लखनऊ: लखनऊ में मंगलवार को उत्तर प्रदेश सरकार ने “इन्फ्रास्ट्रक्चरः विकसित उत्तर प्रदेश @2047 के लिए रणनीतिक हस्तक्षेप” विषय पर उच्च-स्तरीय कार्यशाला आयोजित की, जिसमें ऊर्जा और वैकल्पिक ऊर्जा क्षेत्रों पर विशेष चर्चा हुई. इस कार्यक्रम में वरिष्ठ अधिकारियों, उद्योग संगठनों, ऊर्जा विशेषज्ञों, नीति अनुसंधान संस्थानों और वित्तीय संस्थानों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया. कार्यशाला का उद्देश्य वर्ष 2047 तक उत्तर प्रदेश को स्वच्छ, विश्वसनीय, किफायती और टिकाऊ ऊर्जा उपलब्ध कराने के लिए दीर्घकालिक रणनीति बनाना था, जो विकसित भारत संकल्प @2047 के अनुरूप है.
ऊर्जा विभाग के अपर मुख्य सचिव नरेन्द्र भूषण ने 24×7 बिजली आपूर्ति, नवीकरणीय ऊर्जा विस्तार, विकेन्द्रीकृत ऊर्जा, ग्रिड स्थिरता, माइक्रो-ग्रिड, फ्लोटिंग सोलर, ग्रीन हाइड्रोजन और भविष्य की तकनीकों पर विस्तृत चर्चा की और प्रतिभागियों से मिले सुझावों को नीति में शामिल करने की बात कही.
UPPCL चेयरमैन आशीष गोयल ने कहा कि तकनीक की तेजी से बदलती प्रकृति के कारण 2047 के ऊर्जा लक्ष्य तय करना चुनौतीपूर्ण है, इसलिए नीतियों को लचीला रखते हुए वास्तविक जरूरतों के अनुसार लागू किया जाएगा. योजना विभाग के प्रमुख सचिव आलोक कुमार ने बताया कि स्मार्ट पोर्टल के माध्यम से विभिन्न वर्गों से मिले 1 करोड़ से अधिक सुझावों का AI के जरिए विश्लेषण किया जा रहा है, जिनसे क्षेत्रवार प्राथमिकताएँ तय होंगी. नीति आयोग के सलाहकार मनोज उपाध्याय ने कहा कि उत्तर प्रदेश की दीर्घकालिक ऊर्जा योजनाओं को क्रियान्वयन योग्य बनाना जरूरी है.
कार्यशाला में ऊर्जा विभाग और डिलॉएट द्वारा तैयार “Energy & Renewable Vision 2047” के तहत बड़े सौर पार्क, फ्लोटिंग सोलर, कैनाल-टॉप प्रोजेक्ट, विंड–सोलर हाइब्रिड मॉडल, छोटे हाइड्रो प्रोजेक्ट, बायोमास एवं CBG आधारित बिजली उत्पादन और ऊर्जा भंडारण प्रणालियों जैसे प्रस्ताव रखे गए.
CEEW ने मांग पूर्वानुमान और डिजिटल ग्रिड प्लानिंग पर सुझाव दिए, जबकि वसुंधा फाउंडेशन ने जलवायु-अनुकूल ऊर्जा योजनाओं और सामुदायिक ऊर्जा मॉडल पर प्रस्तुतिकरण दिया. उद्योग संगठनों जैसे CII, PHDCCI, IIA और SEVA ने बुंदेलखंड और पश्चिमी यूपी में सोलर मैन्युफैक्चरिंग क्लस्टर स्थापित करने, CBG और बायो-एनर्जी पार्क बनाने, MSMEs के लिए रूफटॉप सोलर और ग्रीन लोन उपलब्ध कराने और EV चार्जिंग व बैटरी स्टोरेज को बढ़ावा देने की मांग की. ऊर्जा डेवलपर्स जैसे अवाड़ा, JSW और अदाणी ग्रीन ने हाइब्रिड पार्क, मिनी हाइड्रो क्लस्टर्स और ग्रीन बैंकिंग नीतियों पर सुझाव दिए.
IIT कानपुर ने उन्नत ग्रीन हाइड्रोजन रिसर्च सेंटर बनाने का प्रस्ताव दिया, जबकि Intellismart और Tata Power ने 100% स्मार्ट मीटरिंग, डिजिटल सबस्टेशन और AI आधारित मांग पूर्वानुमान पर जोर दिया.
हरित वित्तपोषण के क्षेत्र में PFC और विशेषज्ञों ने ग्रीन बॉन्ड, ESG लोन, ब्लेंडेड फाइनेंस और VGF मॉडल अपनाने की सलाह दी, जिससे सौर पार्क, ग्रीन हाइड्रोजन और माइक्रो-ग्रिड परियोजनाओं को गति मिल सके. ग्रामीण क्षेत्रों में विकेन्द्रीकृत ऊर्जा के तहत टाटा पावर ने सोलर-आधारित कोल्ड स्टोरेज, फूड प्रोसेसिंग यूनिट्स, ई-रिक्शा चार्जिंग और डिजिटल शिक्षा केंद्र जैसे मॉडल पेश किए. शक्ति फाउंडेशन ने कृषि और ग्रामीण उद्योगों में ऊर्जा दक्षता बढ़ाने और स्वच्छ रसोई तकनीकों को अपनाने की जरूरत बताई.
उद्योग समूहों ने “ऊर्जा सुरक्षित ग्राम” अभियान को राज्यभर में शुरू करने का सुझाव दिया. कार्यशाला का समापन इस संकल्प के साथ हुआ कि 2030, 2040 और 2047 का ऊर्जा रोडमैप राज्य सरकार, उद्योग और शोध संस्थानों के समन्वित प्रयासों से लागू किया जाएगा और उत्तर प्रदेश वर्ष 2047 तक भारत का अग्रणी हरित ऊर्जा राज्य बनने के लक्ष्य को पूरा करेगा.
