नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में फीस वृद्धि को लेकर लंबे समय से प्रदर्शन कर रहे छात्रों के लिए एचआरडी की उच्च स्तरीय समिति ने जेएनयू प्रशासन को कुछ सिफारिशें भेजी हैं. समिति ने विश्वविद्यालय प्रशासन को अपनी सिफारिशें दे दी हैं जिसमें आंशिक तौर पर फीस वृद्धि को वापस लेने को कहा गया है.
जेएनयू की एक्सिक्यूटिव काउंसिल ने सर्कुलर जारी कर कहा कि उच्च स्तरीय समितिसमिति ने जो सिफारिशें दी हैं उसे मान लिया गया है.
समिति ने सिफारिशों में कहा है कि सर्विस चार्ज में जो दोगुनी वृद्धि हुई थी उसे वापस ली जाए और अन्य शुल्कों में 50 प्रतिशत की कमी की जाए.
प्रदर्शनकारी छात्रों की मांग थी कि होस्टल मेन्यू में जो फीस की वृद्धि की गई है उसे वापस लिया जाए क्योंकि इससे जेएनयू में पढ़ने वाले 40 फीसदी छात्र प्रभावित होंगे.
बता दें कि जेएनयू प्रशासन ने होस्टल में डबल कमरों का किराए बढ़ाकर 10 रुपए से 300 रुपए महीना कर दिया था और सिंगल कमरों का दाम बढ़ाकर 20 रुपए से 600 रुपए कर दिया था. एचआरडी की हाई लेवल समिति ने इस बढ़ोतरी में 50 फीसदी की कमी करने को कहा है.
सर्विस चार्ज 5500 रुपए ये 12 हज़ार रुपए कर दिया गया था. समिति ने इसमें बढ़ोतरी न करने को कहा है. उग्र होते प्रदर्शन के बाद मानव संसाधन विकास मंत्रालय ने एक हाई लेवल समिति गठित की थी.
फीस में कटौती में संघ की बड़ी भूमिका
जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय में हुई फीस बढोत्तरी के खिलाफ राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ भी उतर गया था. इस मसले पर राष्ट्रीय स्वयंसेवकसंघ के वरिष्ठ पदाधिकारी ने नाम न छापने के अनुरोध पर दिप्रिंट से कहा, ‘हमारा मत है कि छात्रों की जो फीस बढ़ी है वह गलत है, लेकिन इस मामले में चर्चा जारी है उम्मीद है छात्रों के हित में ही फैसला आएगा.’
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राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ ने साथ ही भाजपा के छात्र संगठन अखिल भारतीय विद्यार्धी परिषद के फीस बढ़ोतरी के खिलाफ मुहीम पर कहा कि ‘अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एक स्वतंत्र संगठन है. जो भी इसका निर्णय है वह संगठन और छात्रों के लिए हितकर होगा.’
आप को याद होगा कि सरकार के जेएनयू मे फीस बढ़ोतरी पर छात्रों में बहुत रोष था. 28 अक्टूबर से ही वहां के छात्र कक्षाओं का बहिष्कार कर रहे हैं. इसके विरोध में छात्रों ने संसद तक का मार्च भी निकाला था जिसमें भारी पुलिस बंदोबस्त था और छात्रों से उनकी झड़प भी हुई. इसके बाद शिक्षा मंत्रायल ने एक तीन सदस्यीय हाई पावर कमेटी भी बनाई थी. जिसको छात्रों का पक्ष जानना और इस गतिरोध को समाप्त करने के लिए उपाय सुझाने थे. ताकि छात्र वापिस कक्षाओं में लौंटे. आश्चर्यजनक तरीके से भाजपा विरोधी पार्टियों के समर्थक छात्र ही नहीं, भाजपा का समर्थन करने वाली एबीवीपी भी सड़कों पर फीस बढ़ोतरी के विरोध में उतरी थी.
एबीवीपी के सहसंगठन मत्री श्रीनिवास ने दिप्रिंट से कहा, ‘हमे कोई कमेटी नहीं चाहिए, हमें फंड चाहिए. जेनएयू को चलाने के लिए एचआरडी और यूजीसी को फंड देना चाहिए. यूजीसी और एचआरडी अगर फंड को रिलीज़ करती है तो विश्वविद्यालय उसका इस्तेमाल कर लेगा. इसके लिए किसी भी हाई पवार कमेटी की कोई ज़रुरत ही नहीं है.’
बाकि मुद्दों को उठाकर जेएनयू का माहौल बिगाड़ा जा रहा है
एबीवीपी के एक अन्य वरिष्ठ पदाधिकारी ने दिप्रिंट से कहा, ‘किसी भी प्रकार की हाई पवार कमेटी बनाने से समस्या का समाधान नहीं होगा. कमेटी भी छात्रों की उन्हीं बातों को सुनेंगी जो अब तक विश्वविद्यालय अपने स्तर पर सुन चुका है. इस मामले में एबीवीपी भी लगातार आंदोलन कर रही है. छात्रों की जो मांगे है वह लगातार विश्वविद्यालय सुन रहा है. लेकिन वह मजबूर है क्योंकि उनके पास कोई फंड नहीं है.’
उन्होंने बताया, ‘जेएनयू में जो चल रहा है उसमें छात्रों के मुद्दे एक तरफ है. लेकिन बाकि मुद्दों को फिर उठाकर फिर से विश्वविद्यालय के महौल को बिगाड़ा जा रहा है. छात्रों की भावना पर किसी को अपना एजेंडा नहीं चलाना चाहिए. कोई भी छात्र यूनियन इस मसले पर राजनीति करता है तो वह कैंपस के लिए ठीक नहीं है. इस प्रकार की राजनीति से केवल जेएनयू का ही नुकसान है.’
सूत्रों ने बताया,’ फीस वृद्धि के मुद्दे के पीछे कोई दस प्रकार के मुद्दे लेकर चल रहा है तो यह गलत है. हर कैंपस में अपने मुद्दे होते हैं. कैंपस एक्टिविज्म बिल्कुल होना चाहिए. छात्र संघ का भी यही रोल है कि छात्रों के हित के लिए संघर्ष करें ओर उनके मुद्दों को उठाए. बाकि अपने विचारधारा और अपने एजेंडे पर काम करते रहे. लेकिन छात्रों के भावनाओं के नाम पर अपना कोई एजेंडा नहीं चलना चाहिए.
उन्होंने बताया, ‘जेएनयू के छात्रों के जो मुद्दे है उसमें विद्यार्थी परिषद् सहित सभी संगठन लड़ रहे है. कोई भी संगठन या व्यक्ति ऐसा नहीं जो बढ़ी हुई फीस को लेकर चिंतित नहीं है. हमारा मनाना है कि विश्वविद्यालय में कुलपति है. वहां एक पूरा सिस्टम काम करता है. लेकिन इसक हल संवाद से होगा. सरकार क्या कर रही है या करना चाहिए यह हमारा विषय नहीं है.