लखनऊ/झांसी : पिछले ढाई साल कार्यकाल में अपराधियों के एनकाउंटर को अपनी उपलब्धि बताने वाली योगी सरकार झांसी के खनन व्यापारी पुष्पेंद्र यादव के एनकाउंटर पर घिरती नजर आ रही है. दरअसल इस एनकाउंटर में परिजनों ने शव लेने से इंकार कर दिया जिसके बाद पुलिस ने रात में शव जला दिया. इसी कारण परिजन मामले में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र सिंह चौहान पर मर्डर का आरोप लगा रहे हैं और अब विपक्ष भी इस मुद्दे पर सरकार को घेरने में जुट गया है.
दरअसल बीते शनिवार देर रात करगुवां खुर्द इलाके के निवासी पुष्पेंद्र यादव का पुलिस ने एनकाउंटर कर दिया. पुष्पेंद्र के मारे जाने की खबर लगते ही लोगों में उबाल पैदा हो गया. पुलिस के मुताबिक गुरसराय इलाके में पुलिस टीम को देखकर पुष्पेंद्र ने फायरिंग कर दी. पुलिस की जवाबी कार्रवाई में गोली लगने से पुष्पेंद्र घायल हो गया. घायल आरोपी को लेकर पुलिस जिला अस्पताल पहुंची, जहां डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया. मामले में इंस्पेक्टर धर्मेंद्र की तहरीर पर एरच के करगुंवा गांव के रहने वाले विपिन, पुष्पेंद्र और रविंद्र के खिलाफ केस दर्ज हुआ था. परिजनों ने पुलिस मुठभेड़ को फर्जी बताते हुए पुलिस पर हत्या का आरोप लगाया है.
परिजनों का शव लेने से इंकार
पुलिस मुठभेड़ में मारे गए पुष्पेंद्र यादव का शव परिजनों ने अफसरों की तमाम मिन्नतों के बाद भी लेने से इंकार कर दिया. कई दौर में चली वार्ता के बाद भी परिजनों द्वारा आरोपित इंस्पेक्टर धर्मेंद्र के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की मांग एवं उसकी गिरफ्तारी को लेकर अड़े रहे. बात न बनने पर देर रात पुलिस पुष्पेंद्र के शव को लेकर झांसी आई जहां देर रात प्रेम नगर थाना क्षेत्र में श्मशान घाट पर पुष्पेंद्र का अंतिम संस्कार कर दिया. अंतिम संस्कार में परिजन शामिल नहीं थे.
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परिजनों ने लगाए मर्डर के आरोप
पुष्पेंद्र की पत्नी शिवांगी ने न्याय की मांग तेज कर दी है. दिप्रिंट से बातचीत में शिवांगी ने कहा कि पुलिस का ये आरोप गलत है कि पुष्पेंद्र ने पहले गोली चलाई. अगर चलाई होती तो कोई पुलिसवाला घायल तो होता. फिर पुलिस ने उसे क्यों मारा.
बता दें 28 वर्षीय पुष्पेन्द्र का विवाह शिवांगी के साथ करीब 3 माह पहले ही हुआ था. भाई रविन्द्र ने आरोप लगाया कि पुलिस उस पर अन्तिम संस्कार के लिए दबाव बना रही थी जबकि वह अपने भाई को न्याय दिलाने के लिए धरने पर बैठे थे. बाद में पुलिस ने खुद शव जला दिया. उनके मुताबिक ये एनकाउंटर नहीं हत्या है.
बता दें कि पुष्पेंद्र झांसी के करगुआं गांव का रहने वाला था. उसके पिता सीआईएसएफ में थे. पिता की मौत के बाद पुष्पेंद्र के बड़े भाई रविंद्र को उनकी जगह नौकरी मिल गई थी, जबकि पुष्पेंद्र का एक और भाई दिल्ली मेट्रो में नौकरी करता है. घर वालों के मुताबिक पुष्पेंद्र के पास दो ट्रक थे, जिनसे वह बालू और गिट्टी की ढुलाई करता था. पुलिस ने पहले तो उसके खिलाफ फर्जी केस किया और फिर एनकाउंटर में उसे मार दिया. घर वालों के के मुताबिक दिल्ली मेट्रो में नौकरी करने वाले पुष्पेंद्र के भाई पर पुलिस ने हत्या की कोशिश का केस दर्ज किया है. और उसे इस बात का पता तब चला, जब वह अपने भाई की मौत की खबर सुनकर झांसी आया था.
क्या है पुलिस का तर्क
एसएसपी डॉ. ओपी सिंह ने मीडिया से बातचीत में कहा कि कुछ दिन पहले मोंठ इंस्पेक्टर ने बालू माफिया की गाड़ी के खिलाफ कार्रवाई करते हुए सीज कर दी थी. एरच के करगुवां निवासी विपिन, पुष्पेंद्र व रविंद्र के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया गया था. 29 सितंबर को बालू से भरा ट्रक बंद किए जाने के विरोध में इंस्पेक्टर पर हमला किया गया था. घटना के बाद पुलिस ने हमलावरों की घेराबंदी करना शुरू कर दी थी. इसी दौरान रात को मुठभेड़ हुई जिसमें इस्पेक्टर पर हमला हुआ जिसके बाद जवाबी फायरिंग में पुष्पेंद्र को गोली लग गई.
जिलाधिकारी शिवसहाय अवस्थी ने एनकाउंटर मामले की मैजिस्ट्रेट जांच के आदेश दिए हैं. इसके लिए जांच अधिकारी अपर जिलाधिकारी (प्रशासन) बी. प्रसाद को नियुक्त किया गया है.
मुठभेड़ पर उठे सवाल
समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव ने इस मामले में योगी सरकार को घेरा है. वह बुधवार को पुष्पेंद्र के परिजनों से मिलने झांसी पहुंचे. इस दौरान उन्होंने परिवार वालों से कहा कि हम संघर्ष करेंगे और आपको न्याय दिलाएंगे. अखिलेश ने ये भी आरोप लगाया कि पुष्पेंद्र की पोस्टमार्टम रिपोर्ट परिवार से छुपाई गई. उन्होंने पुष्पेंद्र यादव के मामले सहित पूर्व में हुए सभी फर्जी एनकाउंटर की जांच हाईकोर्ट के किसी वर्तमान न्यायाधीश से कराने की मांग की जिससे सच्चाई सबके सामने आ सकेगी.
झाँसी में फ़र्ज़ी एनकाउंटर में मारे गए पुष्पेंद्र यादव को न्याय देने के बजाए उलटा शोकाकुल परिजनों पर झूठा मुक़दमा दर्ज! आरोपी एसओ धर्मेन्द्र सिंह पर दर्ज हो 302 का मुक़दमा।इस मामले समेत पूर्व में हुए सभी फ़र्ज़ी एनकाउंटरों की हाई कोर्ट के माननीय सिटिंग जज से जाँच कराने की माँग।
— Samajwadi Party (@samajwadiparty) October 7, 2019
राज्यसभा सांसद डॉ. चंद्रपाल सिंह यादव ने मुठभेड़ पर सवाल उठाते हुए पुलिस पर हत्या की रिपोर्ट दर्ज किए जाने की मांग की है. उन्होंने कहा की मोंठ पुलिस ने पुष्पेंद्र का ट्रक पकड़ा था, जिसे छोड़ने के लिए लेन-देन की बात चल रही थी, इसी को लेकर कल कहा-सुनी हुई थी. कार लेकर भागने वाली बात भी गलत है. रास्ते में कई थाने पड़ते हैं, ऐसे में उसे क्यों नहीं रोका गया.
वहीं योगी सरकार में मंत्री और पार्टी के प्रवक्ता सिद्धार्थनाथ सिंह का कहना है पुष्पेंद्र खनन माफिया था और अब समाजवादी पार्टी खनन माफिया के साथ खड़ी दिख रही है.
अखिलेश यादव जी का झाँसी में एनकाउंटर में मारे गए पुष्पेंद्र यादव के घर जाना खनन माफ़िया एवं जातिवाद के प्रति उनका लगाव ही है ।
एक माफ़िया जो एक प्रभारी इंस्पेक्टर को गोली मार दे और दोनों तरफ़ से गोली चलने के बाद मारा जाय उसके लिए सहानभूति रखना अखिलेश जी आपकी सोच को दर्शाता है । pic.twitter.com/MXVrIbpMuh
— Sidharth Nath Singh (@SidharthNSingh) October 7, 2019
पुलिस का दावा है कि एनकाउंटर से पहले पुष्पेंद्र के खिलाफ दो मुकदमे दर्ज थे. यही नहीं उसके ट्रक का अवैध खनन में दो बार चालान भी हो चुका था. पुष्पेंद्र यादव के आपराधिक इतिहास पर झांसी पुलिस ने दो ट्वीट कर जानकारी दी है. पुलिस के अनुसार एनकाउंटर से पहले पुष्पेंद्र पर दो मुकदमे दर्ज थे, इनमें 2014 में एक मुकदमा मारपीट और गाली-गलौज का था. वहीं 2015 में महिला को भगा ले जाने का एक मुकदमा दर्ज हुआ. दोनों ही मुकदमों के बाद पुष्पेंद्र पर निरोधात्मक कार्रवाई हुई थी.
इसके बाद अगले ट्वीट में झांसी पुलिस ने जानकारी दी है कि 2018 में दो बार अवैध खनन में पुष्पेंद्र के ट्रक का चालान हुआ. 29 सितंबर 2019 को मोंठ के इंस्पेक्टर धर्मेंद्र चौहान ने पुष्पेंद्र के ट्रक का चालान किया था.
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एनकाउंटर्स पर घिर रही सरकार
ये कोई पहला मौका नहीं है कि जब योगी सरकार एनकाउंटर पर घिरी हो. राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग भी उत्तर प्रदेश के दो पुलिस एनकाउंटर पर सवाल उठा चुका है. इनमें ग्रेटर नोएडा का सुमित गुर्जर एनकाउंटर और नोएडा में दरोगा द्वारा फर्जी एनकाउंटर शामिल है. इसके अलावा आयोग मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के एनकाउंटर पर दिए गए बयान पर भी सवाल उठा चुका है. मुख्यमंत्री आदित्यनाथ ने खुद एक न्यूज चैनल के साथ बातचीत में कहा था, ‘अगर अपराध करेंगे तो ठोक दिए जाएंगे.’
आंकड़ों के मुताबिक, योगी सरकार के 2.5 साल के कार्यकाल के दौरान 4,604 पुलिस मुठभेड़ हुईं. इनमें अब तक 94 अपराधी एनकाउंटर में ढेर हुए हैं, 1571 घायल हुए हैं. इस दौरान पुलिस ने 10098 अपराधियों को गिरफ्तार किया है. जबकि 5 पुलिसकर्मी भी शहीद हुए हैं, 742 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं.