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Sunday, 23 November, 2025
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कांग्रेस के मुंबई निकाय चुनाव अकेले लड़ने के फैसले से शिवसेना (उबाठा) में खलबली

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मुंबई, 23 नवंबर (भाषा) राजनीतिक पर्यवेक्षकों का कहना है कि अपने सहयोगी दल शिवसेना (उबाठा) की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (मनसे) के साथ बढ़ती नजदीकियों के कारण बीएमसी चुनाव अकेले लड़ने का कांग्रेस का कदम उत्तर भारतीय और मुस्लिम मतदाताओं को बचाने की उसकी चिंता से उपजा है, लेकिन इसने महा विकास आघाडी (एमवीए) में वैचारिक मतभेदों को भी उजागर कर दिया है।

इस कदम से महाराष्ट्र में कांग्रेस के भीतर भी आंतरिक मतभेद सामने आ गए, जहां नेताओं का एक वर्ग क्षेत्रीय राजनीतिक गतिशीलता के आधार पर चुनिंदा स्थानीय निकायों में राज ठाकरे के नेतृत्व वाली पार्टी के साथ गठबंधन करने के पक्ष में था, जबकि अन्य ने ऐसे किसी भी सहयोग का विरोध किया।

उद्धव ठाकरे के नेतृत्व वाली शिवसेना (उबाठा) ने कांग्रेस से स्वतंत्र रूप से चुनाव लड़ने के अपने फैसले पर पुनर्विचार करने की अपील की है, वहीं मुंबई कांग्रेस इकाई की अध्यक्ष वर्षा गायकवाड़ अकेले चुनाव लड़ने पर अडिग हैं।

कांग्रेस के लिए स्थिति हालांकि विचित्र है, क्योंकि महा विकास अघाडी के एक अन्य घटक, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरदचंद्र पवार) ने मनसे को साथ लेकर चुनाव लड़ने का समर्थन किया है।

गायकवाड़ के नेतृत्व में कांग्रेस के एक प्रतिनिधिमंडल ने हाल ही में चुनावी गठबंधन पर चर्चा के लिए एनसीपी (शप) अध्यक्ष शरद पवार से मुलाकात की।

राजनीतिक विशेषज्ञों के अनुसार, शिवसेना (उबाठा) को उम्मीद है कि पवार विपक्षी एकता के लिए कांग्रेस आलाकमान को मनसे के प्रति अपना रुख नरम करने के लिए मना लेंगे, जिसका साझा लक्ष्य भाजपा को हराना है।

राकांपा (शरदचंद्र पवार) नेता जितेंद्र अव्हाड ने कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं ने पवार से कहा है कि एमवीए सहयोगियों और भाजपा विरोधी दलों को मुंबई नगर निकाय चुनाव एक साथ लड़ना चाहिए।

कांग्रेस के एक नेता ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि मनसे के साथ गठबंधन को लेकर कांग्रेस में दो राय हैं। मनसे अपनी ‘धरती-पुत्र’ वाली राजनीति और उत्तर भारतीय प्रवासियों के खिलाफ आक्रामक रुख के लिए जानी जाती है।

उन्होंने कहा, “(मुंबई चुनावों के लिए) गठबंधन का विरोध करने वाले नेताओं का मानना ​​है कि शिवसेना (उबाठा) सीट के बंटवारे में अपनी बढ़त बनाए रखना चाहेगी, जैसा कि पिछले साल लोकसभा और विधानसभा चुनावों में हुआ था। मुंबई के नेता यहां पार्टी की स्थिति मजबूत करना चाहते हैं।”

उन्होंने बताया कि कांग्रेस नेताओं के एक वर्ग का मानता है कि राज ठाकरे के बदलते राजनीतिक रुख के कारण उन पर भरोसा नहीं किया जा सकता।

नेता ने नाम न बताने की शर्त पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, “हमने न्यूनतम साझा कार्यक्रम के साथ उद्धव ठाकरे से हाथ मिलाया। हमने उनसे हिंदुत्व एजेंडा छोड़ने के लिए नहीं कहा।”

उन्होंने कहा कि उद्धव मुंबई की राजनीति में शिवसेना (उबाठा) का नियंत्रण स्थापित करने के इच्छुक हैं, जो उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के साथ संबंधों को सुधारने के उनके कदम को स्पष्ट करता है।

कांग्रेस में एक अन्य वर्ग का मानना ​​है कि मनसे और शिवसेना (उबाठा) के साथ मिलकर चुनाव लड़ने से कांग्रेस को उन क्षेत्रों में भाजपा को हराने में मदद मिल सकती है, जहां वह (कांग्रेस) कमजोर स्थिति में है।

उन्होंने कहा, “इससे कांग्रेस विधायक दल के नेता विजय वड्डेटीवार का यह रुख स्पष्ट होता है कि भाजपा को करारी शिकस्त देने के लिए मनसे समेत विपक्ष का एकजुट होना जरूरी है। हालांकि, इससे यह धारणा बनती है कि कांग्रेस एक विभाजित गुट है।”

कांग्रेस प्रवक्ता सचिन सावंत ने शिवसेना सांसद संजय राउत की टिप्पणी का हवाला दिया कि एमवीए और इंडियन नेशनल डेवलपमेंटल इंक्लूसिव एलायंस (इंडिया) विधानसभा और लोकसभा चुनावों के लिए थे।

वरिष्ठ पत्रकार प्रकाश अकोलकर ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि कांग्रेस मनसे पर अपनी स्थिति और एमवीए सहयोगियों (नगर निकाय चुनावों के लिए) के साथ गठबंधन को लेकर दुविधा में है।

उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगा था कि बिहार चुनाव के बाद कांग्रेस अपना रुख स्पष्ट कर देगी। लेकिन, ऐसा लगता है कि उसमें दो राय हैं और पार्टी नेतृत्व को हस्तक्षेप करना चाहिए। व्यापक हित में, कांग्रेस को मुंबई में एमवीए गठबंधन के तहत चुनाव लड़ना चाहिए या गैर-हिंदू और गैर-मराठी मतों के बंटवारे का जोखिम उठाना चाहिए।”

अकोलकर ने कहा कि कांग्रेस का अकेले चुनाव लड़ने का कदम बीएमसी चुनावों में भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त कर सकता है।

राज्य में 246 नगर परिषदों और 42 नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर को होंगे, जबकि नगर निगम चुनाव जनवरी 2026 में होने की उम्मीद है।

भाषा प्रशांत सुरेश

सुरेश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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