नयी दिल्ली, 13 नवंबर (भाषा)दिल्ली की एक अदालत ने धनशोधन के एक मामले में गिरफ्तार जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड के पूर्व प्रबंध निदेशक (एमडी) मनोज गौड़ को बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की पांच दिन की हिरासत में भेज दिया।
गौड़ को घर खरीददारों के साथ 14,599 करोड़ रुपये की ‘धोखाधड़ी’ से जुड़े मामले में एजेंसी ने दिन में गिरफ्तार किया था। उन्हें अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धीरेंद्र राणा के समक्ष पेश किया गया।
एजेंसी ने धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत गिरफ्तार गौड़ की सात दिन की हिरासत देने का अनुरोध किया था।
ईडी ने आरोप लगाया कि आवासीय परियोजनाओं के निर्माण और पूरा होने के लिए हजारों घर खरीददारों से एकत्रित धनराशि को निर्माण के अलावा अन्य उद्देश्यों में इस्तेमाल किया गया, जिससे खरीददारों के साथ धोखाधड़ी हुई और उनकी परियोजनाएं अधूरी रह गईं।
अदालत में सुनवाई के दौरान, ईडी के वकील अतुल त्रिपाठी ने दलील दी कि दो कंपनियों, जयप्रकाश एसोसिएट्स लिमिटेड (जेएएल) और जेपी इंफ्राटेक लिमिटेड (जेआईएल) ने क्रमशः जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स (नोएडा और ग्रेटर नोएडा) में आवासीय परियोजनाओं के निर्माण और पूरा करने के लिए 33,000 करोड़ रुपये से अधिक की राशि एकत्र की। हालांकि, लगभग 13,000 करोड़ रुपये अन्य उद्देश्यों में व्यय किये।
त्रिपाठी ने कहा, ‘‘हमें कई ऐसे लेन-देन मिले हैं जिनमें आपकी (गौड़ की) संलिप्तता पाई गई है। इस मामले की जांच करना हमारा कर्तव्य है। हमें सभी दस्तावेज़ों की जांच करनी होगी। वह सभी कंपनियों के प्रमुख लोगों में से एक हैं। अपनी जांच पूरी करने के लिए हम सात दिनों की हिरासत का अनुरोध कर रहे हैं।’’
गौड़ का पक्ष रखने वाले अधिवक्ता फारुख खान ने एजेंसी की याचिका का विरोध करते हुए कहा कि उनके मुवक्किल ने सभी दस्तावेज जमा कर दिए हैं, जांच में सहयोग कर रहे हैं और सभी सवालों के जवाब दिए हैं।
उन्होंने कहा कि 61 वर्षीय गौड़ मधुमेह और दमा के मरीज हैं, साथ ही आरोपों के संबंध में उनका बयान ईडी ने 2021 में दर्ज किया था।
ईडी ने जेपी विशटाउन और जेपी ग्रीन्स परियोजनाओं के घर खरीददारों द्वारा दायर की गई शिकायतों के आधार पर दिल्ली और उत्तर प्रदेश पुलिस की आर्थिक अपराध शाखा (ईओडब्ल्यू) ने कई प्राथमिकी दर्ज की थी। इन प्राथमिकियों के आधार पर ईडी ने जेपी समूह के खिलाफ जांच शुरू की।
भाषा धीरज नरेश
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