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Friday, 26 April, 2024
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बीमारू राज्य का कार्यभार संभालते ही पहले घंटे से तेज रफ्तार में चलने लगे थे योगी आदित्यनाथ

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के जीवन के कई पहलू हैं. लेकिन लेखक शांतनु गुप्ता ने उनकी जिंदगी के  चार पहलुओं को अपनी लेखनी से उकेरा है. प्रस्तुत है प्रभात प्रकाशन से आई उनकी किताब 'योगीगाथा' का ये अंश.

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योगी आदित्यनाथ जब उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री बने तब सूबा एक बीमारू राज्य के रूप में जाना जाता था. योगी ने  कार्यभार संभालते ही पहले घंटे में राज्य को संभालने और काया पलट करने में जुट गए थे. हिंदुस्तान टाइम्स के पंकज जायसवाल ने लिखा कि अपने कार्यकाल के पहले ही महीने में आदित्यनाथ ने अपने प्रयासों को तेज रफ्तार दे दी है, जिसमें सरकारी दफ्तरों में पान और गुटखा को प्रतिबंधित करने से लेकर देर से आने के आदी हो चुके कर्मचारियों को काम के घंटों का कड़ा पाठ पढ़ाना शामिल है. योगी के पदभार ग्रहण करने के शुरुआती दिनों में ही विभिन्न निर्णय लिये गए थे. 19 मार्च को शपथ लेने के एक घंटे बाद ही आदित्यनाथ ने सारे मंत्रियों को आदेश दिया कि वे अपनी आय, चल-अचल संपत्तियों की घोषणा 15 दिन के भीतर कर दें.

उन्होंने उनसे कहा कि वे अपनी घोषणा सीएम सचिवालय में जमा कराएं. उन्होंने साफ कर दिया कि उनकी सरकार भ्रष्टाचार को बिल्कुल भी बर्दाश्त नहीं करेगी. उन्होंने अपने मंत्रियों को स्वच्छता और ईमानदारी की शपथ दिलाई. उन्होंने शुक्रवार का दिन इस काम के लिए निश्चित किया है, जब राज्य के सभी कर्मचारी अपने-अपने कार्यस्थल की सफाई करें. उन्होंने उन्हें बीजेपी के 2017 के घोषणा पत्र को पढ़ने तथा उनकी योजना के साथ ही बजट संबंधी प्रावधान तैयार करने को कहा है, ताकि वे बता सकें कि अपने-अपने विभागों में वे इसे किस प्रकार लागू करेंगे.

इडिया टीवी को दिए हाल के एक इंटरव्यू में योगी ने कहा कि मुख्यमंत्री समेत पिछली सरकार के मंत्री शायद ही कभी दफ्तर आते थे. वे सभी अपने कैंप (आवास) ऑफिस से आराम से काम किया करते थे. अपनी बात पर जोर डालते हुए योगी ने एक घटना के बारे में बताया कि जब पिछली सरकार के शासन में उनकी मुलाकात तत्कालीन कृषि मंत्री, कृषि सचिव और कृषि आयुक्त से गोरखपुर रेलवे स्टेशन पर हुई तो वे यह जानकर हैरान रह गए कि छह महीने बाद भी मंत्री को उनके अधिकारी पहचानते नहीं थे. योगी ने उन सभी का एक-दूसरे से परिचय करवाया. योगी ने कहा कि अब यह सब बदल गया है और पूरे राज्य में उन्होंने कैंप ऑफिस की संस्कृति को समाप्त कर दिया है.

योगी सरकार ने फाइलों के तेजी से निपटारे के लिए एक सिटिजन चार्टर भी तैयार किया है. इस चार्टर के अनुसार कोई भी फाइल किसी डेस्क पर तीन दिन से ज्यादा नहीं रहनी चाहिए. यहाँ तक कि विभागीय अध्यक्ष को भी उसे अधिकतम सात दिनों में निपटा देना है.

21 मार्च को योगी आदित्यनाथ अपने मंत्रियों के विभागों के बंटवारे पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मिलने दिल्ली पहुंचे. उन्होंने उन्हें यह जानकारी भी दी कि सांसद अधिकारियों के तबादलों और नियुक्तियों के लिए दबाव बना रहे थे.

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23 मार्च को मोदी ने सभी सांसदों को आदेश दिया कि वे तबादलों और तैनाती में दखल न दें.

विपक्षी दल जहां खबरों में बने रहने के लिए योगी की आलोचना करने में व्यस्त हैं, वहीं योगी को इन सारी आलोचनाओं की कोई परवाह नहीं है और उनकी सरकार शासन की अभूतपूर्व गति के साथ चल रही है. चुनावी वायदों को पूरा करने के लिए निर्णय लिये जा रहे हैं तथा 100 दिनों की एक निश्चित योजना विभिन्न मंत्रालयों को सौंपी जा रही है.

एंटी-रोमियो स्क्वैड

महिलाओं की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए बीजेपी के लोक कल्याण संकल्प पत्र में राज्य में ‘एंटी-रोमियो स्क्वैड्स’ का गठन करने की बात थी. राष्ट्रीय महिला आयोग (एनसीडब्लू) का दावा है कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ सबसे ज्यादा अपराध होता है. एनसीडब्लू की सदस्य रेखा शर्मा ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि महिला आयोग को मिलनेवाली शिकायतों में औसतन 60 प्रतिशत यू.पी. से होती हैं. उन्होंने कहा कि यू.पी. के शहरों में गाजियाबाद सबसे ऊपर है, जहाँ से हर महीने कम-से-कम 50 शिकायतें आती हैं.

नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं के खिलाफ अपराध में यू.पी. सबसे ऊपर है. एनसीआरबी ने बताया कि वर्ष 2015 में यू.पी. में महिलाओं के खिलाफ होनेवाले अपराध के 35,527 मामले दर्ज किए थे, जो भारत में होनेवाले कुल मामलों का 10.9 प्रतिशत है और जो किसी भी अन्य राज्य से अधिक है. अपने पहले ही हफ्ते में सीएम ने महिलाओं को छेड़छाड़ से सुरक्षा देने के लिए राज्य भर में ‘एंटी रोमियो स्क्वैड्स’ का गठन करने का आदेश दिया.

पुलिस ने कुछ मामलों में जिस प्रकार की प्रतिक्रिया दी, उसे लेकर एंटी-रोमियो स्क्वैड की काररवाई पर थोड़ा भ्रम पैदा हो गया. इसके जवाब में 25 मार्च को आदित्यनाथ ने दिशा-निर्देश बनाने के आदेश दिए और पुलिस से कहा कि इसे लागू करते समय न्यायपूर्ण रहें. ‘एंटी-रोमियो स्क्वैड्स’ में दो पुलिसकर्मी, अधिकांशतया एक पुरुष और एक महिला शामिल रहते हैं. एक थाना क्षेत्र में दो से तीन टीमें तैनात रहती हैं. तैनात टीमों की तादाद उस इलाके में स्कूलों और कॉलेजों की संख्या पर निर्भर करती है.

स्क्वैड स्कूलों और कॉलेजों के आसपास मौजूद रहते हैं, जहां महिलाओं की संख्या सबसे अधिक रहती है. उनका काम भीड़ में मौजूद छेड़छाड़ करनेवालों और शरारत करनेवालों की पहचान करना है. वे खाकी वर्दी में रहेंगे या कुछ मामलों में सादी वर्दी में. टीम में सिपाही, हवलदार, एएसआई और एसआई रहेंगे. एंटी-रोमिया स्क्वैड शरारत करने वालों को चेतावनी के साथ छोड़ सकते हैं, उनके माता-पिता को सूचित कर सकते हैं, यहाँ तक कि मामले की गंभीरता को देखते हुए आपराधिक काररवाई भी शुरू कर सकते हैं.


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राज्य में कानून-व्यवस्था में सख्ती

योगी सरकार ने राज्य की कानून-व्यवस्था के ढांचे को चुस्त-दुरुस्त बनाने पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया है. सुलखान सिंह को इसकी जिम्मेदारी सौंपकर योगी ने इस काम को लेकर अपने सख्त इरादे जाहिर कर दिए. जिलाधिकारियों (डीएम) और पुलिस अधीक्षकों (एसपी) से कहा गया है कि वे सुबह 9 बजे से 11 बजे तक हर दिन लोगों से मिलें तथा कैंप ऑफिस की संस्कृति को छोड़ दें. इंडिया टीवी को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में योगी ने कहा कि अगर कोई सरकार अपने नागरिकों की सुरक्षा नहीं कर पाती तो यह उसके लिए शर्म की बात है. एक के बाद एक हुई कई आपराधिक घटनाओं पर जब उनसे पूछा गया, तो योगी ने कहा कि पुलिस बल ने उनकी नाक में दम कर रखा है, जिसके चलते वे बचने की आखिरी कोशिश कर रहे हैं. योगी ने जोर देकर कहा कि अपराधियों को अब राजनीतिक संरक्षण की बजाय पुलिस की गोलियों का सामना करना पड़ रहा है.
पिछली सरकारों के उलट हम मामलों को तेजी से निपटाने पर जोर दे रहे हैं. मथुरा के जौहरियों के कत्ल के मामले में अपराधियों को 5 दिन के भीतर पकड़ लिया गया था. फिरोजाबाद से अगवा किए गए व्यापारी को कुछ ही घंटे के भीतर छुड़ा लिया गया. लखनऊ-आगरा एक्सप्रेस-वे पर इटावा के करीब लूटी गई इनोवा कार को चार घंटे के भीतर बरामद कर अपराधियों को गिरफ्तार कर लिया गया. योगी और उनके डीजीपी सुलखान सिंह के नेतृत्व में पुलिस सक्रिय और सजग दिखती है.

किसानों की कर्जमाफी

2017 के विधानसभा चुनावों के प्रचार के दौरान पूर्वी यू.पी. बीजेपी के लिए बेहद महत्त्वपूर्ण थी. छठे चरण में मऊ, महाराजगंज, कुशीनगर, गोरखपुर, देवरिया, आजमगढ़ और बलिया जिलों में चुनाव होना था. अकेले आजमगढ़ में विधानसभा की 10 सीटें हैं, जिनमें से 9 पर 2012 में समाजवादी पार्टी ने जीत दर्ज की थी. लेकिन इस बार मुलायम सिंह यादव ने अपने संसदीय क्षेत्र में एक भी सभा को संबोधित नहीं किया. उत्तर प्रदेश चुनावों के छठे चरण में यहां की 49 सीटों के लिए प्रचार करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 1 मार्च को उत्तर प्रदेश के देवरिया में एक रैली को संबोधित किया.

प्रधानमंत्री समझ रहे थे कि इस महत्त्वपूर्ण क्षेत्र में किसानों की अच्छी खासी आबादी है. उन्होंने बेधड़क होकर ऐलान किया कि अगर बीजेपी सत्ता में आई, तो यू.पी. के नतीजे आने के बाद कैबिनेट की पहली ही बैठक में किसानों का कर्ज माफ कर दिया जाएगा और 120 दिनों के भीतर गन्ना किसानों का सारा बकाया भी चुका दिया जाएगा. उत्तर प्रदेश के विशाल किसान समुदाय के लिए ये दो महत्त्वपूर्ण वादे थे और इन वादों को निभाते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने 4 अप्रैल को कैबिनेट की पहली ही बैठक में कुल 36,359 करोड़ के किसानों के कर्ज को माफ करने का फैसला किया. इस निर्णय से राज्य के कम-से-कम 2.2 करोड़ छोटे और मझोले किसानों को लाभ मिलने की उम्मीद है. अन्य राज्य सरकारों पर भी इसी तरह की कर्जमाफी का दबाव बनेगा.

महाराष्ट्र में बीजेपी-शिवसेना गठबंधन की सरकार है. शिवसेना प्रमुख उद्धव ठाकरे ने चुनावी वादे को पूरा करने के लिए तुरंत योगी आदित्यनाथ को बधाई दी. ‘द लाइव मिंट’ के ग्यान वर्मा और अनुजा की खबर के मुताबिक उन्होंने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से भी किसानों का कर्ज माफ करने को कहा.

कर्ज से राहत के अलावा सरकार ने राज्य भर में 5,000 से भी अधिक गेहूं खरीद केंद्रों की स्थापना की और बताया कि सरकार किसानों से 80 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदेगी. यह भी ऐलान किया गया कि सरकार किसानों से 487 प्रति क्विंटल की दर से आलू खरीदेगी.

किसानों की कर्जमाफी पर मिली-जुली प्रतिक्रिया हुई. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के तथाकथित वामपंथी, जो एक भगवाधारी मुख्यमंत्री को हजम नहीं कर पा रहे थे और जो इसी तरह की माफी और सब्सिडी का समर्थन पूर्व में कर चुके हैं, वहीं अब दूसरा ही राग आलाप रहे हैं. जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर ने मिंट संवाददाता को बताया कि किसानों को मदद की दरकार है, और इस समय कर्जमाफी की जरूरत है, लेकिन सरकार को चाहिए कि वह खेती से कम आय की समस्या का कोई दूरगामी निदान लेकर आए.

मौलिक प्रश्न यही है कि किसान बार-बार कर्ज के जाल में क्यों फंस जाते हैं. जब तक सरकार इस पर ध्यान नहीं देगी, तब तक कोई बड़ी राहत नहीं मिल सकती है. बार-बार कर्जमाफी से एक नैतिक खतरा उत्पन्न होता है और महाराष्ट्र, तमिलनाडु, कर्नाटक तथा आंध्र प्रदेश में इसी तरह की माँग होनेवाली है, जहां किसान प्रभावित हैं.

दूसरी तरफ कांग्रेस के मुख्य प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने एक वक्तव्य में कहा, ‘यू.पी. सरकार की पहली कैबिनेट ने किसानों की उम्मीदों को चकनाचूर कर दिया. योगी के नेतृत्व वाली कैबिनेट ने महज 36,000 करोड़ का कर्ज माफ करने का फैसला किया है, जो न तो किसानों को उनके कर्ज से मुक्त करेगा, न ही उन्हें पर्याप्त राहत देगा.’

गन्ना किसानों का भुगतान

ऐसी ही तेजी पीएम मोदी की ओर से गन्ना किसानों को लेकर किए गए चुनावी वादे के मामले में दिखाई गई. मिलों को बकाया चुकाने के लिए निर्धारत समय सीमा दी जा रही थी और उसके बाद जो कुछ हुआ, वह एक इतिहास है. कुछ ही हफ्तों के भीतर मिल मालिकों ने 5,000 करोड़ से भी ज्यादा का भुगतान किया. गन्ना विकास मंत्री, सुरेश राणा ने गर्व के साथ ट्वीट किया—’56 चीनी मिलों द्वारा गन्ना किसानों का 5,080 करोड़ का बकाया चुकाया जा रहा है!’ और जिन मिल मालिकों ने इस समय सीमा का पालन नहीं किया, उन्हें खामियाजा भुगतना पड़ा. मुजफ्फरनगर जिले में बजाज हिंदुस्तान के स्वामित्ववाले मिल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज कराई गई. किसानों का बकाया निपटाने के पैसे को दूसरे कारोबार में लगाने के लिए यह मामला अन्य नियमों के अलावा अनिवार्य वस्तु अधिनियम के तहत दर्ज किया गया. बिजनेस स्टैंडर्ड के वीरेंद्र सिंह रावत ने बताया कि यह मामला मिल प्रमोटर और उसके कर्ताधर्ताओं के खिलाफ दर्ज किया गया.

सभी के लिए बिजली

पदभार ग्रहण करने के एक महीने के भीतर आदित्यनाथ सरकार ने केंद्र के साथ एक समझौते पर दस्तखत किए, जिसमें जिला मुख्यालयों को 24 घंटे बिजली सप्लाई, तहसील स्तर पर 20 घंटे की सप्लाई और बुंदेलखंड क्षेत्र तथा ग्रामीण इलाकों में 18 घंटे बिजली सप्लाई को सुनिश्चित किया गया. सरकार ने घोषित किया कि नवंबर 2018 तक राज्य के सभी गांवों और घरों में 24 घंटे बिजली सप्लाई की जाएगी. इससे उत्तर प्रदेश के लोगों को विशेष तौर पर गरमियों में बड़ी राहत मिलेगी. इंडिया टीवी को हाल ही में दिए एक इंटरव्यू में योगी ने कहा कि सरकार ने पर्याप्त बिजली खरीद ली है, जिससे घोषित रोस्टर को लागू किया जा सकेगा.

उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें बिजली की बरबादी को कम करना होगा. पहले की सरकारों को चोरी की आदत थी और लोग भी वही कर रहे थे. अखिलेश सरकार के समय रामपुर, आजमगढ़, बदायूं, कन्नौज और इटावा में 80-90 प्रतिशत तक बिजली चोरी होती थी. योगी ने यह भी कहा कि अब यह सब बंद हो जाएगा और 2018 तक ‘सभी के लिए बिजली’ की दिशा में विश्वास के साथ आगे बढ़ेंगे.

(‘योगीगाथा’ प्रभात प्रकाशन से छपी है. ये किताब पेपर बैक में 250 ₹ की है.)


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