लद्दाख में एलएसी के पास हुई हिंसा में 20 भारतीय सैनिकों के मारे जाने के बाद सैन्य-स्तरीय वार्ता जारी है. रक्षा मंत्री, सीडीएस और सेवा प्रमुख हालात का जायजा ले रहे हैं.
नियंत्रण रेखा (एलओसी) के उलट, जो भारत और पाकिस्तान सीमा के नक़्शे पर चित्रित की गई है. जिसपर दोनों देशों की सेनाओं के दस्तख़त हैं और जिसे अंतर्राष्ट्रीय मान्यता हासिल है. एलएसी बहुत अस्पष्ट है. ज़्यादातर समय, ये न तो रेखा है, और न ही नियंत्रण में है.
भारत और चीन के बीच कई दौर की वार्ता हो चुकी है लेकिन जमीनी हालात में कोई बदलाव नहीं आए हैं. दोनों देशों की सेना ने एलएसी के पास सैन्य गतिविधियां बढ़ा दी है.
लद्दाख में स्थानीय स्तर पर (डिवीजन स्तर पर) कूटनीतिक के अलावा कम से कम छह दौर की वार्ता हो चुकी है और इस स्थिति को टालने के लिए अन्य प्रयास किए गए हैं.
यह समझ से परे है कि भाजपा जब भारत की सबसे मज़बूत पार्टी की स्थिति में है, तब वह जाति जनगणना जैसे विघटनकारी कदम को क्यों उठाए. अगर राहुल गांधी जैसे विपक्षी नेता ऐसी विघटनकारी राजनीति करते हैं, तो बात समझ में आती है. वे भाजपा के राजनीतिक प्रभुत्व को तोड़ने के लिए बेताब हैं, लेकिन भाजपा क्यों?