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Thursday, 28 March, 2024
होमदेशओमीक्रॉन का खतरा, विपक्ष का प्रदर्शन, मन की बात- इस हफ्ते उर्दू प्रेस ने किन खबरों को दी अहमियत

ओमीक्रॉन का खतरा, विपक्ष का प्रदर्शन, मन की बात- इस हफ्ते उर्दू प्रेस ने किन खबरों को दी अहमियत

दिप्रिंट अपने इस राउंड अप में बता रहा है कि पूरे हफ्ते के दौरान उर्दू मीडिया ने विभिन्न खबरों को कैसे कवर किया और उनमें से किस घटना को संपादकीय में जगह दी.

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नई दिल्ली: देश में सार्स-कोव-2 वायरस के ओमिक्रॉन वैरिएंट के प्रवेश का बढ़ता खतरा इस सप्ताह अधिकांश उर्दू मीडिया की खबरों का केंद्रबिंदु रहा. हालांकि, मीडिया की सुर्खियों में अपनी जगह बनाए रखने के लिए वायरस को संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान विरोध प्रदर्शन करने वाले सांसदों और चुनावी राज्य उत्तर प्रदेश में बढ़ती सियासी गतिविधियों से थोड़ा मुकाबला करना पड़ा.

दिप्रिंट आपको यहां बता रहा है कि इस सप्ताह उर्दू के अखबारों ने किन-किन खबरों पर ज्यादा फोकस किया.


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ओमिक्रॉन

सार्स-कोव-2 के नए वैरिएंट की खबरें पहली बार 27 नवंबर को उर्दू दैनिकों के पहले पन्ने पर छपीं और पूरे हफ्ते अधिकांश समय वहीं पर रहीं. इस वैरिएंट को लेकर हड़बड़ाहट और आशंकाओं पर अपनी स्टोरी के साथ इंकलाब ने उस दिन दुनियाभर के बाजारों पर वायरस के प्रभाव पर भी एक संक्षिप्त जानकारी दी.

1 दिसंबर को तीनों अखबारों- सियासत, इंकलाब और रोजनामा राष्ट्रीय सहारा- ने पहले पन्ने पर यह जानकारी दी कि भारत अभी भी इस वायरस से सुरक्षित है. लेकिन शुक्रवार, 3 दिसंबर को नई खबर ने जगह बनाई, जब सियासत और इंकलाब ने पहले पन्ने पर खबर छापी कि कर्नाटक में इस वायरस से संक्रमण के पहले दो मामलों का पता चला है.

सहारा ने 28 नवंबर को अपने संपादकीय में एक सामान्य उक्ति, इलाज से सावधानी भली, का हवाला देते हुए सतर्क रहने की जरूरत बताई. उसी दिन, इंकलाब ने अपने संपादकीय में अर्थव्यवस्था पर इसके असर को ध्यान में रखते हुए नए स्ट्रेन पर काबू पाने के उपायों की अहमियत पर जोर दिया. 2 दिसंबर को एक अन्य संपादकीय में सहारा ने प्रतिबंधों या लॉकडाउन जैसे विकल्पों पर निर्भर रहने के बजाये वैज्ञानिक तरीकों से महामारी से निपटने की जरूरत पर जोर दिया.

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शीतकालीन सत्र और संविधान दिवस

संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान नजर आए उतार-चढ़ाव अपेक्षित रूप से पहले पृष्ठ पर छाए रहे, जिसमें 12 राज्य सभा सांसदों के निलंबन के खिलाफ विपक्ष के प्रदर्शन को अच्छी कवरेज मिली. इसके अलावा 26 नवंबर को संविधान दिवस समारोह की खबर सुर्खियों में रही- जो 27 नवंबर को तीनों अखबारों के पहले पन्ने पर छपी. इसके साथ ही वंशवादी राजनीति पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की टिप्पणी को भी रेखांकित किया गया.

सहारा ने उसी दिन प्रधानमंत्री की टिप्पणी पर अपने संपादकीय में कहा कि लोकतंत्र केवल चुनाव जीतने से जुड़ा नहीं है, इसका संबंध व्यक्तिगत स्वतंत्रता से भी है और सरकार को इस बेंचमार्क पर अपने प्रदर्शन का मूल्यांकन करना चाहिए. 30 नवंबर को इंकलाब ने संविधान के बारे में जानकारी को अधिक व्यापक बनाने के महत्व पर एक संपादकीय छापा.

सर्वदलीय बैठक में भाजपा की सहयोगी एनपीपी की तरफ से नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) रद्द करने की मांग किए जाने की खबर को भी पहले पन्ने पर जगह मिली. सहारा ने 29 नवंबर को शीतकालीन सत्र पर अपने संपादकीय में लिखा कि सत्र के हंगामेदार होने की उम्मीद है क्योंकि हाल के वर्षों में सर्वदलीय बैठक को केवल औपचारिकता बना दिया गया है.


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मन की बात

नवंबर के मन की बात कार्यक्रम में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के इस बयान कि वह राजनीति में सेवा करने के लिए आए हैं न कि अपने लिए सत्ता की तलाश में, को 29 नवंबर को रोजनामा राष्ट्रीय सहारा और सियासत दोनों ने पहले पन्ने पर रखा.

उत्तर प्रदेश चुनाव

उत्तर प्रदेश के चुनावों में भले ही अभी कुछ समय बाकी है लेकिन राज्य में राजनीतिक गतिविधियां अभी ही पहले पन्ने की सुर्खियां बटरोने लगी हैं. सियासत ने 3 दिसंबर को कांग्रेस नेता प्रियंका गांधी की मुरादाबाद रैली से जुड़ी खबर को प्रमुखता से छापा जिसमें उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर धर्म के नाम पर राजनीति करने का आरोप लगाया.

इंकलाब ने 2 दिसंबर को अपने संपादकीय में लिखा कि समाजवादी पार्टी (सपा), बहुजन समाज पार्टी (बसपा) और कांग्रेस के लिए राज्य में एक साथ आकर एक धर्मनिरपेक्ष मोर्चा बनाने के लिए आदर्श स्थिति थी लेकिन अफसोस कि ऐसी कोई संभावना नहीं दिख रही. साथ ही, अखबार ने यह तर्क भी दिया कि सर्वेक्षणों में जनता के व्यापक असंतोष (योगी सरकार के खिलाफ) को देखते हुए सपा की संभावनाओं को पूरी तरह नकारा नहीं जा सकता है.

इंकलाब ने 2 दिसंबर को यूपी के डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य का वह बयान पहले पन्ने पर छापा जिसमें उन्होंने मथुरा में मंदिर की तैयारी की बात कही थी, जिसे कृष्ण की जन्मभूमि माना जाता है. अखबार ने लिखा कि एक जिम्मेदार प्रशासनिक पद पर होने के बावजूद मौर्य राज्य में कानून-व्यवस्था की स्थिति की परवाह किए बिना अपने मूल हिंदू वोट बैंक को लुभाने की कोशिशें कर रहे हैं.

एक दिन पहले अखबार के पहले पन्ने में वाराणसी में संतों का एक समागम आयोजित करने के भाजपा के फैसले के बारे में एक स्टोरी छपी थी, जिसके लिए प्रधानमंत्री खुद उन्हें निमंत्रण भेजेंगे. इसने मायावती के इस बयान को भी सुर्खियों में रखा कि यूपी में मुसलमानों को जानबूझकर झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है.

पेपर लीक होने के कारण राज्य में शिक्षक पात्रता परीक्षा (टीईटी) करीब आधे घंटे में ही रद्द कर दिए जाने को 29 नवंबर को सहारा और इंकलाब दोनों ने पहले पन्ने पर जगह दी. यूपी एसटीएफ द्वारा टीईटी पेपर लीक होने के मामले में परीक्षा नियामक प्राधिकरण के प्रमुख संजय उपाध्याय को गिरफ्तार किए जाने की खबर को 2 दिसंबर को इंकलाब ने फ्रंट पेज पर छापा.


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मुनव्वर फारूकी और शर्जील इमाम

स्टैंड-अप कॉमेडियन मुनव्वर फारूकी को लगातार उत्पीड़ित किए जाने को उर्दू दैनिकों ने कई मौकों पर रेखांकित किया. इंकलाब ने 1 दिसंबर को अपने संपादकीय में लिखा कि फारूकी का इस तरह अपने प्रदर्शन को अलविदा कहने का फैसला लेना अच्छा कदम नहीं है. इसने तर्क दिया कि बहुत से लोग कलाकारों से समाज और राजनीति के पाठ सीखते हैं और उनके बिना समाज खोखला हो जाएगा. इंकलाब ने कॉमेडियन कुणाल कामरा का शो रद्द होने पर भी 2 दिसंबर को पहले पन्ने पर एक छोटी खबर छापी.

जेएनयू के छात्र शर्जील इमाम को इलाहाबाद हाई कोर्ट से जमानत मिलने की खबर 29 नवंबर को इंकलाब और सहारा के पहले पन्ने पर छपी. शर्जील पर सीएए विरोधी प्रदर्शनों के दौरान अपने भाषणों के लिए देशद्रोह का आरोप लगाया गया था. 2 दिसंबर को सहारा ने दिल्ली हाई कोर्ट की तरफ से शर्जील इमाम की जमानत याचिका पर पुलिस से जवाब मांगे जाने की खबर छापी.

(उर्दूस्कोप को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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