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Friday, 28 November, 2025
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न्यायालय ने धर्मांतरण रोधी कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर राजस्थान सरकार से जवाब मांगा

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(फाइल फोटो के साथ)

नयी दिल्ली, 28 नवंबर (भाषा) उच्चतम न्यायालय ने राजस्थान गैरकानूनी धर्मांतरण निषेध अधिनियम, 2025 की वैधता को चुनौती देने वाली एक याचिका पर राजस्थान सरकार से जवाब मांगा है।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ ने ‘पीपुल्स यूनियन फॉर लिबर्टीज’ और अन्य की याचिका पर राज्य सरकार को नोटिस जारी करके जवाब मांगा।

पीठ ने इसी मुद्दे से जुड़ीं अलग-अलग लंबित याचिकाओं से इस याचिका को जोड़ दिया।

वरिष्ठ अधिवक्ता संजय पारिख याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश हुए।

सॉलीसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को बताया कि इसी तरह के मामले उच्चतम न्यायालय के समक्ष लंबित हैं और इस याचिका को उसमें जोड़ देना चाहिए।

याचिकाकर्ताओं ने यह घोषित करने का अनुरोध किया है कि अधिनियम के प्रावधान ‘मनमाने, अनुचित, अवैध और संविधान के दायरे से बाहर’ हैं तथा अनुच्छेद 14 (कानून के समक्ष समानता) और अनुच्छेद 21 (जीवन व व्यक्तिगत स्वतंत्रता की सुरक्षा) समेत अन्य अनुच्छेदों का भी उल्लंघन करते हैं।

शीर्ष अदालत ने 17 नवंबर को अधिनियम की वैधता को चुनौती देने वाली एक अलग याचिका पर राजस्थान सरकार और अन्य से जवाब मांगा था।

शीर्ष अदालत ने राजस्थान में लागू अवैध धर्मांतरण रोधी कानून के कई प्रावधानों की वैधता को चुनौती देने वाली दो अलग-अलग याचिकाओं पर सुनवाई के लिए तीन नवंबर को सहमति व्यक्त की थी।

सितंबर में शीर्ष अदालत की एक अन्य पीठ ने कई राज्यों से उनके धर्मांतरण रोधी कानूनों पर रोक लगाने की मांग वाली अलग-अलग याचिकाओं पर उनका रुख पूछा था।

तब शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया था कि जवाब दाखिल होने के बाद वह ऐसे कानूनों के क्रियान्वयन पर रोक लगाने की याचिका पर विचार करेगी।

उस समय पीठ उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, उत्तराखंड, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, झारखंड और कर्नाटक समेत कई राज्यों में लागू किए गए धर्मांतरण रोधी कानूनों की संवैधानिक वैधता को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर विचार कर रही थी।

भाषा जोहेब नरेश

नरेश

जोहेब

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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