scorecardresearch
Sunday, 3 November, 2024
होमदेशनेहरू बहुतों को पसंद और कुछ को नापसंद लेकिन वो लगातार प्रासंगिक हैं- जावेद अख्तर

नेहरू बहुतों को पसंद और कुछ को नापसंद लेकिन वो लगातार प्रासंगिक हैं- जावेद अख्तर

राजकमल प्रकाशन द्वारा प्रकाशित ‘कौन हैं भारत माता ?’ किताब के संपादक पुरुषोत्तम अग्रावल ने कहा कि नेहरू वास्तव में आलोचनात्मक विवेक से संपन्न समाज बनाना चाहते थे.

Text Size:

नई दिल्ली: बहुलता और विविधता को नकार कर भारत की कल्पना नहीं की जा सकती है. देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके समय के तमाम नेता इस बात को अच्छी तरह से जानते थे.

जाने-माने शायर जावेद अख्तर ने कहा कि बहुतों को नेहरू पसंद हैं और कुछ को नहीं है लेकिन वो लगातार प्रासंगिक बने हुए हैं.

नेहरू के बौद्धिक विरासत और हिन्दुस्तान के बारे में उनके विचारों को लेकर शायर जावेद अख़्तर और पुरुषोत्तम अग्रवाल ने ‘कौन हैं भारत माता ?’ किताब के लोकार्पण पर बात की.

किताब के लोकार्पण के दौरान कहा गया कि नेहरू हिन्दुस्तान की परंपरा को आधुनिक बनाने के प्रतीक थे और उनकी प्रासंगिकता आज भी बनी हुई है. नेहरू को बीते वर्षों में सत्तारूढ़ दल द्वारा निशाना बनाए जाने के कारणों पर भी इस दौरान चर्चा हुई.


यह भी पढ़ें: ‘ठाकरे भाऊ’- उद्धव ठाकरे को ‘मी मुंबईकर’ अभियान को लेकर क्यों नरम होना पड़ा


नेहरू की प्रासंगिकता

किताब के संपादक अग्रवाल ने मौजूदा समय में नेहरू की प्रासंगिकता पर कहा, ‘वो असल में हिन्दुस्तान की परंपरा को आधुनिक बनाने के प्रतीक थे.’

प्रोफेसर अग्रवाल ने कहा कि नेहरू ने जिस हिन्दुस्तान का स्वप्न देखा था और उसे संभव करने के जो प्रयास उन्होंने किए उसकी आलोचना की जा सकती है, उसमें भूलें भी हुईं लेकिन मेरा मानना है कि अपनी संकल्पना में वह बिल्कुल सही थे.

उन्होंने कहा, ‘नेहरू वास्तव में आलोचनात्मक विवेक से संपन्न समाज बनाना चाहते थे. उनका यह स्वप्न आज और ज़्यादा प्रासंगिक है.’

कार्यक्रम में कहा गया कि नेहरू के बारे में आमतौर पर यह समझा जाता है कि वह पश्चिम के रंगढंग में ढले ऐसे आधुनिक व्यक्ति थे जिन्हें अपने देश की सभ्यता-संस्कृति से कोई वास्ता नहीं था या वह इससे अनजान थे लेकिन सच्चाई यह है कि वह हिन्दुस्तान की ज़मीन से बहुत गहरे जुड़े हुए थे.


यह भी पढ़ें: जंगल से बाघों के खत्म होने और जिंदगी चलाने की जद्दोजहद है ‘आखेट’


‘प्राइमरी और बेसिक शिक्षा पर ध्यान नहीं दिया’

किताब के संपादक अग्रवाल ने कहा कि आजादी मिलने पर एक खस्ताहाल मुल्क के नवनिर्माण के लिए एक दिशा की जरूरत थी. उन्होंने कहा कि इसके मुल्क को आगे बढ़ाने में नेहरू की दिशा एकदम सही थी.

जावेद अख्तर ने अग्रवाल से जब सवाल किया कि उनकी नज़र में नेहरू की सबसे बड़ी गलतियां क्या थीं तो उन्होंने कहा कि प्राइमरी और बेसिक शिक्षा पर ठीक से ध्यान नहीं दिया गया. अग्रवाल ने कहा कि शिक्षा की पहुंच और कंटेंट पर भी विशेष ध्यान नहीं दिया गया.

अग्रवाल ने कहा कि मौजूदा समय में शिक्षा नीति और लोकतांत्रिक संस्थानों को मजबूत करने की जरूरत है. उन्होंने कहा, ‘देश के सभी लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष ताकतों को नेहरू की पद्धति पर चलने की जरूरत है.’

नेहरू की विदेश और रक्षा नीति को भी प्रोफेसर अग्रवाल ने सराहा.

‘मेरे तीन हीरो हुआ करते थे’

किताब का लोकार्पण करते हुए जावेद अख़्तर ने नेहरू के बारे में अपनी यादें साझा करते हुए कहा, ‘मैं खुशकिस्मत हूं कि मुझे नेहरू जी से ऑटोग्राफ लेने का मौका मिला. जब मैं 14-15 साल का था तब मेरे तीन हीरो हुआ करते थे- नेहरू, कृषण चंदर और दिलीप कुमार.’

उन्होंने कहा कि 1963 में तीन मूर्ति भवन में जब उनका आखिरी जन्मदिन मनाया गया तब मुझे वहां जाने का मौका मिला था.

जावेद अख़्तर ने कहा, ‘आज भी नेहरू बहुतों को बहुत पसंद हैं और कुछ को नापसंद हैं लेकिन वह लगातार प्रासंगिक हैं.’


यह भी पढ़ें: ‘उसने गांधी को क्यों मारा’- गांधी हत्या के पीछे के ‘वैचारिक षड्यंत्र’ को उजागर करती किताब


नेहरू की बौद्धिक विरासत को समेटती किताब

जवाहरलाल नेहरू की बौद्धिक विरासत को प्रासंगिक संदर्भ में किताब ‘कौन हैं भारत माता ?’ सामने लाती है. इसमें नेहरू की क्लासिक पुस्तकों- आत्मकथा, विश्व इतिहास की झलकें और भारत की खोज से चयनित अंश दिए गए हैं. उनके कई महत्त्वपूर्ण निबंध, भाषण, पत्र और साक्षात्कार भी इसमें शामिल हैं.

किताब के दूसरे हिस्से में महात्मा गांधी, भगत सिंह, सरदार पटेल, मौलाना आजाद समेत देश-विदेश की अनेक दिग्गज हस्तियों के नेहरू के बारे में आलेख भी शामिल किए गए हैं.

इस किताब पर जाने-माने इतिहासकार रामचंद्र गुहा ने कहा है कि नेहरू और उनकी बौद्धिक विरासत को समझने के लिए ये अनिवार्य पुस्तक है. उन्होंने कहा कि प्रस्तावना के तौर पर लिखा निबंध पिछले अनेक वर्षों में नेहरू पर लिखा गया सर्वश्रेष्ठ निबंध है.

बता दें कि 2019 में इस किताब का अंग्रेज़ी वर्जन ‘हू इज़ भारत माता’ प्रकाशित हो चुकी है. वर्तमान किताब उसी का हिन्दी अनुवाद है जिसमें संपादक ने एक विस्तृत भूमिका जोड़ी है.


यह भी पढ़ें: कौन हैं भारत माता?- कई असहमतियों के बावजूद जवाहरलाल नेहरू के बारे में क्या सोचते थे सरदार पटेल


 

share & View comments

1 टिप्पणी

  1. आदरणीय, आपका प्रयास सराहनीय । परंतु, आपकी निष्पक्षता पर संदेह है । आप मजीठिया वेज बोर्ड लागू करने के लिए आक्रमक तरीके का अनुसरण नहीं करते हैं । वहीं आपका झुकाव भी सत्ताधारी दल की तरफ झुकाव भी साफ नज़र आता है ।

Comments are closed.