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Tuesday, 11 November, 2025
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भारत के 86 प्रतिशत किसान कृषि प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण की पहुंच से बाहर : रिपोर्ट

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नयी दिल्ली, 11 नवंबर (भाषा) भारत को प्रौद्योगिकी से अभी भी अछूते अधिकांश किसानों तक पहुंचने के लिए खंडित कृषि नवाचार से हटकर राज्य-स्तरीय परीक्षण मंच और एकीकृत डेटा ढांचे के माध्यम से प्रणालीगत एकीकरण की ओर बढ़ना होगा। उद्योग मंडल एसोचैम की मंगलवार को जारी एक रिपोर्ट में यह बात कही गई है।

उद्योग निकाय ने कहा कि 86 प्रतिशत किसान अभी भी अधिकांश कृषि-प्रौद्योगिकी नवोन्मेषण की पहुंच से बाहर हैं, और प्रौद्योगिकी के सत्यापन, व्यावसायीकरण और छोटे किसानों तक उनकी पहुंच के तरीके में मूलभूत परिवर्तन की आवश्यकता है।

रिपोर्ट में कहा गया, ‘‘भविष्य के लिए तैयार कृषि प्रणाली की ओर भारत की यात्रा इस बात से परिभाषित होगी कि वह प्रौद्योगिकी को समावेशन के साथ, डेटा को निर्णय लेने के साथ और नवाचार को प्रभाव के साथ कितनी प्रभावी ढंग से एकीकृत करता है।’’

एसोचैम की रिपोर्ट में वास्तविक दुनिया की परिस्थितियों में प्रौद्योगिकी के परीक्षण के लिए सहयोगी परीक्षण स्थल के रूप में काम करने को राज्य-स्तरीय कृषि-तकनीकी सैंडबॉक्स स्थापित करने की सिफारिश की गई है। प्रस्तावित सैंडबॉक्स सरकारी एजेंसियों, स्टार्टअप और अनुसंधान संस्थानों को पूर्ण पैमाने पर तैनाती से पहले समाधान को सत्यापित करने के लिए एक साथ लाएंगे।

रिपोर्ट में कहा गया है कि 90 से ज़्यादा आईसीएआर संस्थान, 60 राज्य कृषि विश्वविद्यालय और 700 से ज़्यादा कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) होने के बावजूद, भारत में उभरती कृषि प्रौद्योगिकी के परीक्षण के लिए एक एकीकृत प्रणाली का अभाव है।

वर्तमान तंत्र खंडित और धीमा बना हुआ है, जिससे नवाचार के लिए स्पष्ट सत्यापन के रास्ते नहीं खुल पा रहे हैं।

प्रत्येक सैंडबॉक्स राज्य कृषि विभागों के भीतर स्थापित होगा, जिसमें आईसीएआर संस्थानों, राज्य कृषि विश्वविद्यालयों और नाबार्ड सहित संबद्ध विभागों और भागीदारों की हिस्सेदारी होगी।

कृषि मंत्रालय और नीति आयोग की सह-अध्यक्षता वाली एक राष्ट्रीय संचालन समिति शासन और वित्तपोषण की देखरेख करेगी।

रिपोर्ट में कहा गया है कि कृषि डेटा वर्तमान में अलग-अलग जगहों पर मौजूद है – आईसीएआर और राज्य कृषि विश्वविद्यालयों के साथ अनुसंधान परीक्षण, राज्य विपणन बोर्ड के साथ बाजार डेटा और निजी कृषि-तकनीक स्टार्टअप के साथ कृषि-स्तरीय डेटा।

यह विखंडन उन अत्याधुनिक नवोन्मेषण के विकास को सीमित करता है जो सत्यापित डेटा पर निर्भर करते हैं।

एसोचैम ने एफएओ द्वारा अनुशंसित सिद्धांतों पर आधारित एक ‘कृषि डेटा कॉमन्स’ की स्थापना का आह्वान किया, जिससे डेटा खोजने योग्य, सुलभ, अंतर-संचालन योग्य और पुन: प्रयोज्य हो सके।

रिपोर्ट में विश्व आर्थिक मंच के साथ विकसित तेलंगाना के कृषि डेटा एक्सचेंज (एडीईएक्स) को सुरक्षित, मानक-संचालित डेटा साझाकरण के एक मॉडल के रूप में उद्धृत किया गया है।

भाषा राजेश राजेश अजय

अजय

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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