नई दिल्लीः केंद्रीय आम बजट 2023 से एक दिन पहले वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने मंगलवार को सदन में आर्थिक-सर्वेक्षण 2022-23 पेश किया, जिसके आंकड़ों के मुताबिक, विकास दर कम रहने का अनुमान जताया गया है. हालांकि, भारत दुनिया की सबसे तेजी से बढ़ती प्रमुख अर्थव्यवस्था बना रहेगा.
अगले वित्त वर्ष यानी 2023-2024 में भारत की आर्थिक विकास दर 6.5 प्रतिशत बनी रहेगी. हालांकि, भारत के सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर चालू वित्त वर्ष (अप्रैल 2022 से मार्च 2023) में सात प्रतिशत रहने का अनुमान है. यह पिछले साल 2021-22 के 8.7 प्रतिशत के आंकड़े से कम है.
दुनिया के बाकी हिस्सों की तरह भारत को भी यूरोप में लंबे समय से चल रहे युद्ध से वित्तीय चुनौतियां का सामना करना पड़ा है.
सर्वे में कहा गया, ‘‘ज्यादातर अर्थव्यवस्थाओं की तुलना में भारत ने चुनौतियों का बेहतर तरीके से सामना किया.’’
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण द्वारा संसद में पेश आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि भारत पीपीपी (क्रय शक्ति समानता) के मामले में दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी और विनिमय दर के मामले में पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है.
सर्वे में कहा गया, ‘‘अर्थव्यवस्था ने जो कुछ खोया था, उसे लगभग फिर से पा लिया है. जो रुका हुआ था, उसे नया कर दिया है, और महामारी के दौरान तथा यूरोप में संघर्ष के बाद जो गति धीमी हो गई थी, उसे फिर से सक्रिय कर दिया है.’’
इसमें कहा गया है कि महामारी के बाद भारत में पुनरुद्धार अपेक्षाकृत तेज था, ठोस घरेलू मांग से वृद्धि को समर्थन मिला, पूंजी निवेश में तेजी आई, लेकिन अमेरिकी फेडरल रिजर्व द्वारा ब्याज दरों में और बढ़ोतरी के अनुमान से रुपये के लिए चुनौतियां बढ़ीं.
चालू खाते के घाटे (कैड) में बढ़ोतरी जारी रह सकती है, क्योंकि वैश्विक जिंस कीमतें ऊंची बनी हुई हैं. अगर कैड और बढ़ता है, तो रुपया दबाव में आ सकता है.
सर्वे के मुताबिक, निर्यात के मोर्चे पर चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही में वृद्धि में कमी आई है. धीमी वैश्विक वृद्धि, सिकुड़ते वैश्विक व्यापार के कारण चालू वर्ष की दूसरी छमाही में निर्यात प्रोत्साहन में कमी आई.
इसमें कहा गया है कि मजबूत खपत के कारण भारत में रोजगार की स्थिति में सुधार हुआ है, लेकिन रोजगार के अधिक मौके तैयार करने के लिए निजी निवेश में वृद्धि जरूरी है.
भारत की खुदरा मुद्रास्फीति जनवरी, 2022 से 10 महीने तक भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के छह प्रतिशत के संतोषजनक स्तर से ऊपर रहने के बाद पिछले साल नवंबर में घटकर इससे नीचे आई है.
केंद्रीय बैंक ने पिछले साल मौजूदा वित्त वर्ष के लिए महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था.
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महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहेगी
सर्वे के अनुसार, ‘‘आरबीआई ने वित्त वर्ष 2022-23 में औसत महंगाई दर 6.8 प्रतिशत रहने का अनुमान लगाया था जो इसके लक्षित दायरे से ऊंची थी. हालांकि, यह दर इतनी ज्यादा नहीं है कि निजी खपत को रोक सके या इतनी कम भी नहीं है कि निवेश को कमजोर कर सके.’’
भारत की थोक व खुदरा महंगाई 2022 में ज्यादातर समय ऊंची रही, जिसका मुख्य कारण फरवरी, 2022 में शुरू हुए रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद आपूर्ति श्रृंखला में व्यवधान रहा.
रूस और यूक्रेन गेहूं, मक्का, सूरजमुखी के बीज और उर्वरकों जैसे जरूरी कृषि संबंधी उत्पादों के सबसे महत्वपूर्ण उत्पादकों में से एक हैं.
आर्थिक सर्वे में कहा गया है कि एमएसएमई सेक्टर को दिए जाने वाले कर्ज में जबरदस्त उछाल देखने को मिला है. जनवरी-नवंबर 2022 के दौरान सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) क्षेत्र में ऋण वृद्धि उल्लेखनीय रूप से 30.5 प्रतिशत से अधिक रही है. 2021-22 में देश की जीडीपी 8.7 फीसदी रही थी.
इसमें अनुमान लगाया गया है कि, पूंजीगत व्यय ने निजी निवेश को बढ़ाना शुरू कर दिया है और चालू वित्त वर्ष के लिए 7.5 लाख करोड़ रुपये का बजट लक्ष्य हासिल होने की उम्मीद है.
इसके अनुसार, ‘‘मौजूदा रुझान से प्रतीत होता है कि पूरे साल के लिए पूंजीगत व्यय का बजट लक्ष्य हासिल हो जाएगा.’’
इसके अनुसार, कंपनियों के बही-खाते के मजबूत होने के साथ उनकी कर्ज लेने की क्षमता बढ़ी है.
वित्त मंत्री ने महामारी में प्रभावित अर्थव्यवस्था को सार्वजनिक निवेश से उबारना जारी रखने के लिए वित्त वर्ष 2022-23 के लिए पूंजीगत निवेश 35.4 प्रतिशत बढ़ाकर 7.5 लाख करोड़ रुपये कर दिया था. पिछले वित्त वर्ष में पूंजीगत व्यय 5.5 लाख करोड़ रुपये था.
आर्थिक सर्वेक्षण दस्तावेज़, वित्त मंत्रालय में आर्थिक मामलों के विभाग के आर्थिक प्रभाग द्वारा मुख्य आर्थिक सलाहकार वी अनंत नागेश्वरन की देखरेख में तैयार किया गया है, जो अर्थव्यवस्था की स्थिति और वित्तीय वर्ष 2022-23 (अप्रैल-मार्च) और अगले वर्ष के लिए दृष्टिकोण के विभिन्न संकेतकों के बारे में जानकारी देगा.
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