नयी दिल्ली, 15 नवंबर (भाषा) उद्योग विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं का मानना है कि भारत उच्च गुणवत्ता वाली होम्योपैथिक दवाओं का वैश्विक केंद्र बनकर उभर रहा है। उन्होंने कहा कि पारंपरिक ज्ञान को उन्नत तकनीक, उच्च गुणवत्ता मानदंडों और सरकारी नीतिगत समर्थन के साथ जोड़कर यह क्षेत्र तेजी से विकसित हो रहा है।
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के ‘मेक इन इंडिया’ अभियान ने होम्योपैथिक दवा निर्माण में बड़े पैमाने पर आधुनिकीकरण को गति दी है और देश इस मामले में विश्व में अग्रणी बनने की ओर अग्रसर है।
एक विशेषज्ञ ने कहा कि औषधि एवं प्रसाधन सामग्री नियमों की अनुसूची एम-1 के तहत जीएमपी (अच्छे विनिर्माण व्यवहार) अनुपालन को लागू करके और आयुष औषधि गुणवत्ता एवं उत्पादन संवर्धन योजना जैसी योजनाओं को शुरू करके सरकार यह सुनिश्चित करती है कि प्रत्येक निर्माता अंतरराष्ट्रीय मानकों को पूरा करे।
उन्होंने कहा कि इन पहलों ने वैश्विक बाजारों में भारत की विश्वसनीयता को मजबूत किया है और भारतीय होम्योपैथिक उत्पादों में उपभोक्ताओं का विश्वास बढ़ाया है।
आयुष मंत्रालय के एक वरिष्ठ प्रतिनिधि राजेश्वर तिवारी ने कहा, ”हमारे प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत अपनी पारंपरिक चिकित्सा पद्धतियों को आधुनिक, निर्यातोन्मुखी उद्योगों के रूप में पुनर्परिभाषित कर रहा है।”
उन्होंने कहा, ”हमारा ध्यान होम्योपैथिक चिकित्सा के क्षेत्र में ‘मेड इन इंडिया’ को गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रामाणिकता का पर्याय बनाना है। सख्त जीएमपी मानकों, आयुष प्रीमियम प्रमाणन और अंतरराष्ट्रीय सहयोग के माध्यम से, हम समग्र स्वास्थ्य सेवा में भारत के वैश्विक नेतृत्व की नींव रख रहे हैं।”
होम्योपैथिक दवा बनाने वाली कंपनी एडवेन बायोटेक प्राइवेट लिमिटेड के सीईओ आदेश शर्मा ने इस क्षेत्र में भारत की नेतृत्व क्षमता पर भरोसा जताया। उन्होंने कहा, ”भारत होम्योपैथिक निर्माण में विश्वसनीयता और क्षमता के एक नए युग में प्रवेश कर चुका है। हमारे प्रधानमंत्री का मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण हमें अपनी पारंपरिक जड़ों से समझौता किए बिना वैश्विक स्तर का बुनियादी ढांचा बनाने के लिए प्रेरित करता है।”
भाषा पाण्डेय
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