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Friday, 22 November, 2024
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निमोनिया से 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत, भारत दूसरे नंबर पर

1,62,000 के आंकड़े के साथ नाइजीरिया में यह आंकड़ा सर्वाधिक. इसके बाद 1,27,000 की संख्या के साथ भारत और 58,000 के आंकड़े के साथ पाकिस्तान का नंबर है.

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संयुक्त राष्ट्र : निमोनिया के कारण 2018 में पांच वर्ष से कम उम्र के बच्चों की मौत के मामले में भारत दूसरे स्थान पर है. यह रोग अब सुसाध्य है और इससे बचाव भी संभव है, बावजूद इसके वैश्विक स्तर पर हर 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत होती है.

संयुक्त राष्ट्र की एक नई रिपोर्ट में यह बात सामने आई है.

संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने कहा कि पिछले वर्ष वैश्विक स्तर पर निमोनिया के कारण पांच वर्ष से कम उम्र के 8,00,000 से अधिक संख्या में बच्चों की मौत हुई या यूं कहें कि हर 39 सेकेंड में एक बच्चे की मौत हुई.

निमोनिया के कारण जिन बच्चों की मौत हुई उनमें से अधिकतर की उम्र दो वर्ष से कम थी और 1,53,000 बच्चों की मौत जन्म के पहले महीने में ही हो गई.

निमोनिया के कारण सर्वाधिक बच्चों की मौत नाईजीरिया में हुई. यहां यह आंकड़ा 1,62,000 रहा. इसके बाद 1,27,000 की संख्या के साथ भारत, 58,000 के आंकड़े के साथ पाकिस्तान, 40,000 के आंकड़े के साथ कांगो और 32,000 की संख्या के साथ इथोपिया है.

संरा की एजेंसी ने कहा कि पांच वर्ष के कम उम्र के बच्चों में मौत के कुल मामलों में 15 फीसदी की वजह निमोनिया है. इसके बावजूद वैश्विक संक्रामक रोग शोध पर होने वाले खर्च में से महज तीन फीसदी खर्च इस रोग पर किया जाता है.

निमोनिया के कारण होने वाली मौत और गरीबी के बीच भी मजबूत संबंध है. पेयजल तक पहुंच, पर्याप्त स्वास्थ्य देखभाल नहीं होना और पोषण की कमी तथा भीतरी वायु प्रदूषण के कारण इस रोग का जोखिम बढ़ जाता है. निमोनिया के कारण होने वाली कुल मौत में से आधी की वजह वायु प्रदूषण है.

यह लगभग भूला जा चुका है कि निमोनिया भी एक महामारी है. इसके प्रति जागरूकता लाने के लिए यूनिसेफ और अन्य स्वास्थ्य तथा बाल संगठनों ने वैश्विक कार्रवाई की अपील की.

अगले वर्ष जनवरी में स्पेन में ‘ग्लोबल फोरम ऑन चाइल्डहुड निमोनिया’ पर गोष्ठी होगी जिसमें विश्वभर के नेता शामिल होंगे.

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