नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) भारत ने शंघाई हवाई अड्डे पर अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय नागरिक को हिरासत में लिये जाने पर चीन की प्रतिक्रिया को मंगलवार को खारिज करते हुए कहा कि पूर्वोत्तर का यह राज्य देश का अभिन्न हिस्सा है।
इससे पहले पेमा वांग थोंगडोक नामक भारतीय महिला ने आरोप लगाया कि 21 नवंबर को शंघाई हवाई अड्डे पर चीनी आव्रजन अधिकारियों ने उन्हें 18 घंटे तक रोके रखा था और अरुणाचल प्रदेश जन्मस्थान होने की वजह से उनके भारतीय पासपोर्ट को मान्यता देने से इनकार कर दिया था।
चीनी विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को इन आरोपों को खारिज करते हुए कहा कि ये कार्रवाई नियमों के अनुसार थी। साथ ही, उसने अरुणाचल प्रदेश पर चीन के दावे को भी दोहराया।
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा, ‘‘हमने अरुणाचल प्रदेश की एक भारतीय नागरिक को मनमाने ढंग से हिरासत में लेने के संबंध में चीन के विदेश मंत्रालय द्वारा दिए गए बयान को देखा है। भारतीय नागरिक को उस समय हिरासत लिया गया जब वह शंघाई अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे से गुजर रही थी और उसके पास वैध पासपोर्ट था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘अरुणाचल प्रदेश भारत का अभिन्न और अविभाज्य हिस्सा है तथा यह एक स्वतःसिद्ध तथ्य है। चीनी पक्ष द्वारा किसी भी तरह का इनकार इस निर्विवाद वास्तविकता को बदलने वाला नहीं है।’’
जायसवाल ने कहा कि भारतीय नागरिक की हिरासत का मुद्दा चीनी पक्ष के समक्ष पुरजोर तरीके से उठाया गया है। उन्होंने कहा, ‘‘चीनी अधिकारी अब भी अपने कृत्यों के बारे में स्पष्टीकरण नहीं दे पाए हैं, जो अंतरराष्ट्रीय हवाई यात्रा को नियंत्रित करने वाले कई संधियों का उल्लंघन है।’’
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘चीनी अधिकारियों की कार्रवाई उनके अपने नियमों का भी उल्लंघन करती है, जो सभी देशों के नागरिकों को 24 घंटे तक वीजा-मुक्त आवागमन की अनुमति देते हैं।’’
भारत ने इस घटना पर चीन के समक्ष पहले ही कड़ा विरोध दर्ज कराया है।
महिला ने रविवार को ‘एक्स’ पर एक विस्तृत पोस्ट में, दावा किया, ‘‘मुझे 21 नवंबर 2025 को चाइना ईस्टर्न एयरलाइंस एवं चीनी आव्रजन अधिकारियों द्वारा शंघाई हवाई अड्डे पर 18 घंटे से अधिक समय तक रोके रखा गया। उन्होंने मेरे भारतीय पासपोर्ट को अवैध कहा, क्योंकि मेरा जन्मस्थान अरुणाचल प्रदेश है, जिसे उन्होंने चीनी क्षेत्र होने का दावा किया।’’
सूत्रों ने सोमवार को बताया था कि घटना वाले दिन ही बीजिंग और दिल्ली में चीनी पक्ष को एक कड़ा ‘डेमार्श’ (औपचारिक कूटनीतिक विरोध) दिया गया था।
भाषा धीरज सुरेश
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