नई दिल्ली: लुप्त हो रही लोक कलाओं को आने वाली पीढ़ियों के लिए बचाए रखने के मकसद से समय-समय पर कई ऐसे कार्यक्रम किए जाते हैं, जो लोगों को उनकी विरासत और जड़ों से जोड़ कर रखते हैं. राजस्थान के जोधपुर में हर साल ऐसा ही एक म्यूज़िक फेस्टिवल आयोजित किया जाता है जिसमें देश-विदेश से कई लोक कलाकार आकर अपनी-अपनी प्रस्तुतियां देते हैं.
जोधपुर का मेहरानगढ़ किला हर साल अक्टूबर नवंबर में अंतर्राष्ट्रीय लोक महोत्सव (जोधपुर रिफ) की मेज़बानी करता आ रहा है. जिसमें देश-विदेश से 300 से भी अधिक लोक कलाकार शामिल होंगे.
इस साल महोत्सव में पश्चिम बंगाल, दिल्ली, कर्नाटक, तमिलनाडु और उत्तर प्रदेश के संगीतकारों के साथ, महाराष्ट्र की महिला ढोल वादक, राजस्थानी लोक गीतों पर कथक डांस, नियपोलिटन संगीत के सितारें और एस्टोनिया, काबो वर्डे, इटली, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, ट्यूनीशिया, कोलंबिया से कलाकार इस समारोह में शिरकत करेंगे.
जोधपुर रिफ के डायरेक्टर दिव्य भाटिया ने इसे पारंपरिक महोत्सव न कहते हुए संगीतकारों के लिए उनकी जड़ों से जुड़ा हुआ लोक महोत्सव कहा है और बताया कि इस साल बहुत सारे नए कोलैबोरेशन जुड़ रहे हैं.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, “लोगों को लगता है कि ये पारंपरिक महोत्सव है, लेकिन, ये उन्हें उनकी जड़ों को जोड़ने का महोत्सव है. बशर्ते इसमें बहुत सारे पारंपरिक कलाकार हैं, लेकिन ये पारंपरिक फेस्टिवल नहीं है.”
2007 से लगातार चल रहे जोधपुर रिफ ने 15 से भी अधिक साल से भारत के मूल संगीत को फिर स्थापित करने का काम किया है. फेस्टिवल की शुरुआत मेहरानगढ़ म्यूज़िम ट्रस्ट, जॉन सिंह और जयपुर विरासत फाउंडेशन ने की थी और अब तक 1000 से अधिक राजस्थानी कलाकार जोधपुर रिफ में प्रस्तुति दे चुके हैं.
इस साल भी स्वतंत्र संगीतकार हरप्रीत सिंह जलियांवाला बाग नरसंहार के पीड़ितों को श्रद्धांजलि देने के लिए खुद की कम्पोज़ीशन पर आधारित लंबी पंजाबी कविता “खूनी वैसाखी” प्रस्तुत करेंगे.
उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘‘मुझे जोधपुर रिफ की स्टेज पर परफॉर्म करने का काफी वक्त से इंतज़ार था और पिछले साल दिव्य भाटिया ने मुझे जोधपुर रिफ में अपनी प्रस्तुति देने के लिए बुलाया तो वो मेरे लिए बहुत ही खास था.’’
उन्होंने कहा कि जिस तरह का म्यूज़िक वह बनाते हैं उन्हें लगता है कि जोधपुर रिफ की ऑडियंस उसे पसंद करेगी.
हरप्रीत ने आगे कहा, ‘‘मुझे अच्छी तरह से याद है कि मैं अपनी परफॉर्मेंस के बाद स्टेज से बस उतरा ही था कि दिव्य मेरे पास आए और कहा कि मैं अगले साल भी जोधपुर रिफ में परफॉर्म कर रहा हूं. मेरे लिये वो काफी विनम्र और सुंदर सराहना थी.’’
जोधपुर रिफ ने भारतीय और राजस्थानी मूल संगीत परंपराओं की खोज कर उन्हें एक अंतर्राष्ट्रीय मंच दिया है इसके संगीतकारों ने भारत और दुनिया भर के प्रतिष्ठित समारोहों और स्थानों पर परफॉर्म किया है. राजस्थानी कलाकारों ने कोलैबोरेशन में 2014 और 2018 में राष्ट्रमंडल खेल (स्कॉटलैंड और ऑस्ट्रेलिया) – सेल्टिक में परफॉर्म किया है. इसके अलावा, स्कॉटलैंड के स्प्री फेस्टिवल, वेल्स में फेस्टिवल ऑफ वॉयस, इंग्लैंड के साउथबैंक सेंटर, ऑस्ट्रेलिया के ब्लू माउंटेन लोक महोत्सव जैसे कईं फेस्टिवल्स में कलाकारों ने परफॉर्म किया है.
यूनेस्को ने जोधपुर रिफ को ‘‘रचनात्मकता और सतत विकास के लिए लोगों के मंच’’ के रूप में समर्थन दिया है.
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जड़ों की तरफ लौटना ज़रूरी
जोधपुर रिफ महोत्सव म्यूज़िक और डांस के पारंपरिक रूपों, क्षेत्र के कलाकारों का समर्थन करने के लिए कड़ी मेहनत करता है. दर्शकों के लिए “जोधपुर रिफ” शब्द एक जादुई उत्सव का पर्याय बन गया है, जो सुबह-सुबह शुरू होता है और आधी रात के बाद समाप्त होता है.
ऑर्गनाइज़र्स ने बताया कि महोत्सव के 16वें संस्करण में जैज़ है, डीजे है, तो विदेशी बैंड भी है, भारतीय कलाकारों के बीच नए कोलैबोरेशन हैं, जिसे लेकर वे बहुत उत्साहित हैं.
भाटिया ने कहा, “हमारे पास राजस्थानी लोक कलाकार हैं जो समकालीन भारतीय जैज़ संगीतकारों और विभिन्न मूल परंपराओं के ताल वादकों के साथ कोलैबोरेट करेंगे.”
महोत्सव के मुख्य संरक्षक और मारवाड़-जोधपुर के महाराजा गज सिंह द्वितीय के इस महोत्सव से जुड़ाव के बारे में पूछे जाने पर भाटिया ने कहा, “बापजी ने शुरू से महोत्सव को सपोर्ट” किया है.
भाटिया ने कहा, “महाराज हर दिन महोत्सव में आते हैं और उन्हें खुद कलाकारों और संगीत की बेहतरीन जानकारी है.”
महाराज गज सिंह द्वितीय भी इन अविश्वसनीय कलाकारों को जोधपुर रिफ जैसा मंच प्रदान करके बहुत खुश हैं.
महाराज ने कहा, “हर साल, हम देखते हैं कि लोक कलाकार अपनी प्रतिभा और कौशल से हमें आश्चर्यचकित करते हैं और हम अपनी विरासत के प्रति उनके सम्मान और इस अमूल्य मौखिक विरासत को अपने उत्तराधिकारियों को सौंपने की उनकी इच्छा से बहुत प्रभावित हैं.”
उन्होंने आगे कहा, “हम कलाकारों को जोधपुर रिफ जैसा मंच प्रदान करके बहुत खुश हैं ताकि उन्हें उनकी कलात्मकता और अनुकरणीय संगीत के लिए उचित रूप से पहचाना जा सके.”
इस साल जोधपुर रिफ में कालबेलिया गायक, मोरचंग, नगाड़ा, खड़ताल, कमायचा और भपंग जैसे इंस्ट्रुमेंट्स होंगे. पिछले साल अपने स्पॉटलाइट का बढ़ाते हुए स्वतंत्र संगीतकारों को समर्पित एक सेगमेंट — Indie Roots को शामिल किया है — जिसका अर्थ है शहरों में बसे रूट्स से जुड़े कलाकारों की तलाश करना.
Indie Roots के बारे में भाटिया ने बताया कि ये दर्शकों को उनकी जड़ों की तरफ लौटने का एक मौका देता है और ऐसा “मिश्रण” आज तक किसी और फेस्टिवल में नहीं देखा गया है.
पृथ्वी थिएटर फेस्टिवल के पूर्व डायरेक्टर रहे दिव्य ने कहा, “ऐसा रूट्स डांस आपने शायद ही पहले कहीं नहीं देखा होगा — जिसमें राजस्थानी लोक गीतों और ताल पर प्रशंसित कथक नृत्यांगना तारिणी त्रिपाठी अपनी कला पेश करेंगी.”
महाराष्ट्र की ड्रमर्स राजस्थान की ड्रमर्स के साथ कोलैबोरेट करेंगी. हरप्रीत सिंह, मेघवाल और मांगनियार समुदाय के अलावा, प्रसिद्ध गायक शर्मा बंधु, कर्नाटक के सिंगर महेश विनायकराम शामिल होंगे.
हरप्रीत सिंह की कम्पोज़ की गई कविता “खूनी वैसाखी” दरअसल 13 अप्रैल 1919 में अमृतसर के जलियांवाला बाग में हुए उस नरसंहार के साक्षी रहे तीन दोस्तों में से एक नानक सिंह की रचना है, जिसका अनुवाद सिंह के पोते और ऑस्ट्रेलिया में भारत के राजदूत, नवदीप सिंह सूरी ने किया है. नवदीप ने ही 2019 में हरप्रीत को कविता को एक गीत का रूप देने के लिए चुना था.
हरप्रीत ने कहा, ‘‘इस साल मैं अपनी दो नई प्रस्तुतियों को ले कर आ रहा हूं. जिनमें से एक मेरी आने वाली एल्बम जो कि नानक सिंह जी की लिखी किताब ‘खूनी वैसाखी’ (जलियांवाला बाग) पर आधारित है और दूसरी प्रस्तुति सूफी और निर्गुणी काव्य पर आधारित रहेगी.’’
जयपुर की एक लुप्त हो चुकी विधा “गालीबाज़ी” के बारे में भाटिया ने कहा कि यह वर्तमान में कहीं खो गई है. इस विधा में हास्य व्यंग्य किया जाता है, जिसमें थोड़ी चुभने वाली बातें होती हैं और गुज़रे ज़माने में इनमें मुकाबले हुआ करते थे.
भाटिया ने कहा, “जब लोक की बातें रोज़मर्रा की हैं, तो उन्हें संगीत के महोत्सव से दूर क्यों रखा जाना चाहिए.”
इस महोत्सव के हमेशा जोधपुर में किए जाने के कारण पर हंसते हुए उन्होंने कहा, “अगर किसी को मेहरानगढ़ के शानदार किले में आने का मौका मिलेगा तो कोई कहीं और क्यूं जाएगा.”
हालांकि, उन्होंने कहा कि लोक कलाकारों के लिए किसी और बड़े मंच पर इस तरह का कार्यक्रम नहीं किया जाता है और हम केवल कलाकारों की नींव को बचाए रखने के लिए ये काम करते हैं.
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खासियत
सभी उम्र के दर्शकों के लिए राजस्थान के समृद्ध लोक संगीत को पेश करने के अपने मिशन के अनुसार, जोधपुर रिफ में “बाल-मेला” की परंपरा इस साल भी जारी रहेगी.
जोधपुर रिफ का पहला दिन शहरवासियों और स्कूल स्टूडेंट्स के लिए फ्री रखा जाता है, जहां बच्चे पूरा दिन अलग-अलग परफॉर्मेंस देखते हैं. स्कूली बच्चों को वीर दुर्गा दास मेमोरियल पार्क के रंग-बिरंगे वातावरण में कच्ची घोड़ी, बहरूपिया, घूमर, कठपुतली, तेरह ताली और भीड़ के पसंदीदा – सर्कस में विशेषज्ञता वाले कई मंडलों के इंटरैक्टिव प्रदर्शन के माध्यम से राजस्थानी लोक परंपराओं का लुत्फ उठाने का अवसर दिया जाता है.
जोधपुर रिफ में “बाल-मेले” की शुरुआत 2014 से हुई थी. 2019 में 60 स्कूलों से 3,800 बच्चे आए थे. हालांकि, पिछले साल ये संख्या 2800 रह गई थी, लेकिन इस साल इसके तीन हज़ार पार करने की उम्मीद है. फेस्टिवल के पहले दिन रात के समय ढाई घंटे का मिनी फेस्टिवल रखा जाता है, जिसे शहरवासियों के लिए निशुल्क रखा जाता है.
रिलीज़ में कहा गया है कि जोधपुर रिफ एक ऐसा मंच बनाने के लिए प्रतिबद्ध है जहां मूल कलाकारों को सभी परंपराओं के कलाकारों के बराबर मान्यता दी जाती है. “भारत और विदेश के विविध संगीत रूपों का ये महोत्सव जोधपुर रिफ दुनिया के सबसे प्रशंसित संगीत समारोहों में से एक माना जाता है और आगामी संस्करण इसकी प्रतिष्ठा को और मजबूत करने की उम्मीद करता है.”
गौरतलब है कि अलग-अलग राज्यों में अपनी लोक कलाओं को ज़िंदा रखने के लिए तरह-तरह के कार्यक्रम किए जाते हैं, जिनमें मध्य प्रदेश के छतरपुर में बुंदेली, बिहार के देवरिया जिले में सुभाष चंद्र कुशवाहा कहानीकार द्वारा भोजपुरी की प्रसिद्ध शैलियां बिदेसिया, लवंडा नाच, भांड, नौटंकी जैसे कार्यक्रम होते हैं.
हरप्रीत ने कहा, ‘‘ढेर सारी नई रचनाओं के साथ मैं इस साल जोधपुर रिफ में शामिल होने के लिए बहुत उत्साहित हूं.’’
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