मुंबई : पूर्व भारतीय कप्तान सौरव गांगुली ने बुधवार को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के 39वें अध्यक्ष के रूप में पदभार संभाल लिया है. वह दुनिया के सबसे अमीर क्रिकेट बोर्ड के प्रमुख बनने वाले सबसे बड़े नाम हैं.
गांगुली (47) को बीसीसीआई की आम सभा की अगली बैठक तक अगले नौ महीने के लिए आधिकारिक रूप से भारतीय क्रिकेट के प्रमुख की जिम्मेदारी सौंपी गई. इसके साथ ही उच्चतम न्यायालय द्वारा नियुक्त प्रशासकों की समिति का 33 महीने का कार्यकाल भी खत्म हो गया.
बीसीसीआई ने अपने ट्विटर पेज पर लिखा, ‘यह आधिकारिक है- सौरव गांगुली को औपचारिक रूप से बीसीसीआई का अध्यक्ष चुना गया.’
It's official – @SGanguly99 formally elected as the President of BCCI pic.twitter.com/Ln1VkCTyIW
— BCCI (@BCCI) October 23, 2019
बता दें कि इससे पहले गांगुली की नियुक्ति को पिछले हफ्ते अंतिम रूप दिया गया था.
सीओए की नियुक्ति से पहले बोर्ड से जुड़े कुछ नाम एक बार फिर साथ काम करते नजर आएंगे. केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के बेटे जय शाह को सचिव बनाया गया है.
अपने कार्यकाल के दौरान गांगुली पूर्व अध्यक्ष एन श्रीनिवासन और पूर्व सचिव निरंजन शाह जैसे पूर्व पदाधिकारियों के साथ समन्वय का प्रयास करेंगे जिनके बच्चे अब बीसीसीआई का हिस्सा हैं.
बीसीसीआई के पूर्व अध्यक्ष और मौजूदा वित्त राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के छोटे भाई अरुण धूमल कोषाध्यक्ष जबकि केरल के जयेश जार्ज संयुक्त सचिव बने. उत्तराखंड के महिम वर्मा नए उपाध्यक्ष बने हैं.
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मैच फिक्सिंग प्रकरण के बाद 2000 में सबसे बुरे दौर के दौरान भारतीय टीम के कप्तान बने गांगुली को नए संविधान के प्रावधानों के अनुसार अगले साल जुलाई के अंत में पद छोड़ना होगा.
भारत का प्रतिनिधित्व करने वाले सबसे कलात्मक बाएं हाथ के बल्लेबाजों में से एक गांगुली से उम्मीद की जा रही है कि वह बंगाल क्रिकेट संघ के सचिव और फिर अध्यक्ष के अपने पद से मिले अनुभव का पूरा फायदा उठाएंगे.
उन्होंने कुछ लक्ष्य निर्धारित किए हैं जिसमें से एक प्रथम श्रेणी क्रिकेट के ढांचे का पुनर्गठन, प्रशासन को सही ढर्रे पर लाना और अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट परिषद में भारत को उसकी मजबूत स्थिति फिर लौटाना है.
इसके अलावा अनुभवी विकेटकीपर महेंद्र सिंह धोनी के अंतरराष्ट्रीय भविष्य, दिन-रात्रि टेस्ट और स्थायी टेस्ट केंद्रों पर उनका नजरिया भी अहम होगा.
गांगुली का कार्यकाल उस समय शुरू हो रहा है जब आईसीसी ने भारत को अपने नवगठित कार्यकारी समूह से बाहर कर दिया है जिससे वैश्विक संस्था के राजस्व में देश का हिस्सा प्रभावित हो सकता है.
इस समूह का गठन वैश्विक संस्था का नया संचालन ढांचा तैयार करने के लिए किया गया है.