मुजफ्फरनगर : यूपी के मुज़फ्फरनगर जिले में हेडक्वार्टर से 17 किलोमीटर दूर बढीवाला गांव की एक 21 वर्षीय गैंगरेप पीड़िता गुड्डू (बदला हुआ नाम) ने न्याय ना मिलने पर विगत 5 अक्टूबर को अपने घर में फांसी लगाकर जान दे दी. मरने से पहले पीड़िता ने अपने हाथ पर चार नाम कलम से लिखे- मामा बिरजू, मामी अनीता, पिता के चाचा यशपाल और यशपाल की बहू पम्मी. गांव से लगभग 10 किलोमीटर दूर छपार थाने की पुलिस ने इस मामले में एफआईआर नंबर 364/19 और आईपीसी की धारा 306 (आत्महत्या के लिए उकसावा) के तहत मामला दर्ज किया है.
पर गैंगरेप पीड़िता के हाथ पर उसके पुरुष और महिला रिश्तेदारों के नाम कैसे आए?
दि प्रिंट ने गुड्डू के पिता सुभाष चंद से बात की तो पता चला कि 2015 से शुरू हुई ये कहानी ज्यादा भयावह है. सुभाष 2015 के मनहूस 28 अगस्त को याद करते हुए बताते हैं,’ ये वाली मेरी बेटी 17 साल की थी. वो पास के ही गांव रोहाना से घर आ रही थी. तब गांव के तीन लड़कों ने उसके साथ गैंगरेप किया. मुख्य आरोपी परवीन का घर तो हमारे घर से 100 गज दूर ही है. मुज़फ्फरनगर कोतवाली में पॉक्सो एक्ट के तहत मामला दर्ज हुआ था. हम केस लड़ना चाहते थे पर उसके बाद वो बहुत परेशान रहने लगी थी. इसलिए मैंने उसे और उसकी मां को मेरठ उसके मामा के घर भेज दिया.’
सुभाष के दो लड़के और तीन लड़कियां हैं. बड़े लड़के और दो लड़कियों की शादी हो चुकी है. गुड्डू की अभी शादी नहीं हुई थी, पर कहीं कहीं बातें चल रही थीं. सुभाष के लिए बेटी की शादी करना मुश्किल हो रहा था. पांच भाई, बहनों में सबसे छोटी गुड्डू ने 10वीं तक ही पढ़ाई की थी. गैंगरेप के बाद हुए एक और रेप के बाद उसकी पढ़ाई छूट गई थी. न ही परिवार के पास इतने पैसे थे कि आगे पढ़ा सकें. सुभाष की परचून की एक छोटी सी दुकान है. बड़ा लड़का जेसीबी मशीन पर काम करता है. कुछ भैंसें भी हैं, जिनसे थोड़ी मदद हो जाती है. गुड्डू के चार मामा हैं.
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प्रताड़ना का अंत यहीं नहीं हुआ
पर गुड्डू की प्रताड़ना का अंत यहीं नहीं हुआ. सुभाष बताते हैं,’ मामा बिरजू ने गैंगरेप की बात का फायदा उठाकर क दिन उसके साथ रेप कर दिया. पहले रेप के लगभग दो महीने बाद. उसकी मां ने मामा को कमरे से आपत्तिजनक हालत में निकलते हुए देखा तो गुस्से में मामा को चार-पांच थप्पड़ जड़ दिए. लड़की को लेकर वो मुज़फ्फरनगर आ गई. एक हफ्ते के भीतर हम तीनों उसके मामा के घर गए और रिश्तेदारों व पड़ोसियों के बीच उसे शर्मिंदा किया. हमने उससे 10 हजार उधार रुपए ले रखे थे. अपनी बाकी दो बेटियों की शादी भी करनी थी. इसलिए हमने समझौता कर लिया. बिरजू की पत्नी यानी गुड्डू की मामी ने इसमें बहुत दबाव डाला. मेरी बेटी इस बात से अक्सर दुखी रहती थी.’
सुभाष के मुताबिक मामा बिरजू यहीं तक नहीं रुका. वो बताते हैं,’ बाद में एक साल के भीतर ही हमने बिरजू के पैसे लौटा दिए. लेकिन बिरजू ने मेरी बेटी का चरित्र हनन करते हुए अफवाह फैला दी कि हमने 50 हजार में सौदा कर लिया है. उसके बाद हम मेरठ के दौराला पुलिस थाने रेप की एफआईआर दर्ज कराने गए. पुलिस ने हमारी एफआईआर नहीं लिखी. लेकिन हमारे पास उस वक्त की तहरीर है जिस पर पुलिस की मोहर लगी है. हमारी बेटी तब से ही परेशान रहने लगी थी कि हमने समझौता क्यों किया.’
गुड्डू वापस अपने घर रहने लगी, उसके बाद एक और घटना हुई. सुभाष इस बारे में बताते हैं,’ यशपाल मेरे चाचा हैं और यशपाल के बेटे की पत्नी पम्मी हैं. यशपाल और पमी, मेरी बेटी के साथ गाली-गलौच करते थे और अक्सर मारने की धमकियां देते थे. क्योंकि मेरी बेटी ने एक दिन दोनों को आपत्तिजनक स्थिति में देख लिया था. वो उनके घर फावड़ा लेने गई थी. उस दिन के बाद से ही उन्होंने उसे परेशान करना शुरू कर दिया. उसका चरित्रहनन करने लगे और रोज ताना मारने लगे. मेरी बेटी के लिए ये सब बर्दाश्त करना मुश्किल हो गया था.’
सुभाष के मुताबिक आरोपी यशपाल से भी उन्होंने 4 साल पहले 70 हजार रुपए लिए थे. जिसका ब्याज और कर्जा चकाते-चुकाते अब 17, 100 रुपए बच गए हैं. लेकिन यशपाल के परिवार का कहना है, ‘हमारे दो लाख रुपए खाए बैठा है. इसलिए झूठा नाम लगाया है. इन्होंने खुद अपनी बेटी को मारा है ताकि रिश्तेदारों के पैसे चुकाने से बच जाएं.’
एक साल पहले ही एफआईआर नंबर 1217/15 गैंगरेप के तीनों आरोपी भी पॉक्सो एक्ट के बावजूद जेल से जमानत पर बाहर आ गए थे. इस केस में गुड्डू के पिताजी 10 बार ही हाजिर रह सके.
परिवार की स्थिति इसके बाद बुरी हो गई. सारे रिश्तेदारों ने उन्हें छोड़ दिया. मजबूरी में नवंबर 2016 में दरौला थाने में परिवार ने तहरीर दी कि बिरजू और अनीता ने माफी मांग ली है और हम इसमें कोई कार्रवाई नहीं चाहते. बस वो अपनी बहन के साथ त्यौहार की रस्में निभाता रहे.
घर से महज 10 कदम दूर भैंसों के लिए बने छोटे से तबेले में बैठी मां अपनी बेटी की आखिरी बात याद करके रो रही हैं. इसी तबेले में पीड़िता ने दोपहर को फांसी लगाई थी. उस ‘मनहूस’ दिन को याद करते हुए मां बताती हैं, ‘उसने नवरात्रि का व्रत कर रखा था. सुबह का काम करके उसने चाय बनाई. हम दोनों ने चाय पी और फिर मैं खेतों में चली गई. मैं वापस 12 बजे लौटी तो उसे सामने लटके हुए पाया. मैंने चारा फेंका और उसे जाकर गोदी में उठा लिया. मुझे लगा वो जिंदा है. मैं एक कदम भी नहीं चल पा रही थी. मेरी आवाज नहीं निकल रही थी. मेरा कलेजा फट रहा था. मैं अपने घर तक पहुंचते-पहुंचते तीन बार गिरी. फिर इसके पापा आए…’
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पीड़िता के पिता ने पुलिस को बुलाया और फिर लाश का पोस्टमॉर्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया गया. रिश्तेदारों ने इस परिवार का लगभग बहिष्कार ही किया. छपार थाना एसएचओ के मुताबिक पोस्टमॉर्टम में प्रथमदृष्टया आत्महत्या का ही मामला आया है. पर छपार पुलिस लडकी के हाथ पर लिखे गए नामों की लिखावट को उसकी असली लिखावट से मैच करने की कोशिश कर रही है. अभी तक किसी भी आरोपी की गिरफ्तारी नहीं हुई है. चारों आरोपी फरार हैं.
छपार एसएचओ ने दिप्रिंट को बताया,’ हमारे पास ये कुनबा कभी रेप की शिकायत लिखाने नहीं आया है. लड़की के आत्महत्या करने के बाद धारा 306 के तहत अब मामला दर्ज हुआ है. हम सारे एंगल से जांच करेंगे.’