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Tuesday, 25 November, 2025
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सट्टेबाजी की चपेट में तेल-तिलहन उद्योग, खाद्यतेलों के दाम धराशायी, मांग होने से मूंगफली में सुधार

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नयी दिल्ली, 25 नवंबर (भाषा) बाजार में सटोरिया गतिविधियों की संभावना के बीच स्थानीय बाजार में मंगलवार को अधिकांश तेल-तिलहनों के दाम धराशायी होते दिखे। दूसरी ओर, मांग बढ़ने के कारण मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार दर्ज हुआ।

बाजार धारणा प्रभावित रहने के बीच सरसों एवं सोयाबीन तेल-तिलहन, कच्चा पामतेल (सीपीओ) एवं पामोलीन तथा बिनौला तेल कीमतें गिरावट के साथ बंद हुईं।

दोपहर साढ़े तीन बजे मलेशिया एक्सचेंज लगभग 1.5 प्रतिशत से ज्यादा टूटा हुआ था। दूसरी ओर, कल रात (सोमवार) शिकागो एक्सचेंज लगभग एक प्रतिशत सुधार के साथ बंद हुआ था और फिलहाल यहां गिरावट है।

बाजार सूत्रों ने कहा कि मौजूदा समय में ऐसा प्रतीत होता है कि तेल-तिलहन बाजार सट्टेबाजों की चपेट में है। पिछले लगभग चार महीनों में इस समय सीपीओ का दाम अपने निचले स्तर पर है। ऊंचे दाम पर इस तेल की खरीद प्रभावित है और वैसे भी जाड़े में जम माने के गुण की वजह से इस तेल की मांग कम हो जाती है। लेकिन पिछले चार माह से मीडिया से बातचीत में कुछ प्रवक्ताओं को मलेशिया में आगे तेजी आने का अनुमान पेश करते पाया जाता था। लेकिन हकीकत में, मलेशिया निरंतर गिरावट का सामना कर रहा है क्योंकि मंहगे दाम की वजह से पाम-पामोलीन तेल कोई खरीद नहीं रहा और मलेशिया में इसका भंडार बढ़ रहा है।

उन्होंने कहा कि इसी प्रकार, बड़ी तेल मिलें सरसों के दाम को कभी बढ़ाते हैं तो कभी घटा देते हैं। उनकी इन गतिविधियों से छोटी पेराई मिलों को नुकसान उठाना पड़ रहा है। लेकिन इन तमाम सटोरिया गतिविधियों के बावजूद हाजिर बाजार इन मनगढंत तेजी का समर्थन करता नहीं दिखता। मलेशिया का हाजिर बाजार, पाम-पामोलीन की तेजी को चकनाचूर कर रहा है।

सूत्रों ने कहा कि सोयाबीन, सूरजमुखी, कपास, मूंगफली की न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) से काफी नीचे दाम पर बिक्री हो रही है लेकिन इस बारे में कभी किसी समीक्षक को चर्चा करते नहीं देखा जाता जबकि इन फसलों के नीचे दाम से किसान का हित, देश का तेल-तिलहनों के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने का सपना दांव पर लगा है।

उन्होंने कहा, ‘‘किसान कब तक अपनी फसल बिकने की बाट जोहते रहेंगे? सरकारी एमएसपी पर खरीद करने के तमाम आश्वासनों के बावजूद हाजिर बाजार में फिलहाल जरुरतमंद किसान अपनी फसल औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हो रहे हैं। केवल सरसों का दाम ही एमएसपी से अधिक है।’’

सूत्रों ने कहा कि साबुत खाने के साथ-साथ गुजरात की मांग के बीच मूंगफली तेल-तिलहन के दाम में सुधार है। मांग बढ़ने से मूंगफली में सुधार है और इस सुधार में किसी का कोई योगदान नहीं है। जमीन पर नजर दौड़ायें तो पायेंगे कि सुधार के बावजूद मूंगफली का दाम एमएसपी से (लगभग 10 प्रतिशत) काफी नीचे है। मौजूदा सुधार सोमवार के बंद भाव की तुलना में है।

सरकार को देशी तेल-तिलहनों का बाजार बनने की ओर अपना ध्यान देना होगा। वरना तेल-तिलहन उत्पादन बढ़ाने तथा हर वर्ष एमएसपी बढ़ाने से कोई फायदा नहीं होगा।

तेल-तिलहनों के भाव इस प्रकार रहे:

सरसों तिलहन – 7,050-7,100 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली – 6,450-6,825 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली तेल मिल डिलिवरी (गुजरात) – 15,250 रुपये प्रति क्विंटल।

मूंगफली रिफाइंड तेल – 2,470-2,770 रुपये प्रति टिन।

सरसों तेल दादरी- 14,600 रुपये प्रति क्विंटल।

सरसों पक्की घानी- 2,445-2,545 रुपये प्रति टिन।

सरसों कच्ची घानी- 2,445-2,580 रुपये प्रति टिन।

सोयाबीन तेल मिल डिलिवरी दिल्ली- 13,200 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन मिल डिलिवरी इंदौर- 12,850 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन तेल डीगम, कांडला- 10,100 रुपये प्रति क्विंटल।

सीपीओ एक्स-कांडला- 11,150 रुपये प्रति क्विंटल।

बिनौला मिल डिलिवरी (हरियाणा)- 12,400 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन आरबीडी, दिल्ली- 12,975 रुपये प्रति क्विंटल।

पामोलिन एक्स- कांडला- 11,975 रुपये (बिना जीएसटी के) प्रति क्विंटल।

सोयाबीन दाना – 4,600-4,650 रुपये प्रति क्विंटल।

सोयाबीन लूज- 4,300-4,400 रुपये प्रति क्विंटल।

भाषा राजेश राजेश रमण

रमण

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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