नागपुर, 23 नवंबर (भाषा) राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (शरद चंद्र पवार) की नेता एवं लोकसभा सदस्य सुप्रिया सुले ने रविवार को कहा कि विकास कार्यों के ‘‘फंड’’ को मतदाताओं के समर्थन से जोड़ने वाला महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार का बयान बेहद गंभीर है और निर्वाचन आयोग को ऐसे बयानों पर सख्ती से नजर रखनी चाहिए।
उनकी पार्टी के प्रवक्ता महेश तपासे ने कहा कि निर्वाचन आयोग को तत्काल कार्रवाई करनी चाहिए, जबकि अजित पवार को सार्वजनिक रूप से माफी मांगनी चाहिए।
शुक्रवार को पुणे जिले की बारामती तहसील में मालेगांव नगर पंचायत चुनाव प्रचार के दौरान, राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के नेता अजित पवार ने मतदाताओं से कहा था कि अगर वे उनकी पार्टी के उम्मीदवारों को जिताते हैं तो शहर में ‘फंड’ की कोई कमी नहीं होगी, लेकिन यदि मतदाता उनके उम्मीदवारों को ‘रिजेक्ट’ करते हैं तो वे भी उन्हें ‘रिजेक्ट’ कर देंगे।
भाजपा-राकांपा-शिवसेना वाली महायुति सरकार में वित्त विभाग संभाल रहे पवार ने कहा था, “अगर आप राकांपा के सभी 18 उम्मीदवारों को जिताएंगे, तो मैं यकीन दिलाता हूँ कि फंड की कोई कमी नहीं होगी। लेकिन अगर आप ‘रिजेक्ट’ करेंगे, तो मैं भी आपको ‘रिजेक्ट’ कर दूंगा। आपके पास वोट हैं, और मेरे पास फंड।”
यहां संवाददाता सम्मेलन में सुले ने कहा, “एक मजबूत लोकतंत्र में इस तरह के बयानों पर नजर रखना (निर्वाचन आयोग की) नैतिक जिम्मेदारी है, लेकिन आजकल ऐसा होता दिखाई नहीं देता। मैंने खुद निर्वाचन आयोग में एक मामला लड़ा था, लेकिन सभी कागजात होने के बावजूद हमें न्याय नहीं मिला।”
बारामती से सांसद सुले ने दावा किया, “हमें निर्वाचन आयोग पर भरोसा और विश्वास रखना चाहिए, लेकिन दुर्भाग्यवश पिछले कुछ वर्षों में समाज और समाचारपत्रों में आयोग के प्रति असंतोष बढ़ा है।”
राकांपा (एसपी) प्रवक्ता तपासे ने कहा कि पवार की टिप्पणी लोगों के लोकतांत्रिक अधिकारों के खिलाफ सीधा हमला है।
उन्होंने कहा, “राज्य के वित्त मंत्री अजित पवार ने मतदाताओं से कहा कि ‘उनके पास वोट हैं, मेरे पास धन है’। उन्होंने चेतावनी दी कि अगर मतदाता उनके उम्मीदवारों का समर्थन नहीं करेंगे और उन्हें ‘रिजेक्ट’ करेंगे, तो बदले में वे विकास को भी ‘रिजेक्ट’ कर देंगे। लेकिन अगर उनके सभी 18 उम्मीदवार जीत जाते हैं, तो धन की कोई कमी नहीं होगी।”
तपासे ने कहा, “ये बयान सीधे-सीधे मतदाताओं को डराने-धमकाने जैसे हैं। भारत का संविधान असली ताकत जनता को देता है, और प्रभावशाली पद पर बैठा कोई भी व्यक्ति अगर मतदाताओं पर दबाव बनाने की कोशिश करता है तो यह लोकतंत्र पर सीधा हमला है। अजित पवार फंड के मालिक नहीं, बल्कि उसके संरक्षक हैं।”
उन्होंने सवाल किया, “राज्य के एक बड़े नेता द्वारा खुलेआम मतदाताओं को धमकाए जाने और सरकारी संसाधनों को राजनीतिक लाभ के लिए इस्तेमाल करने की कोशिश पर निर्वाचन आयोग कब तक चुप बैठा रहेगा? आयोग को कानून के अनुसार उपमुख्यमंत्री अजित पवार के खिलाफ तुरंत कार्रवाई करनी चाहिए।”
तपासे ने यह भी पूछा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और भाजपा का केंद्रीय नेतृत्व अपने सहयोगी दल के नेता के ऐसे बयान पर चुप कैसे रह सकता है और इसे सहन क्यों कर रहा है।
भाषा खारी नेत्रपाल
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