बेंगलुरु, 13 नवंबर (भाषा) कर्नाटक मंत्रिमंडल ने बृहस्पतिवार को कर्नाटक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नीति, सूचना प्रौद्योगिकी नीति और स्थानीय आर्थिक त्वरक कार्यक्रम (एलईएपी) को मंज़ूरी दे दी।
कैबिनेट बैठक के बाद पत्रकारों को जानकारी देते हुए कर्नाटक के कानून और विधायी कार्य मंत्री एच.के. पाटिल ने कहा कि कर्नाटक अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी नीति 2025-30 को मंज़ूरी दे दी गई है।
उन्होंने कहा कि आर्थिक अवसरों, राज्य में समग्र वैज्ञानिक सोच को बढ़ाने की क्षमता और इस क्षेत्र के सामने आने वाली चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए नीति के पांच रणनीतिक स्तंभ होंगे जिनमें कौशल विकास पहल, निवेश प्रोत्साहन, बुनियादी ढांचा निर्माण, नवाचार और अपनाना एवं जागरूकता शामिल है।
सरकार ने वित्त विभाग की सहमति से पांच वर्षों में 445.5 करोड़ रुपये के अनुमानित बजट के साथ ‘कर्नाटक सूचना प्रौद्योगिकी नीति 2025-2030’ को लागू करने का संकल्प लिया है।
नई नीति का उद्देश्य कृत्रिम मेधा (एआई), ब्लॉकचेन, क्वांटम कंप्यूटिंग, ग्रीन-आईटी और उन्नत साइबर सुरक्षा जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों को बढ़ावा देना है।
मंत्री ने कहा, ‘‘नीति का उद्देश्य राज्य के पहले से ही मजबूत आईटी क्षेत्र के साथ एआई को सहजता से एकीकृत करना, कर्नाटक को एक वैश्विक एआई केंद्र बनाना, जिससे नए आर्थिक अवसर खुलेंगे, नवाचार को बढ़ावा मिलेगा और सार्वजनिक सेवा वितरण में सुधार होगा।’’
पाटिल ने बताया कि नीति मैसुरु, मंगलुरु, हुबली-धारवाड़, बेलगावी, तुमकुरु, कलबुर्गी और शिवमोग्गा जैसे उभरते शहरों में क्लस्टरों को विकसित करके संतुलित विकास पर जोर देती है।
विधि एवं पर्यटन मंत्री ने कहा कि स्थानीय आर्थिक त्वरक कार्यक्रम (एलईएपी) के तहत मंत्रिमंडल ने पांच वर्षों में 18.00 करोड़ रुपये के कुल बजट से रक्षा प्रौद्योगिकी और उद्योग में एक उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित करने और इस उत्कृष्टता केंद्र की स्थापना और संचालन के लिए आईआईटी धारवाड़ के धराती फाउंडेशन को कार्यान्वयन भागीदार के रूप में नामित करने का निर्णय लिया।
पाटिल के अनुसार, चालू वित्त वर्ष में एलईएपी कार्यक्रम के लिए 200 करोड़ रुपये का अनुदान प्रदान किया गया है, जिसका उद्देश्य राज्य भर में पांच लाख नए रोजगार सृजित करना है।
उन्होंने कहा कि मैसुरु, मंगलुरु, उडुपी-मणिपाल, हुबली-धारवाड़, बेलगावी और कलबुर्गी में नवाचार पारिस्थितिकी तंत्र विकसित किए जाएंगे। मंत्री ने कहा कि ‘इन्क्यूबेटर’, ‘एक्सेलरेटर’, उत्कृष्टता केंद्र और वैश्विक प्रौद्योगिकी केंद्र (जीटीसी) स्थापित करने के लिए जीवन-चक्र दृष्टिकोण अपनाया जाएगा।
डीपटेक विकास के लिए 100.00 करोड़ रुपये का एक कोष और 300.00 करोड़ रुपये का एक अन्य कोष (एफओएफ) स्थापित किया जाएगा। मंत्री ने आगे बताया कि बेंगलुरु के बाहर छह उत्कृष्टता केंद्र (सीओई) स्थापित किए जाएंगे।
भाषा संतोष नरेश
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