नई दिल्ली: पंजाबी एक्टर जसविंदर भल्ला का शुक्रवार सुबह मोहाली के एक प्राइवेट अस्पताल में ब्रेन स्ट्रोक के बाद निधन हो गया. वे 65 साल के थे. उनके करीबी दोस्त और फिल्ममेकर स्मीप कांग ने बताया कि भल्ला पिछले एक साल से बीमार थे, लेकिन हाल ही में उनकी सेहत में सुधार के लक्षण दिख रहे थे.
भल्ला पंजाबी कॉमेडी के बड़े नामों में से एक थे और उन्होंने माहौल ठीक है, जट्ट एंड जूलियट, मिल करादे रब्बा और पावर कट जैसी हिट फिल्मों में काम किया था.
कांग ने दिप्रिंट से कहा, “मैं पिछले महीने उनसे मिला था. तब वे ठीक हो रहे थे. हम कैरी ऑन जट्टा के चौथे पार्ट पर काम करने की बात कर रहे थे. मैं सदमे में हूं, अभी भी यकीन नहीं हो रहा.”
कांग और भल्ला ने मिलकर दर्जनभर से ज्यादा फिल्में कीं, जिनमें मशहूर कैरी ऑन जट्टा सीरीज़ भी शामिल है. एडवोकेट ढिल्लों के रोल में भल्ला का अंदाज़ उनकी तीखी व्यंग्य शैली, कॉमिक टाइमिंग और शानदार वन-लाइनर्स की वजह से आइकॉनिक बन गया था. कांग ने उन्हें फ्रेंचाइज़ी की “रूह” बताया.
कांग ने कहा, “कैरी ऑन जट्टा उनके बिना कल्ट क्लासिक नहीं बन पाती. जिस तरह उन्होंने एडवोकेट ढिल्लों का रोल किया, वैसा कोई और नहीं कर सकता था. वे इस सीरीज़ की जान और सबसे बड़े योगदानकर्ता थे.”
एक्टर युवराज हंस, जिन्होंने भल्ला के साथ मिस्टर एंड मिसेज 420 और मुंडे कमाल दे में स्क्रीन शेयर की थी वे भी इस खबर से सदमे में थे.
उन्होंने कहा, “वह सेट पर सबसे हंसमुख इंसान थे। अपने काम के प्रति उनकी लगन काबिले-तारीफ़ और प्रेरणादायक थी.”
हाल ही में भल्ला से मिलने वाले हंस ने भी कांग की बातों से सहमति जताई.
उन्होंने कहा, “हमने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा हो जाएगा.”
कॉमेडी के किंग
‘कैरी ऑन जट्टा’ में एडवोकेट ढिल्लों के किरदार के अलावा, दिलजीत दोसांझ की जट्ट एंड जूलियट में इंस्पेक्टर तिवाना की उनकी भूमिका पंजाबी सिनेमा के सबसे बेहतरीन कॉमिक परफॉर्मेंसेज़ में गिनी जाती है.
कांग का कहना है कि भल्ला के आइकॉनिक किरदार कभी भी आखिरी वक्त की तैयारी का नतीजा नहीं थे.
उन्होंने कहा, “वो सेट पर जाकर काम शुरू करने का इंतज़ार नहीं करते थे. स्क्रिप्ट पढ़ते ही किरदार को गढ़ना और इम्प्रोवाइज़ करना शुरू कर देते थे. अक्सर रात को फोन करके नए-नए आइडियाज़ बताते कि कैसे किरदार में और परतें और नज़ाकतें डाली जा सकती हैं.”
भल्ला खुद अपने डायलॉग लिखते थे और शूटिंग के दौरान अक्सर इम्प्रोवाइज़ भी करते थे, जिससे सीन और निखर जाते थे. वे अपने सह-कलाकारों की भी मदद करते थे.
एक्टर युवराज हंस ने कहा, “सर (भल्ला) कभी स्क्रिप्ट पर नहीं चलते थे, वे अपने इंट्यूशन और ऑडियंस की समझ पर चलते थे. उनका मकसद हमेशा लोगों को हंसाना होता था.” हंस भल्ला को पिता समान और मेंटर मानते थे.
भल्ला की कॉमेडी कभी विवादों में नहीं घिरी. फिल्ममेकर स्लीप कांग इसके पीछे उनकी गहरी समझ को वजह मानते हैं.
कांग ने कहा, “उन्हें पता था क्या कहना है, कैसे कहना है और कब रुक जाना है.”
फिल्मों की सफलता से परे भल्ला एक सम्मानित अकादमिक भी थे. उनके पास एक्सटेंशन एजुकेशन में पीएचडी थी और वे पंजाब एग्रीकल्चरल यूनिवर्सिटी (PAU) में एक्सटेंशन एजुकेशन विभाग के प्रमुख रहे, जहां से उन्होंने 2020 में रिटायरमेंट लिया.
कांग ने कहा, “सर (भल्ला) ने कभी अपना टीचिंग करियर नहीं छोड़ा. उन्होंने फिल्मों और नौकरी दोनों को बराबर समर्पण से निभाया, बिना किसी समझौते के. यही उनके सच्चे डिसिप्लिन का सबूत है.”
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