दूसरी शादी करना राज्य के मुस्लिम समुदाय में किसी भी तरह से अच्छा नही माना जाता रहा है.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

लेकिन हाल के वर्षों में राज्य में दूसरी शादी का प्रचलन बढ़ा है, मुस्लिम समाज में यह एक बड़ा और नया बदलाव है. इसे समाज में तेजी से नैतिक मुल्यों में हो रही गिरावट के रूप में देखा जा रहा है.

अधिकतर मामले सरकारी कर्मचारियों के

हालांकि, दिलचस्प और महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि आज भी आम लोगों के मुकाबले दूसरी शादी किए जाने के अधिकतर मामलों से सरकारी कर्मचारी ही जुड़े हुए हैं. अभी तक यही देखने में आया है कि पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने वालों में अधिकतर सरकारी कर्मचारी ही शामिल हैं और इन्ही सरकारी कर्मचारियों के खिलाफ शिकायते सामने आ रही हैं. कोई ठोस आंकड़ा तो उपलब्ध नही है मगर देखने में आया है कि सरकारी कर्मचारियों में दूसरी शादी करना एक ‘फ़ैशन’ बनता जा रहा है. इन सरकारी कर्मचारियों में ज़्यादातर इंजीनियरों, अध्यापकों, डॉक्टरों के अलावा राजस्व, शिक्षा विभाग और यहां तक की पुलिस से जुड़े सरकारी कर्मचारी शामिल हैं.

गत कुछ वर्षों से ही राज्य सरकार के पास सरकारी कर्मचारियों द्वारा पहले से ही पत्नी-परिवार के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेने की शिकायतें सामने आना शुरू हुई हैं. इन लगातार बढ़ती शिकायतों को देखते हुए ही राज्य सरकार के विभिन्न विभाग अपने कर्मचारियों को दूसरी शादी करने को लेकर चेतावनी देने को मजबूर हुए हैं. हालांकि, ऐसी भी शिकायतें सामने आई हैं कि कई विभागाध्यक्ष और बड़े अधिकारी भी दूसरी शादी कर चुके हैं.

वरिष्ठ पत्रकार बशीर मंज़र कहते हैं कि समाज के समक्ष यह एक नई समस्या उभर रही है. बशीर मंज़र का कहना है कि राज्य के मुस्लिम समाज में दूसरी शादी को कभी भी सामाजिक मान्यता नही मिली है और दूसरी शादी को कभी भी अच्छी नज़र से नही देखा गया है. लेकिन अब देखने में आ रहा है कि सरकारी कर्मचारी पहली पत्नी को दूर गांव में छोड़ देते हैं और शहरों में दूसरी शादी कर लेते हैं.

अंग्रेज़ी दैनिक ‘कश्मीर इमेजिस’ के मुख्य संपादक बशीर मंज़र बताते हैं कि उन्होंने 60 वर्ष के अपने जीवन काल में सिर्फ अपने गांव में ही एक व्यक्ति द्वारा दूसरी शादी करने के बारे में सुना है.

jammu-kashmir-circular
जम्मू कश्मीर सरकार के कई विभाग दूसरी शादी को लेकर सर्कुलर जारी कर रहे हैं

बशीर कहते हैं कि राज्य के सरकारी कर्मचारियों में पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी करने की बढ़ती प्रवृति चिंतनीय है. वे मानते हैं कि सरकारी कर्मचारियों के आर्थिक रूप से सुरक्षित जीवन को लेकर महिलाओं में विशेष आकर्षण रहता है, जिस वजह से यह जानते हुए भी कि व्यक्ति शादीशुदा है महिलाएं दूसरी शादी के लिए हामी भर रही हैं. बशीर का कहना है कि इस तरह की शादियां क्यों हो रही है, इस पर गंभीर मंथन की ज़रूरत है.

जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय के वरिष्ठ वकील शेख शकील अहमद दूसरी शादी की बढ़ती प्रवृति के पीछे भ्रष्टाचार को प्रमुख वजह मानते हैं. शकील का कहना है कि कुछ सरकारी कर्मचारियों के पास भ्रष्टाचार से इकट्ठे की गई बेशुमार दौलत और विलासता ने इस तरह की कुरीतियों को जन्म दिया है, जिससे विवाह जैसी पवित्र संस्था बर्बाद हो रही है.
जम्मू कश्मीर की एक मुखर आवाज़, शेख शकील अहमद का कहना है कि सरकारी कर्मचारियों में दूसरी शादी को लेकर बढ़ती प्रवृत्ति के पीछे समाज कम और सरकार अधिक दोषी है.

उनका कहना है कि जम्मू कश्मीर के 1973 के सरकारी सेवा आचरण कानून की धारा 22 साफतौर पर कहती है कि सरकारी कर्मचारी पहली पत्नी के रहते दूसरी शादी नही कर सकता और यह कानून सभी धर्मों से जुड़े कर्मचारियों पर लागू होता है. उन्होंने बताया कि इस कानून के तहत जम्मू कश्मीर उच्च न्यायालय दो सरकारी कर्मचारियों को सरकारी नौकरी से निष्कासित भी कर चुका है.

शेख शकील का कहना है कि सरकार को दूसरी शादी करने वाले कर्मचारियों के खिलाफ कड़ी कार्यवाही कर कड़ा संदेश देना चाहिए. शेख शकील अहमद बताते हैं कि वकील होने के नाते उनके पास तलाक़ को लेकर आने वाले मामलों में 80 प्रतिशत मामले सरकारी कर्मचारियों या अधिकारियों से ही जुड़े हुए हैं.

आए दिन सामने आ रहे इस तरह के मामले

बिजली विभाग के चीफ़ इंजीनियर के कार्यालय में सुबह से बैठी हुई अज़रा बेगम (नाम बदला हुआ) अपनी आठ साल की बेटी के साथ अपने पति की शिकायत लेकर आई है. अज़रा (बदला हुआ नाम) के पति जम्मू कश्मीर पावर डेवलपमेंट विभाग में जूनियर इंजीनियर है. लगभग दो साल पहले जब अज़रा के पति जावेद का तबादला किश्तवाड़ ज़िले से लगभग 240 किलोमीटर दूर राज्य के रियासी ज़िले के अति दुर्गम पर्वतीय क्षेत्र माहौर में हुआ तो उसने ख़्वाब में भी नही सोचा था कि उसके पति जावेद (बदला हुआ नाम) का यह तबादला उसकी ज़िंदगी बदलने जा रहा है.

जावेद तबादला होने पर अपनी पत्नी पत्नी व बेटी को किश्तवाड़ में ही छोड़ माहौर चला गया. माहौर जाने के कुछ दिनों बाद अज़रा के पति जावेद ने दूसरी शादी कर ली. लगभग एक साल बाद जब अज़रा को इस दूसरी शादी का पता चला तो उसके पांव तले से ज़मीन निकल गई.


यह भी पढें:अंतर्राष्ट्रीय शरणार्थी दिवस: आज तक जम्मू कश्मीर के लाखों लोगों को नहीं माना गया ‘शरणार्थी’


पति द्वारा दूसरी शादी कर लेने का पता अज़रा को उस समय लगा जब उसके पति ने आना-जाना कम कर दिया और हर महीने पैसे भेजना भी कम कर दिए. बाद में अज़रा को यह भी पता चला कि जावेद ने खुद सिफ़ारिश से अपना तबादला किश्तवाड़ से माहौर करवाया था ताकि आराम से दूसरी शादी कर सके.

हैरान-परेशान अज़रा अब अपनी बेटी को लेकर किश्तवाड़ से दूर जम्मू में चीफ़ इंजीनियर के कार्यालय में भटक रही है.

अज़रा से ही मिलता-जुलता एक मामला कश्मीर घाटी के कुपवाड़ा क्षेत्र के रहने वाले सिंचाई विभाग के एक इंजीनियर का है. छोटी उम्र में ही ज़हीर (बदला हुआ नाम) की शादी सईदा (बदला हुआ नाम) से हो गई.

बाद में ‘तरक़्क़ी’ करता हुआ ज़हीर सिंचाई विभाग में बेहद ‘ताकतवर’ इंजीनियर बन गया और श्रीनगर जैसे बड़े शहर में एक अलीशान घर का मालिक भी बन बैठा. लेकिन तरक़्क़ी और शोहरत के इस सफ़र में ज़हीर ने दूर कुपवाड़ा में बैठी अपनी पत्नी और बच्चों को भुला दिया व श्रीनगर में दूसरी शादी कर ली.

हिन्दू कर्मचारियों के खिलाफ भी शिकायतें

राज्य सरकार को पहली पत्नी व परिवार के होते हुए भी दूसरी शादी कर लेने की शिकायत केवल मुस्लिम समुदाय से ही नही मिल रही हैं. सूत्रों के अनुसार राज्य सरकार के विभिन्न विभागों के पास कई हिन्दू कर्मचारियों व अधिकारियों द्वारा दूसरी शादी कर लेने की शिकायतें भी पहुंची हैं. ऐसी लगभग 50 शिकायतें सरकार के पास विचाराधीन हैं.

(लेखक जम्मू कश्मीर के वरिष्ठ पत्रकार हैं)

share & View comments