मुंबई, 13 नवंबर (भाषा) महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री रामराव आदिक की ‘‘विधवा’’ के रूप में धोखाधड़ी से पेंशन प्राप्त करने की आरोपी डॉक्टर को अग्रिम जमानत देते हुए यहां की एक अदालत ने कहा कि यह एक दीवानी मामला है और इसमें कोई आपराधिक इरादा नहीं है।
अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अविनाश कुलकर्णी ने 7 नवंबर को हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. लेखा पाठक की अर्जी स्वीकार कर ली, जो कथित धोखाधड़ी और जालसाजी के एक मामले का सामना कर रही हैं।
अदालत के आदेश की प्रति बृहस्पतिवार को उपलब्ध हुई।
न्यायाधीश ने कहा कि याचिकाकर्ता 79 वर्षीय एक प्रतिष्ठित डॉक्टर हैं जिन्होंने अधिकारियों के साथ पूरा सहयोग किया है, इसलिए उनसे हिरासत में पूछताछ की आवश्यकता नहीं है।
अदालत ने कहा, ‘‘यह विवाद मुख्य रूप से पेंशन के अधिकार के नागरिक पहलुओं से संबंधित है, और उनकी ओर से आपराधिक इरादे का कोई सबूत नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि उनकी ‘‘उम्र, खराब स्वास्थ्य, साफ सुथरी पृष्ठभूमि और जांच में सहयोग करने की इच्छा तथा इस सिद्धांत को ध्यान में रखते हुए कि केवल दीवानी विवादों के कारण आपराधिक कार्यवाही के माध्यम से अनावश्यक उत्पीड़न नहीं होना चाहिए, उन्हें अग्रिम ज़मानत दी जानी चाहिए।’’
अपनी अर्जी में, डॉ. पाठक ने दावा किया था कि उनके खिलाफ प्राथमिकी, महाराष्ट्र के पूर्व उपमुख्यमंत्री रामराव आदिक के बेटे और वकील पृथ्वीराज आदिक द्वारा दायर ‘‘पूरी तरह से बेतुकी और निरर्थक शिकायत’’ पर आधारित है।
पृथ्वीराज ने आरोप लगाया था कि अगस्त 2007 में उनके पिता की मृत्यु के बाद, डॉ. पाठक ने उनकी ‘‘विधवा’’ के रूप में पेंशन लेना शुरू कर दिया, हालांकि रामराव आदिक से उनकी (डॉ. पाठक की) कभी कानूनी रूप से शादी नहीं हुई थी।
अभियोजन पक्ष ने अर्जी का विरोध करते हुए दलील दी कि यह पड़ताल करना ज़रूरी है कि उन्हें पेंशन कैसे स्वीकृत की गई।
अदालत ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद कहा कि पुलिस के पास सभी दस्तावेज मौजूद हैं और ‘‘आवेदक/आरोपी से हिरासत में पूछताछ की जरूरत नहीं है।’’
अदालत ने कहा कि डॉ. पाठक को गिरफ्तारी की स्थिति में 15,000 रुपये के निजी मुचलके और इतनी ही राशि की ज़मानत पर रिहा किया जाए। साथ ही, उन्हें अगले तीन महीनों तक या आरोपपत्र दाखिल होने तक हर मंगलवार को मरीन ड्राइव पुलिस थाने में उपस्थित होने का निर्देश दिया गया।
भाषा सुभाष पवनेश
पवनेश
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