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Thursday, 18 April, 2024
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जेएनयू में फीस वृद्धि के खिलाफ सड़क पर एबीवीपी, लगे ‘शिक्षामंत्री होश में आओ’ के नारे

एबीवीपी के छात्रों का कहना है कि लेफ़्ट के छात्रों ने हाल ही में शिक्षा मंत्रालय की हाई पावर कमेटी के साथ बैठक कर फ़ीस वृद्धि को पूरी तरह से रोलबैक करने के मामले में समझौता किया है.

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नई दिल्ली : राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) की छात्र इकाई अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (जेएनयू) में बढ़ी फीस के खिलाफ अपने विरोध प्रदर्शन को गुरुवार को सड़क पर ले आया. इस दौरान ‘हम अपना अधिकार मांगते, नहीं किसी से भीख़ मांगते’, ‘शिक्षामंत्री होश में आओ’, ‘जय श्रीराम’ और ‘भारत माता की जय’ जैसे नारे लगे.

एबीवीपी के कार्यकारी सदस्य नवनीत गुलेरिया ने कहा कि ये मामला अब इसका नहीं है कि सरकार किसकी है, बल्कि ये छात्रों के अधिकार का मामला है. दिल्ली के मंडी हाउस मेट्रो स्टेशन से शुरू हुए इस प्रदर्शन को जंतर-मंतर के पास रोक दिया गया.

प्रदर्शन के दौरान करीब 200-300 छात्र मौजूद थे, जिन्हें एक घंटे के करीब चले इस प्रदर्शन के अंत में पुलिस ने तितर-बितर कर दिया, कुछ को हिरासत में भी लिया गया. छात्रों की योजना शिक्षा मंत्रालय तक मार्च करने की थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका. 28 अक्टूबर से जेएनयू के छात्र यूनिवर्सिटी में हुई फ़ीस वृद्धि का विरोध कर रहे हैं और क्लास ठप कर रखी है.

जेएनयू के पूर्व छात्र संघ उम्मीदवार मनीष जांगिड ने कहा, ‘इस मामले पर पहले हम लेफ़्ट छात्र संगठनों के साथ थे, लेकिन उन्होंने इसमें अयोध्या जैसे मुद्दे को लाकर राजनीतिक रंग देने की कोशिश की गई.’ उन्होंने आरोप लगाया कि लेफ्ट के छात्रों ने कैंपस में विवेकानंद की मूर्ति को नुकसान पहुंचाया और इन वजहों से एबीवीपी अलग से प्रदर्शन कर रही है.

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आपको बता दें कि यह पहला मौका नहीं है जब एबीवीपी ने भाजपा सरकार के ख़िलाफ़ प्रदर्शन किया है. रैली में मौजूद दिल्ली यूनिवर्सिटी एबीवीपी के मीडिया इंचार्ज आशुतोष ने बताया कि वाजपेयी सरकार की शिक्षा नीति के खिलाफ भी एबीवीपी ने रामलीला मैदान में बड़ा विरोध प्रदर्शन किया था.


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इसके अलावा अन्य मौकों पर भी स्मृति ईरानी और प्रकाश जावड़ेकर को शिक्षामंत्री रहते हुए घेरा गया.

आपको बता दें कि ये पहला मौका नहीं है जब हॉस्टल मैन्युअल में हुए बदलावों के बाद बढ़ी फ़ीस के ख़िलाफ़ एबीवीपी के छात्र प्रदर्शन कर रहे हैं. इसके पहले इस संगठन से जुड़े छात्र फ़ीस घटाने की मांग को लेकर यूजीसी का दरवाज़ा खटखटा चुके हैं.

उनका कहना है कि लेफ़्ट के छात्रों ने हाल ही में शिक्षा मंत्रालय द्वारा गठित की गई हाई पावर कमेटी के साथ मुलाकात कर फीस वृद्धि को पूरी तरह से रोलबैक करने के मामले में समझौता किया है. प्रदर्शन में मौजूद एक छात्र ने कहा कि सरकार कोई कमेटी इसलिए बनाती है ताकि मुद्दे को भटकाया जा सके.

एबीवीपी की मांग है कि हाई पावर कमेटी मामले में दखल न दे, क्योंकि इससे जेएनयू की स्वायत्तता पर असर पड़ेगा. वहीं, इनकी भी यही मांग है कि हॉस्टल मैन्युअल का पूरा रोलबैक कर इस प्रक्रिया को पूरा किया जाए.

क्या है पूरा मामला

जेएनयू के छात्र हॉस्टल मैन्युअल में हुए बदलावों का तीन हफ्तों से ज़्यादा समय से विरोध कर रहे हैं. हाल ही में इसमें बदवाल करके फ़ीस बढ़ाई गई है. बढ़ी हुई फ़ीस की वजह से 40 प्रतिशत छात्रों के प्रभावित होने की आशंका है. दरअसल, 2016-17 और 2017-18 की अपनी सालाना रिपोर्ट में जेएनयू प्रशासन ने बताया है कि यहां पढ़ने वाले करीब 8000 छात्रों में से 40 प्रतिशत छात्र ऐसे हैं जिनकी पारिवारिक आय 12,000 से कम है.

आपको बता दें कि हॉस्टल में रह रहे छात्रों को पहले डबल कमरे के लिए 10 और सिंगल कमरे के लिए 20 रुपए हर महीने देने पड़ते थे, लेकिन बदलावों के बाद डलब कमरा 300 और सिंगल कमरा 600 रुपए का हो गया था.

पहले कोई सर्विस चार्ज नहीं लिया जाता था लेकिन बदलाव के बाद हर छात्र को हर महीने 1700 रुपए का सर्विस चार्ज भी देना होगा.

अक्टूबर के अख़िरी हफ़्ते से क्लास नहीं कर रहे छात्र 11 नंवबर को अपने प्रदर्शन को कैंपस से बाहर ले आए. इसी दिन एआईसीटीई में जेएनयू से जुड़ा एक दीक्षांत समारोह हुआ जिसमें छात्रों ने शिक्षामंत्री पोखरियाल को तय समय से 3 घंटे ज़्यादा तक रोके रखा.

इसके बाद शिक्षामंत्री ने अश्वासन दिया कि छात्रों की मांग पर ग़ौर किया जाएगा. इस आश्वासन के बाद डबल कमरा 300 की जगह 150, सिंगल कमरा 600 की जगह 300 और सिक्योरिटी डिपॉज़िट 12,000 की जगह 5500 कर दिया गया. शिक्षामंत्री के अश्वासन के बाद भी सर्विस चार्ज में कोई बदलाव नहीं किया गया.

शिक्षामंत्री के अश्वासन के बाद किए गए बदलावों के दौरान जेएनयू प्रशासन ने ये भी कहा कि ग़रीबी रेखा से नीचे (बीपीएल) के छात्रों को अलग से छूट दी जाएगी. हालांकि, प्रशासन इस बात का जवाब नहीं दे पा रहा कि वो बीपीएल छात्रों को परिभाषित कैसे करेगा.

आपको बता दें कि डीन के कार्यालय ने 3 अक्टूबर को एक सर्कुलर जारी कर यूनिवर्सिटी के हॉस्टल मैन्युअल में बदलाव का प्रस्ताव दिया और 28 अक्टूबर को इसे पास कर दिया गया. विरोध इस बात पर शुरू हुआ कि मैन्युअल में बदलाव से जुड़ी प्रक्रिया में जेएनयूएसयू को शामिल नहीं किया गया.

शिक्षा मंत्रालय की ‘हाई पावर कमेटी’ और जेएनयू छात्रों की बैठक से मिली जानकारी में विरोध समाप्त होने को लेकर विरोधाभासी जानकारी सामने आई है. कमेटी ने छात्रों से ये भी कहा है कि वो अपनी सिफारिशें या तो मंत्रालय या यूनिवर्सिटी प्रशासन कों सौंपेगा. दोनों की मुलाकात शुक्रवार को होनी है.

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