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Sunday, 17 November, 2024
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Covid की भेंट चढ़ीं दिल्ली की रामलीलाएं- 800 में से 20 ही करेंगी मंचन, सोशल मीडिया के सहारे घरों तक पहुंचने की तैयारी

सरकार की गाइडलाइन के अनुसार महज 100 लोगों को ही एक जगह एकत्रित होने की अनुमति है. कोरोना के संक्रमण को देखते हुए जहां बड़ी रामलीला कमेटियां रामलीला का मंचन नहीं कर रहीं हैं वहीं कुछ ने सोशल मीडिया के माध्यम से घर घर पहुंचने का इंतजाम किया है.

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नई दिल्ली: दिल्ली में होने वाली रामलीला के आयोजन पर भी कोविड-19 का असर हुआ है. लालकिला मैदान में होने वाली प्रमुख रामलीला समितियों ने कोविड -19 के चलते आयोजन नहीं करने का फैसला लिया है. जबकि कुछ समितियों ने दशहरे के दिन सांकेतिक रूप से रामलीला का मंचन करने की तैयारियां शुरू कर दी हैं. हालांकि इस मंचन का केंद्र ‘कोरोना से बचाव’, ‘सामाजिक समरसता के श्रीराम’ और ‘अयोध्या के राम मंदिर’ होगा. थीम को ध्यान में रखते हुए इन रामलीला में कोरोना से बचाव और अयोध्या के राम मंदिर को लेकर भी नाटक का मंचन होगा.

दिल्ली में छोटी बड़ी समितियां मिलाकर 800 जगहों पर रामलीला का मंचन होता है लेकिन इसबार लॉकडाउन और कोरोना संक्रमण को देखते हुए 20 रामलीलाओं का ही आयोजन हो पाएगा. फिलहाल दशहरे के आयोजनों को लेकर भी संशय बरकरार है.

रामलीला महासंघ ने मंचन को ‘न’ कहा 

दिल्ली रामलीला महासंघ के महासचिव अर्जुन कुमार ने दिप्रिंट से कहा कि, दिल्ली में सभी छोटी बड़ी मिलाकर करीब 800 रामलीला का आयोजन होता है. अभी तक हमारे पास कुल 20 बड़ी रामलीला होने की जानकारी सामने आई है. इनमें शाहदरा क्षेत्र में तीन, प्रीतमपुरा क्षेत्र में दो, शालीमार बाग क्षेत्र में दो, अशोक विहार क्षेत्र  में दो, करोलबाग क्षेत्र में एक, किशनगंज क्षेत्र में एक, रोहिणी क्षेत्र में दो और श्रीराम कला केंद्र में एक रामलीला के अलावा अन्य छह छोटी रामलीला का जगह आयोजन होने जा रहा है.

कोविड-19 के मद्देनजर लोगों के एक जगह एकत्रित होने को लेकर सरकार की गाइडलाइन बहुत देरी से आई है इसलिए अधिकतर रामलीला समितियों ने इस बार रामलीला का मंचन न करने का निर्णय लिया जबकि कुछ ने सोशल मीडिया का सहारा लेकर यू-ट्यूब और फेसबुक से लोगों तक पहुंचने की तैयारियां कर ली हैं.

2 महीने पहले से शुरू हो जाती है मंचन की तैयारियां

रामलीला के मंचन की तैयारियां करीब दो महीने पहले से शुरू हो जाती हैं. भूमि पूजन से लेकर कलाकारों के चयन तक में  समितियों को तैयारी करने में काफी समय लगता है. लेकिन कोरोना संकट और सरकार की अनलॉक गाइडलाइन पांच देरी से आने के कारण अधिकतर समितियों ने इस बार मंचन न करने का फैसला लिया है

लालकिला मैदान में रामलीला भव्य आयोजन करती आ रही लवकुश रामलीला कमेटी के सेक्रेटरी अर्जुन कुमार ने दिप्रिंट से कहा, ‘हम करीब 2 माह पहले से अपनी तैयारियां शुरु कर देते थे. कुछ दिन पूर्व ही गाइडलाइन जारी की गई है. इतने कम समय में सभी जरुरी जगह की अनुमति और नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट  मिलना मुश्किल है. इस वजह से हमने रामलीला आयोजन नहीं करने का फैसले लिया है.’

अर्जुन आगे कहते हैं, ‘अभी दशहरे के आयोजन को लेकर भी हमने कुछ सोचा नहीं है. करीब 40 वर्ष बाद हम लोग इस वर्ष रामलीला का अयोजन नहीं कर रहे है.’

गौरतलब है कि 2018 में पीएम मोदी और राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद इस रामलीला कमेटी के दशहरे के रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

अर्जुन कुमार दिल्ली रामलीला महासंघ के महासचिव भी है. उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली में सभी छोटी बड़ी मिलाकर करीब 800 रामलीला का आयोजन होता है. हम लोगों कई समितियों से बात की हैं, अधिकांश समितियों ने ऐनवक्त पर रामलीला के आयोजन करने में असमर्थता जाहिर की है.


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लालकिला मैदान में ही आयोजित होने वाली दूसरी रामलीला का आयोजन करने वाली श्रीधार्मिक रामलीला सोसायटी के जनरल सेक्रेटरी धीरजधर गुप्ता ने इसबार आयोजन में असमर्थता जताई है, उन्होंने दिप्रिंट से कहा, ‘गाइडलाइन के हिसाब से जरुरी अनुमतियां लेने में ही समय लग जाएगा. ऐसे में रामलीला का मंचन संभव नहीं है.’

उन्होंने बताया, ‘1965 में  पाकिस्तान के युद्ध के दौरान  तत्कालीन पीएम लालबहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान- जय किसान’ का नारा दिया था. और सभी प्रकार के धार्मिक उत्सव को नहीं करने और छोटे स्तर पर करने का आह्वान किया था. उस  दौरान भी रामलीला का आयोजन नहीं हुआ था. वो सभी पैसा जवानों के लिया दिया गया था. श्रीधार्मिक रामलीला 1923 से रामलीला का मंचन करते आ रहा है.

लालकिला मैदान स्थित नवश्री धार्मिक रामलीला कमेटी के रवि कप्तान ने दिप्रिंट को बताया कि इस बार हमारी कमेटी ने भी रामलीला का अयोजन नहीं करने का निर्णय लिया है.

फेसबुक और यू ट्यूब के जरिए घर-घर पहुंचेगी रामलीला

हालांकि, राजधानी की कुछ रामलीला कमेटियां सोशल मीडिया का सहारा लेकर मंचन करने का विचार किया है. हालांकि यह रामलीला सांकेतिक होगी और इसमें मंचन के दौरान 100 लोगों को दर्शक दीर्घा में बैठने की अनुमति भी होगी. और इस मंचन का सीधा प्रसारण सोशल मीडिया फेसबुक और यूट्यूब के जरिए किया जाएगा.
इंद्रप्रस्थ आईपी एक्सटेंशन श्री रामलीला कमेटी के प्रधान सुरेश बिंदल ने दिप्रिंट को बताया, ‘वर्तमान परिस्थितयों को देखते हुए रामलीला का भव्य मंचन संभव नहीं हैं. हम लोग स्थानीय धर्मशाला में एक छोटी रामलीला करने जा रहे है.’
वह आगे कहते हैं, ‘परंपरा को निभाने के लिए ये भी केवल सांकेतिक ही होगी. धर्मशाला के हॉल में बैठने की कुल क्षमता 200 लोगो की है. हम केवल 100 को ही बैठाएंगे. इसके अलावा केबल,यू ट्यूब, फेसबुक के जरिए लोगों को रामलीला का मंचन दिखाने का पूरा प्रयास करेंगे. इसकी थीम सामाजिक समरसता के श्रीराम  और अयोध्या के राम मंदिर को समर्पित रखी गई है.

कोरोना बचाव को लेकर लोगों को दिखाएंगे नाटक

द्वारका स्थित श्रीरामलीला सोसायटी सेक्टर 10 के मुख्य संरक्षक राजेश गेहलोत ने दिप्रिंट से कहा, ‘ रामलीला को लेकर सरकार की गाइडलाइन बहुत देर से आई है. ऐनवक्त पर गाइडलाइन जारी की है. इससे सभी लोग गाइडलाइन के हिसाब से रामलीला की मंजूरी और अन्य कामों में लगे हुए है.

200 लोगों की मंजूरी दी है इतने में रामलीला होना संभव नहीं है. फिलहाल हम लोग एक छोटी रामलीला के अयोजन करने के बारे में सोच रहे हैं. इस बार की थीम कोरोना से बचाव  रहेगी. इस रामलीला के दौरान कोरोना से कैसे बचें को लेकर लोगों को नाटक भी दिखाएंगे.

गौरतलब है कि पीएम नरेंद्र मोदी 2019 में दशहरे के दिन इसी श्रीरामलीला सोसायटी सेक्टर 10 के रावण दहन कार्यक्रम में शामिल हुए थे.

ढाई घंटे में सांकेतिक रामलीला कर निभाएंगे परंपरा

सीबीटी ग्राउंड स्थित रामलीला कमेटी के मीडिया प्रभारी राजकुमार भाटी ने दिप्रिंट से कहा इस बार हम सिर्फ दशहरे का कार्यक्रम ही आयोजित कर पाएंगे. परंपरा को देखते हुए दशहरे वाले दिन हमने केवल ढ़ाई घंटे की एक विशेष रामलीला दिखाने का तय किया है.’
भाटी कहते हैं, ‘इस दौरान सरकार द्वारा जारी कोरोना के मापदंडों का ध्यान रखा जाएगा. इस छोटी रामलीला की थीम कोरोना और जलवायु प्रदूषण रखी जाएगी. 2005 से हम लोग लगातार रामलीला का आयोजन कर रहे हैं. पहली बार हम सांकेतिक रामलीला करने जा रहे है.

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