scorecardresearch
Saturday, 16 November, 2024
होमसमाज-संस्कृति‘मोदी की तारीफ, उनके आंसू’: उर्दू प्रेस ने कहा समय बताएगा कि आज़ाद की नाटकीय विदाई में क्या BJP की कोई भूमिका थी

‘मोदी की तारीफ, उनके आंसू’: उर्दू प्रेस ने कहा समय बताएगा कि आज़ाद की नाटकीय विदाई में क्या BJP की कोई भूमिका थी

दिप्रिंट का जायज़ा कि हफ्ते भर की ख़बरों को उर्दू मीडिया ने कैसे कवर किया, और उनमें से कुछ ने क्या संपादकीय रुख़ इख़्तियार किया.

Text Size:

नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट द्वारा तीस्ता सीलतवाड़ की ज़मानत अर्ज़ी की हाईकोर्ट में देरी से लिस्टिंग की जांच से लेकर, सार्वजनिक स्थलों पर धार्मिक आयोजन करने पर अदालती लड़ाइयों तक, बहुत कुछ था जिनकी इस हफ्ते उर्दू अख़बारों के पहले पन्नों पर गूंज दिखाई दी. लेकिन ये ग़ुलाम नबी आज़ाद की कांग्रेस से विदाई थी, जिसपर वास्तव में कुछ तीखी प्रतिक्रियाएं देखने को मिलीं.

ज़्यादातर कवरेज पार्टी के एक दिग्गज नेता और पूर्व जम्मू-कश्मीर मुख्यमंत्री आज़ाद की कांग्रेस से विदाई के बाद, दोनों के बीच ज़ुबानी जंग पर केंद्रित रही.

इस बीच, संपादकीयों में आज़ाद की तीखी आलोचना की गई.

बिलक़ीस बानो केस में सिविल सोसाइटी की आवाज़ों को भी उर्दू अख़बारों में प्रमुखता से जगह दी गई, और भारत के नए मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित के लिए भी एक इच्छा सूची थी, इसके बावजूद कि शीर्ष पर उनका कार्यकाल बहुत छोटा है.

दूसरे विषय जिनकी उर्दू के पहले पन्नों पर भनभनाहट रही, वो थे बेंगलुरू के चामराजपेट ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह मनाए जाने पर सुप्रीम कोर्ट की रोक, और उत्तर प्रदेश मदरसा शिक्षा बोर्ड का सभी ग़ैर-पंजीकृत मदरसों के सर्वेक्षण का आदेश.

दिप्रिंट आपके लिए लाता है एक सारांश कि इस हफ्ते उर्दू अख़बारों में क्या सुर्ख़ियां रहीं.

ग़ुलाम नबी आज़ाद बनाम कांग्रेस

ग़ुलाम नबी आज़ाद ने 26 अगस्त को कांग्रेस से इस्तीफा दे दिया, जिससे कई दशकों से चले आ रहे एक जुड़ाव का ख़ात्मा हो गया. इसके बाद लीडर और उनकी पूर्व पार्टी के बीच एक ज़ुबानी जंग शुरू हो गई.

27 अगस्त कोइनक़लाब के पहले पन्ने पर कांग्रेस छोड़ने के बाद आज़ाद की ओर से पार्टी पर किए गए हमलों की ख़बर थी. एक इंसेट में कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी को लिखे गए आज़ाद के पत्र के कुछ बिंदुओं का ज़िक्र था- जिनमें उनका ये आरोप शामिल था कि पार्टी के परामर्श तंत्र को उसी तरह तबाह कर दिया गया था, जैसे पहले की संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन सरकार के तहत किया गया था.

अपने पत्र में आज़ाद कांग्रेस के लिए एक भयानक भविष्यवाणी भी करते हैं- कि पार्टी एक ऐसी अवस्था में पहुंच गई है जहां से उसका फिर से जी उठना नामुमकिन है.

उसी दिन रोज़नामा राष्ट्रीय सहारा ने पहले पन्ने पर ख़बर दी, कि किस तरह आज़ाद के इस्तीफे ने पांच दशको के एक रिश्ते को ख़त्म कर दिया था. एक इंसेट में कांग्रेस का जवाब दिया गया था, जिसमें पार्टी ने आज़ाद पर उसके साथ विश्वासघात करने का आरोप लगाया.

अपने संपादकीय में अख़बार ने आज़ाद की तीखी आलोचना की, और उन्हें अवसरवादी क़रार दिया. पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष मौलाना अबुल कलाम आज़ाद के बयान का हवाला देते हुए, कि सियासत में दिल के लिए कोई जगह नहीं है, संपादकीय में कहा गया कि चूंकि 2014 में कांग्रेस ने सत्ता गंवा दी, इसलिए समय समय पर नेताओं के पार्टी छोड़कर जाने से, भारत के पहले शिक्षा मंत्री की दूर अंदेशी साबित हो जाती है.

इस बीच सियासत ने लिखा कि आज़ाद की नाटकीय विदाई में, भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) की भूमिका जल्द सामने आ जाएगी.

27 अगस्त के अपने संपादकीय में, कांग्रेस से नेताओं के छोड़कर जाने की तुलना पतझड़ में पेड़ों की अवस्था से की गई. संपादकीय में कहा गया कि चूंकि अगले संसदीय चुनाव क़रीब आ रहे हैं, इसलिए अगर यही रुझान जारी रहा तो कोई चीज़ बीजेपी को तीसरी बार सत्ता में आने से नहीं रोक सकती.

28 अगस्त को अपने संपादकीय में इनक़लाब ने लिखा, कि लंबे समय तक कांग्रेस में रहने के बावजूद, आज़ाद असल में पार्टी से कटे हुए थे और ऐसे बहुत से दूसरे नेता थे जो उनकी तरह नाराज़ थे. उसने आगे कहा कि जब आज़ाद के इस्तीफे की ख़बर फैली, तो प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज्यसभा में उनकी तारीफ करने की यादें वापस आ गईं, जब उच्च सदन ने अपने नेता प्रतिपक्ष को विदाई दी थी.

संपादकीय ने कहा, ‘सवाल ये है कि क्या उन आंसुओं और इस इस्तीफे के बीच कोई संबंध है. ये शायद आने वाला समय ही बताएगा’.

आज़ाद का इस्तीफा उसके एक दिन बाद आया, जब कांग्रेस ने बहुत समय से लंबित अध्यक्षीय चुनाव को एक महीने के लिए टालने का फैसला किया.

ख़ुद चुनाव पहले पन्ने की सुर्ख़ियां बना. 29 अगस्त को इनक़लाब ने ख़बर दी कि चुनाव 17 अक्तूबर को कराए जाएंगे. उसी दिन, अख़बार ने पार्टी नेता सचिन पायलट का ये कहते हुए भी हवाला दिया, कि आज़ाद एक ऐसे समय अपना फर्ज़ निभाने में नाकाम रहे, जब कांग्रेस पार्टी बीजेपी सरकार का विरोध करने में लगी है.

31 अगस्त को इनक़लाब ने लिखा कि कांग्रेस अध्यक्ष के पद के लिए शशि थरूर के नाम की ‘अटकलें’ लगाई जा रही हैं.


यह भी पढ़ें: ‘अयोग्यता ही नहीं, चुनाव लड़ने पर भी रोक’ – क्यों सोरेन पर EC के फैसले को लेकर एक्शन नहीं ले रहे हैं गवर्नर


भारत के नए मुख्य न्यायाधीश

यूयू ललित के भारत के 49वें मुख्य न्यायाधीश के पद की शपथ लेने पर उर्दू प्रेस काफी उत्साह पैदा हुआ. 28 अगस्त को सियासत के पहले पन्ने पर लीड ख़बर ललित के शपथ ग्रहण को लेकर थी, जिसके साथ राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू का उन्हें पद और गोपनीयता की शपथ दिलाते हुए फोटो भी दिया गया था.

31 अगस्त को ‘मुख्य न्यायाधीश यूयू ललित से अपेक्षाएं’ शीर्षक से अपने संपादकीय में इनक़लाब ने लिखा, कि वो पहले सीजेआई नहीं हैं जिनका 74 दिन का इतना छोटा कार्यकाल रहा है. अख़बार ने कहा कि फिलहाल सुप्रीम कोर्ट में जो महत्वपूर्ण मामले लंबित हैं, उनमें शिवसेना के गुट, सामाजिक कार्यकर्त्ता तीस्ता सीतलवाड़ की ज़मानत अर्ज़ी, बिलक़ीस बानो केस में दोषियों की रिहाई, और जेल में बंद पत्रकार सिद्दीक़ कप्पन के मामले शामिल हैं.

ललित को मुख़ातिब करते हुए संपादकीय ने कहा, ‘देश उम्मीद भरी निगाहों से आपको देख रहा है’.

सेवामुक्त सीजेआई एनवी रमना की विदाई भी पहले पन्ने की सुर्ख़ियां बनी.

27 अगस्त कोसहारा, जिसने इसपर रोशनी डाली कि उनके आख़िरी दिन सुप्रीम कोर्ट की कार्यवाही का सीधा प्रसारण किया गया, ने सीजेआई रमना का ये कहते हुए हवाला दिया कि उन्हें एकमात्र खेद ये रहा, कि वो शीर्ष अदालत में मामलों की लिस्टिंग के मुद्दे को ज़्यादा तवज्जो नहीं दे सके.

उसी दिन, इनक़लाब ने लिखा कि रमना की विदाई एक भावुक अवसर में बदल गई थी.

बिलक़ीस बानो

2002 के गुजरात दंगों के दौरान बिलक़ीस बानो के गैंगरेप और उसके परिवार के 14 सदस्यों की हत्या के दोषी क़रार दिए गए 11 व्यक्तियों की रिहाई का विरोध करने वाली याचिकाओं के भाग्य पर बना हुआ सस्पेंस, लगातार तीसरे सप्ताह भी पहले पन्नों पर बना रहा.

28 अगस्त कोसहारा के पहले पन्ने पर 134 पूर्व नौकरशाहों के सीजेआई को एक खुला पत्र लिखने की ख़बर दी गई, जिसमें उन्होंने बिलक़ीस के लिए इंसाफ की मांग की थी. अख़बार में फैसले के खिलाफ बेंगलुरू में हुए प्रदर्शनों की भी ख़बर दी गई थी.

2 सितंबर को,सहारा के पहले पन्ने पर एक्टर शबाना आज़मी का एक बयान छापा गया, जिसमें उन्होंने इसपर हैरानी जताई थी कि बिलक़ीस बानो मामले पर ख़ामोशी क्यों है, जबकि 2012 के दिल्ली गैंगरेप और हत्या मामले के बाद- जिसे आमतौर पर निर्भया केस कहा जाता है- पूरा देश सड़कों पर उतर आया था.

हुबली ईदगाह, ज्ञानवापी और पंजाब चर्च में तोड़फोड़

30 अगस्त को इनक़लाब ने अपने पहले पन्ने पर ख़बर दी, कि इलाहबाद हाईकोर्ट ने मथुरा के शाही ईदगाह-कृष्ण जन्मभूमि विवाद मामले में स्थानीय अदालत को आदेश दिया था, कि परिसर का फॉरेंसिक सर्वे कराने की याचिका पर चार महीने के भीतर फैसला करे.

31 अगस्त को, इनक़लाब और सहारा ने अपने पहले पन्नों पर ख़बर दी, कि सुप्रीम कोर्ट ने बेंगलुरू की विवादित चामराजपेट ईदगाह मैदान में गणेश चतुर्थी समारोह मनाने पर रोक लगा दी है.

कर्नाटक की बीजेपी सरकार और दक्षिण-पंथी संगठनों की बेंगलुरू के ईदगाह मैदान में गणेश उत्सव माने की कोशिशें उस समय नाकाम हो गईं, जब न्यामूर्तियों इंदिरा बनर्जी, एएस ओका, और एमएम सुंद्रेश की बेंच ने विवाद में यथा-स्थिति बनाए रखने का आदेश दे दिया. आदेश जारी करते हुए दोनों पक्षों को ये भी निर्देश दिया गया, कि विवाद को सुलझाने के लिए एक बार फिर हाईकोर्ट का दरवाज़ा खटखटाएं.

31 अगस्त को सहारा ने पहले पन्ने पर इलाहबाद हाईकोर्ट के फैसले की ख़बर दी, जिसने वाराणसी के काशी विश्वनाथ मंदिर-ज्ञानवापी केस में अपने अंतरिम आदेश को 30 सितंबर तक बढ़ा दिया था. हाईकोर्ट वाराणसी अंजुमन मस्जिद प्रशासन की एक याचिका की सुनवाई कर रहा है, जिसमें वाराणसी कोर्ट में दायर इस विवाद के गुणों को चुनौती दी गई है.

उसी दिन सहारा की एक और रिपोर्ट में, काशी विश्वनाथ-ज्ञानवापी परिसर केस के याचिकाकर्त्ताओं में से एक- विश्व वैदिक सनातन संघ (वीवीएसएस)- के प्रमुख जितेंद्र सिंह का ये आरोप लगाते हुए हवाला दिया गया, कि देश में सांप्रदायिकता को बढ़ावा देने के लिए, हिंदू राष्ट्रवादी तत्व मुद्दे को हथियाने की कोशिश कर रहे हैं. सिंह ने दावा किया कि उन्हें केस वापस लेने के लिए लगातार धमकाया जा रहा है.

1 सितंबर को,सहारा, इनक़लाब, और सियासत ने अपने पहले पन्नों पर ख़बर दी, कि कर्नाटक में हुबली के ईदगाह मैदान में कड़ी सुरक्षा के बीच गणेश उत्सव की तैयारियां शुरू हो गईं थीं. इस बीच, ख़बर में कहा गया कि चामराजपेट ईदगाह- जो मालिकाना हक़ के विवाद में घिरी है- में शांति का माहौल था.

इनक़लाब ने अपने पहले पन्ने पर ख़बर दी, कि कर्नाटक हाईकोर्ट के हरी झंडी दिखाने के बाद, एक और विवादित स्थल- हुबली ईदगाह मैदान में तीन-दिवसीय गणेश चतुर्थी समारोह की तैयारियां शुरू हो गईं थीं.

उसी दिन इनक़लाब ने ख़बर दी कि 30 अगस्त को पंजाब के तरन तारन ज़िले में, कुछ लोगों का एक समूह ज़बर्दस्ती पट्टी गांव के गुरुद्वारे में घुस गया, जहां उन्होंने क्राइस्ट और मैरी की प्रतिमाओं को तोड़ दिया, और पादरी की कार में आग लगा दी.

UP में ग़ैर-पंजीकृत मदरसों का सर्वेक्षण

1 सितंबर को इनक़लाब ने पहले पन्ने पर ख़बर दी, कि उत्तर प्रदेश मदरसा बोर्ड ने ग़ैर-पंजीकृत मदरसों के सर्वेक्षण का आदेश जारी किया है. रिपोर्ट में कहा या कि बोर्ड ने 16,513 मदरसों को मान्यता दी हुई है. इनके अलावा बहुत सारे मदरसे और स्कूल दारुल उलूम निदवतुल उलेमा, दारुल उलूम देवबंद, मज़ाहिर उलूम और अन्य संस्थाओं के तहत, शैक्षिक गतिविधियों तो अंजाम दे रहे हैं.

रिपोर्ट में कहा गया कि सर्वे के ज़रिए सरकार का उद्देश्य, इन मदरसों में बुनियादी सुविधाओं तथा अध्यापकों और छात्रों की संख्या के बारे में जानकारी जुटाना है. अख़बार की रिपोर्ट में कहा गया कि अधिकारियों को अपनी रिपोर्ट्स जमा करने के लिए 25 अक्तूबर तक का समय दिया गया है.

(इस खबर को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें.)


यह भी पढ़ें: मुसलमान से हिंदू बने UP वक्फ बोर्ड के पूर्व अध्यक्ष की किताब ‘मुहम्मद’ पर प्रतिबंध लगाने से SC का इनकार


 

share & View comments