जिस आदिम जनजाति को बचाने के लिए केंद्र की ओर से इस साल देशभर के राज्यों को 250 करोड़ रुपए मिले हैं, उनमें से एक की ये दशा खुद भाजपा शासित झारखंड सरकार ने की है.
दिप्रिंट ने केंद्र शासित प्रदेश की अपनी नई पहचान को स्वीकार करने की कोशिश करते कश्मीर का हाल जानने के लिए नियंत्रण रेखा पर स्थित गांवों का दौरा किया है.
राष्ट्रीय कामधेनु आयोग के अध्यक्ष डॉ. वल्लभ भाई कथीरिया ने बताया कि आयोग अब गौशालाओं से गायों, बछड़ों और बैल को किसानों को देने की दिशा पर विचार कर रहा है.
मोदी सरकार की तीसरी पारी में बदली हुई वास्तविकता उस पुराने सामान्य दौर की वापसी होगी, जब बहुमत वाली सरकारों को भी बेहिसाब बहुचर्चित बगावतों का बराबर सामना करना पड़ता था.