(अदिति खन्ना)
लंदन, 23 नवंबर (भाषा) फ्रांस ने मैसुरु के शासक टीपू सुल्तान की वंशज और द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान एक अंडरकवर ब्रिटिश एजेंट के रूप में फ्रांसीसी प्रतिरोध में अहम भूमिका निभाने वाली नूर इनायत खान की याद में एक विशेष डाक टिकट जारी किया है।
नूर भारतीय मूल की पहली ऐसी महिला हैं, जिनके नाम पर यह उपलब्धि दर्ज हुई है।
फ्रांस की डाक सेवा ‘ला पोस्ते’ ने द्वितीय विश्व युद्ध के खात्मे के 80 साल पूरे होने के मौके पर नाजी जर्मनी से लड़ाई में अहम भूमिका निभाने वाले 12 युद्ध नायकों और नायिकाओं के सम्मान में विशेष डाक टिकट जारी किए, जिनमें नूर भी शामिल हैं।
नूर की जीवनी ‘स्पाई प्रिंसेज : द लाइफ ऑफ नूर इनायत खान’ लिखने वाली लंदन निवासी लेखिका श्राबनी बसु ने कहा, “मुझे खुशी है कि फ्रांस ने नूर इनायत खान के सम्मान में डाक टिकट जारी किया है, खासकर इसलिए क्योंकि ऐसा द्वितीय विश्व युद्ध की समाप्ति के 80 साल पूरे होने पर किया गया है।”
उन्होंने कहा, “नूर ने फासीवाद के खिलाफ लड़ाई में अपनी जान कुर्बान कर दी। वह पेरिस में पली-बढ़ीं और इंग्लैंड में युद्ध में शामिल हुईं। फ्रांस में आम लोगों के लिए जारी किए गए डाक टिकट पर उनका चेहरा देखकर बहुत खुशी हो रही है।”
डाक टिकट पर नूर का जो चित्र प्रकाशित किया गया है, उसमें उन्होंने ब्रिटिश महिला सहायक वायु सेना (डब्ल्यूएएएफ) की वर्दी पहन रखी है।
वर्ष 1914 में मॉस्को में एक भारतीय सूफी संत पिता और अमेरिकी मां के घर जन्मी नूर-उन-निसा इनायत खान बचपन में ही लंदन चली गईं और फिर पढ़ाई के लिए पेरिस में बस गईं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान फ्रांस के पतन के बाद नूर का परिवार इंग्लैंड आ गया और वह (नूर) डब्ल्यूएएएफ में शामिल हो गईं।
आठ फरवरी 1943 को नूर स्पेशल ऑपरेशन्स एक्जीक्यूटिव (एसओई) में भर्ती हुईं। एसओई ब्रिटेन की एक खुफिया सेवा थी, जिसका गठन युद्ध के दौरान कब्जे वाले क्षेत्रों में जासूसी, हमले और टोह लेने के लिए किया गया था।
भाषा पारुल नरेश
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