नई दिल्ली: हर साल की तरह इस साल भी एक फरवरी को केंद्रीय बजट पेश होगा. हालांकि साल 2016 तक बजट फरवरी के आखिरी दिन में पेश किया जाता था, लेकिन 2017 में तत्कालीन वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बजट पेश करने का दिन बदल कर 1 फरवरी कर दिया. वित्त वर्ष 2023-24 को यह बजट वर्तमान सरकार के लिए काफी अहम माना जा रहा है क्योंकि 2024 के लोकसभा चुनाव से पहले उनका यह आखिरी पूर्णकालिक बजट है. केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण इस साल अपना पांचवा बजट पेश करेंगी.
आइए जानते हैं बजट कैसे तैयार होता है और बजट पेश करने से पहले सरकार क्या-क्या करती है.
भारतीय संविधान के अनुच्छेद 112 के तहत बजट को रखा गया है. हालांकि संविधान में बजट को ‘वार्षिक वित्तीय विवरण’ नाम दिया गया है. संविधान के अनुच्छेद 112 के मुताबिक हर साल बजट पेश करने का अधिकार राष्ट्रपति को है लेकिन राष्ट्रपति खुद बजट पेश नहीं करते हैं. राष्ट्रपति की ओर से वित्त मंत्री बजट पेश करते हैं या करती हैं.
हमें बजट शब्द अंग्रेजो से मिला. आजादी से पहले अंग्रेजी हुकूमत बजट शब्द का इस्तेमाल करती थी जो आजादी के बाद भी कायम रहा.
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क्या है बजट
बजट दरअसल सरकार के एक साल का हिसाब- किताब है. बजट से पहले सरकार अपनी कमाई का पता लगाती है और फिर कहां कितना खर्च करना है इसके बारे में बजट में बताती है. सरकार हर साल बजट से पहले अपनी प्रत्यक्ष कर, अप्रत्यक्ष कर, मंत्रालयों से होने वाली कमाई और अन्य कमाई का पता लगती है उसके बाद अगले वित्तीय वर्ष में होने वाले खर्च पर निर्णय लेती है.
अगर हम सीधे शब्दों में कहे तो बजट एक साल के दौरान होने वाले कमाई और खर्चों का हिसाब किताब है.
बजट पेश करने से पहले उसे तैयार करने का काम बहुत कठिन होता है. बजट बनाने में वित्त मंत्रालय, अन्य मंत्रालय और नीति आयोग आदि शामिल होते हैं. बजट को तैयार करने की प्रक्रिया लगभग बजट पेश करने से छह महीने पहले ही शुरू हो जाती है. इसके लिए अलग अलग मंत्रालयों, विभागों से आंकड़े मंगाए जाते हैं. इससे पता लगाया जाता है कि किस विभाग और मंत्रालय को कितनी फंड की जरूरत है. इसके बाद लोक कल्याण के लिए कितने फंड चाहिए, इसपर विचार विमर्श किया जाता है. जिसके बाद बजट में अलग- अलग विभागों और मंत्रालयों को बजट में फंड आवंटित किए जाते हैं.
स्वतंत्र भारत का पहला बजट
स्वतंत्र भारत का पहला बजट षणमुगम चेट्टी ने 26 नवंबर 1947 को पेश किया था. हालांकि इसमें सिर्फ अर्थव्यवस्था की समीक्षा की गई थी और कोई टैक्स नहीं लगाया गया था. एक वित्त मंत्री के रूप में सबसे अधिक बार बजट पेश करने का रिकॉर्ड मोरारजी देसाई के पास है जिन्होंने कुल 10 बार बजट पेश किया है. उनके अलावा प्रणब मुखर्जी ने कुल आठ बार बजट पेश किया है. 1997 में तत्कालीन वित्त मंत्री पी चिदंबरम द्वारा पेश किया गया बजट को ड्रीम बजट कहा गया क्योंकि इस बजट में कॉर्पोरेट और इनकम दोनों टैक्सों में भारी कटौती कई गई थी. साल 2017 से पहले रेल के लिए अलग से बजट पेश किया जाता था लेकिन साल 2107 में इसे आम बजट में ही मिला दिया गया.
बजट से पहले हलवा सेरेमनी
हर साल बजट पेश करने से पहले वित्त मंत्री द्वारा हलवा सेरेमनी का आयोजन किया जाता है. हलवा सेरेमनी के बाद ही बजट की छपाई शुरू की जाती हैं. हलवा सेरेमनी में वित्त मंत्री बजट से जुड़े अधिकारियों को हलवा खिलाती हैं. यह हलवा सेरेमनी वित्त मंत्रालय के नॉर्थ ब्लॉक स्थित ऑफिस में आयोजित की जाती है. हलवा सेरेमनी के बाद बजट से जुड़े अधिकारियों को किसी से भी मिलने और बातचीत करने की अनुमति नहीं होती है जबतक बजट पेश न कर दिया जाए.
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