scorecardresearch
Saturday, 4 May, 2024
होमसमाज-संस्कृतिलड़खड़ाती हुई ‘लस्ट स्टोरीज 2’, प्यार नहीं वासना की कहानियां कहती है

लड़खड़ाती हुई ‘लस्ट स्टोरीज 2’, प्यार नहीं वासना की कहानियां कहती है

अब नेटफ्लिक्स पर ‘लस्ट स्टोरीज 2’ आई है. इस फिल्म में भी चार अलग-अलग कहानियां हैं जिन्हें चार अलग-अलग निर्देशकों ने बनाया है.

Text Size:

ओ.टी.टी. की आवक ने भारतीय सिनेमा की तस्वीर बदलने का काम तो किया ही है. जहां एक तरफ कम बजट में बनी अलहदा किस्म की कहानियों को मंच मिलने लगे हैं वहीं ऐसे विषयों का सहारा भी ओ.टी.टी. ही है जो सिनेमाघरों में नहीं आ सकते. ऐसे कथित ‘वर्जित’ विषयों में सबसे ऊपर है वासना. 2018 में जब नेटफ्लिक्स पर ‘लस्ट स्टोरीज’ नाम की फिल्म में चार अलग-अलग कहानियां बुन कर आई थीं तो उन दिनों ओ.टी.टी. खास लोकप्रिय नहीं था.

लेकिन इस फिल्म और इन कहानियों को खूब देखा गया, सराहा गया. अनुराग कश्यम, जोया अख्तर, दिवाकर बैनर्जी और करण जौहर जैसे नामी निर्देशकों की बनाई इन चार कहानियों में मुख्य तत्व वासना ही था. वैसे भी ‘प्यार’ के इर्दगिर्द तो बहुत कुछ बना-बुना गया लेकिन इंसानी जीवन का यह वाला पहलू तो अक्सर अनकहा, अनसुना ही रह गया.

अब नेटफ्लिक्स पर ‘लस्ट स्टोरीज 2’ आई है. इस फिल्म में भी चार अलग-अलग कहानियां हैं जिन्हें चार अलग-अलग निर्देशकों ने बनाया है. आर. बाल्की निर्देशित कहानी में शादी करने जा रहे एक जोड़े को लड़की की दादी शादी से पहले ‘टैस्ट ड्राइव’ करने की सलाह दे रही है- यह कह कर कि बाद में पछताने से तो बेहतर है कि अभी एक-दूसरे को परख लो. स्त्री-पुरुष के आपसी संबंधों में जिस्मानी संतुष्टि की अनिवार्यता पर बल देती यह फिल्म कुछ असरदार बातें जरूर कर जाती है लेकिन यह कहानी पूरी तरह से असरदार नहीं बन पाई है. नीना गुप्ता दादी के रोल में जंची हैं और मृणाल ठाकुर मोहक लगीं.

कोंकणा सेन शर्मा की बनाई कहानी में एक अकेली औरत और उसके घर में काम करने वाली बाई के आपसी रिश्ते हैं. ये दोनों एक-दूसरे से दूर हैं लेकिन एक-दूसरे के अंतरंग पलों से वाकिफ भी. बीच राह में भटकी और अंत में संभल गई यह कहानी ही इस फिल्म की इकलौती उम्दा कहानी है और इसकी वजह भी कोंकणा का सधा हुआ निर्देशन व तिलोत्तमा शोम व अमृता सुभाष का प्रभावी अभिनय है.

‘बधाई हो’ जैसी शानदार फिल्म बना चुके अमित रवींद्रनाथ शर्मा की कहानी में विजय को कहीं जाते हुए एक गांव में अचानक उसकी पत्नी मिल जाती है. वह पत्नी जो दस साल पहले न जाने कहां गुम हो गई थी. वह बार-बार उसे वहां से जाने को कहती है लेकिन विजय नहीं जाता. अंत में जब बात खुलती है तो पता चलता है कि कहानी असल में कुछ और ही है. इस कहानी में विजय वर्मा और तमन्ना भाटिया का अभिनय भले ही असरदार हो लेकिन यह कहानी अपना असर नहीं छोड़ पाती.

अच्छी पत्रकारिता मायने रखती है, संकटकाल में तो और भी अधिक

दिप्रिंट आपके लिए ले कर आता है कहानियां जो आपको पढ़नी चाहिए, वो भी वहां से जहां वे हो रही हैं

हम इसे तभी जारी रख सकते हैं अगर आप हमारी रिपोर्टिंग, लेखन और तस्वीरों के लिए हमारा सहयोग करें.

अभी सब्सक्राइब करें

सुजॉय घोष की कहानी में एक सुदूर गांव में बने महल में बीते दिनों के राजा और वेश्यालय से लाई गई उसकी पत्नी अपने बेटे के साथ रहते हैं. राजा बेहद कामुक है. पत्नी उसे सबक सिखाना चाहती है लेकिन…!

यह कहानी असल में एक थ्रिलर का टच देती है. इसमें कुमुद मिश्रा का अभिनय जोरदार है लेकिन काजोल अपने किरदार में फिट ही नहीं हो पाईं. उनका शहरी लुक और साफ जुबान उनकी पोल खोलते नजर आते हैं.

बेहतर हो कि इस किस्म की फिल्मों के लिए कहानियां चुनते समय नेटफ्लिक्स फिल्म इंडस्ट्री के बड़े नामों की बजाय अच्छी कहानियों को प्राथमिकता दे नहीं तो इन बड़े नाम वालों की ये कहानियां यूं ही छोटे दर्शन देती रहेंगी.


यह भी पढ़ें: इंडियन म्यूज़िक इंडस्ट्री को ‘जब हम जवां होंगे’ जैसे कई सदाबहार हिट्स देने वाला शख्स आर डी बर्मन


share & View comments