नयी दिल्ली, 23 नवंबर (भाषा) केंद्रीय गृह मंत्रालय ने रविवार को कहा कि चंडीगढ़ में ‘‘कानून बनाने को आसान करने’’ के प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है। मंत्रालय ने कहा कि इसका उद्देश्य केंद्र शासित प्रदेश और पंजाब तथा हरियाणा के बीच पारंपरिक व्यवस्था को बदलना नहीं है।
चंडीगढ़ पंजाब और हरियाणा की संयुक्त राजधानी है।
गृह मंत्रालय के प्रवक्ता ने एक बयान में कहा, ‘‘प्रस्ताव केवल केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के लिए केंद्र सरकार के कानून बनाने की प्रक्रिया को आसान बनाने से संबंधित है और यह अब भी केंद्र सरकार के पास विचाराधीन है। इस प्रस्ताव पर कोई आखिरी फैसला नहीं लिया गया है।’’
इस प्रस्ताव को लेकर पंजाब के नेताओं की चिंताओं को दूर करते हुए, मंत्रालय ने कहा कि यह प्रस्ताव किसी भी तरह से चंडीगढ़ के शासन या प्रशासनिक ढांचे को बदलने की कोशिश नहीं करता और न ही इसका उद्देश्य ‘‘चंडीगढ़ और पंजाब या हरियाणा राज्यों के बीच पारंपरिक व्यवस्थाओं’’ को बदलना है।
इसने कहा, ‘‘चंडीगढ़ के हितों को ध्यान में रखते हुए, सभी हितधारकों से अच्छी तरह सलाह-मशविरा करने के बाद ही कोई सही फैसला लिया जाएगा। इस मामले में किसी भी तरह की चिंता की कोई जरूरत नहीं है। केंद्र सरकार का संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में इस बारे में कोई विधेयक लाने का कोई इरादा नहीं है।’’
लोकसभा और राज्यसभा बुलेटिन के मुताबिक, केंद्र ने केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ को संविधान के अनुच्छेद 240 के दायरे में लाने का प्रस्ताव दिया है, जो राष्ट्रपति को केंद्र शासित प्रदेश के लिए नियम बनाने और सीधे कानून बनाने का अधिकार देता है।
इससे चंडीगढ़ में एक स्वतंत्र प्रशासक की नियुक्ति का मार्ग प्रशस्त हो सकता है, जैसा कि पहले एक स्वतंत्र मुख्य सचिव हुआ करते थे। इस कदम पर कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल और आम आदमी पार्टी ने तीखी प्रतिक्रिया दी है।
भाषा अमित नेत्रपाल
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