नई दिल्ली: सांसदों को संसद या केंद्र सरकार से जुड़ी कोई भी जानकारी या योजनाओं से संबंधित किसी भी तथ्य के लिए अब ज़्यादा परेशान नहीं होना पड़ेगा. सांसदों की समस्याओं के निदान के लिए संसद भवन में एक विशेष कॉल सेंटर बनाने की शुरुआत हो रही है. यह कॉल सेंटर उनको मिलने वाली सुविधाएं और उनके विशेषाधिकार के बारें में जानकारी देगा.
इसके अलावा किसी क्षेत्र में विपरीत परिस्थितयों का सामना कर रहे सांसदों की समस्या के लिए कॉल सेंटर के माध्यम से हल भी सुझाए जाएंगे.
लोकसभा सचिवालय से जुड़े एक सूत्र ने दिप्रिंट को बताया, ‘सांसदों के विशेष कॉल सेंटर पर काम शुरु हो गया है. कॉल सेंटर शुरु करने से पहले इसके लॉजिस्टिक प्रबंधन की व्यवस्था पर काम किया जा रहा है. सांसदों को जानकारी देने के मकसद से संभावित सैकड़ों सवाल और विपरीत परिस्थितयों के मौजूदा संदर्भों की रिपोर्ट तैयार कर, इनके जवाब तैयार किए जा रहे हैं. कोशिश है कि सांसदों को उनके अधिकतर सवालों के जवाब कॉल सेंटर के माध्यम से जल्द ही दे दिए जाएं. इसके अलावा नियम और कानून से जुड़े सवालों के जवाब भी पहले से तैयार किए जा रहे हैं.’
सूत्र के अनुसार, कॉल सेंटर को अधिकांश सवालों के जवाब जल्द मिल जाएं. इसके लिए लोकसभा सचिवालय की सभी शाखाओं से सांसदों की तरफ से आने वाले समस्याओं के बारें में जानकारी मांगी गई है. इससे सभी संभावित सवालों के हल के साथ ये कॉल सेंटर तैयार होंगे.
राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केन्द्र (एनआईसी) को इस कॉल सेंटर से जुड़े सॉफ्टवेयर बनाने और उसे स्थापित करने का ज़िम्मा सौंपा गया है.
सूत्रों के मुताबिक, ‘लोकसभा सचिवालय की तरफ से फिलहाल इसके स्टाफ की व्यवस्था की जाएगी. इस कॉल सेंटर का खर्च संबंधी काम सचिवालय ही देखेगा. फिलहाल अभी इस पर काम तेजी से चल रहा है. संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान इसके शुरु होने की पूरी संभावना है.’
सांसद निधि से जुड़े ज़्यादा सवाल
सचिवालय से जुड़े सूत्र के मुताबिक आमतौर पर सांसदों को सबसे ज्यादा सवाल उनकी सांसद निधि को लेकर होते हैं. इसलिए कॉल सेंटर में सांसद निधि योजना के कार्यान्वयन और तौर-तरीकों से लेकर इसके वर्तमान अपडेट की जानकारी देने की तैयारी भी की जा रही है.
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इनके अलावा केंद्र सरकार की एजेंसियों, राज्य सरकारों और ज़िला प्रशासन से जुड़े सवालों की भी तैयारी की जा रही है.
संसद के सदनों में पेश हो चुके विचाराधीन विधेयकों और विधायी प्रस्तावों से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी या फिर मौजूदा कानूनों से जुड़े सवालों का भी कॉल सेंटर के माध्यम से हल किया जाएगा.
कॉल सेंटर से सांसद जान सकते हैं कि सांसद किस नियम के तहत प्रश्न पूछते हैं. इसके अलावा वर्तमान में किस-किस विषय पर किस प्रकार के प्रश्न पूछे गए है. विषय के अनुसार भाषण और उसके तथ्यों की जानकारी मांगी जा सकती है.
पूर्व में पूछे गए प्रश्नों के मंत्रियों ने क्या जवाब दिए और अब तक इन पर संबंधित मंत्रालय ने क्या किया है. सांसद इस कॉल सेंटर के माध्यम से अपनी उपस्थिति और अनुपस्थिति का ब्यौरा भी मांग सकते हैं.
लोकसभा स्पीकर ओम बिरला कह चुके है कॉल सेंटर की बात
संसद के बजट सत्र के दौरान लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने सांसदों के लिए कॉल सेंटर बनाने की बात की थी. इस दौरान लोकसभा अध्यक्ष ने इसके माध्यम से सांसदों को ज्वलंत विषय से जुड़ी जानकारियां मुहैया करवाने की बात कही थी. इसके पीछे उनका मकसद था कि वह सदन में भाषण और विधयेक पर चर्चा के लिए पूरी तैयारी कर के आएं.
18 नवंबर से 13 दिसंबर तक चल सकता है शीतकालीन सत्र
संसद का शीलकालीन सत्र 18 नवंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चल सकता है. सत्र के संबंध में सरकार की तरफ से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है. लेकिन शीतकालीन सत्र को लेकर 16 अक्टूबर को मंत्रिमंडल की संसदीय मामलों की समिति की बैठक हुई थी. इस बैठक की अध्यक्षता केंद्रीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने की थी. इस बैठक में सत्र के 18 नवंबर से शुरू होकर 13 दिसंबर तक चलने के संकेत मिले थे.
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इस सत्र में सरकार दो महत्वपूर्ण अध्यादेशों को कानून बनाने की दिशा में काम करने की सोच रही है. एक अध्यादेश सितंबर में आयकर अधिनियिम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन के लिए जारी किया गया था. वहीं दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में ई-सिगरेट और इसी तरह के उपकरणों की बिक्री, निर्माण और भंडारण पर रोक से संबंधित है.