नयी दिल्ली, नौ नवंबर (भाषा) भारत के 28 युवा परिवर्तनकर्ताओं ने जिनेवा में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में आयोजित नौवें 1एम1बी इंपैक्ट शिखर सम्मेलन में कृत्रिम बुद्धिमत्ता (एआई) और स्थिरता-केंद्रित एसडीजी परियोजनाओं का प्रदर्शन किया।
संयुक्त राष्ट्र से मान्यता प्राप्त गैर-लाभकारी संस्था 1एम1बी (वन मिलियन फॉर वन बिलियन) की ओर से शुक्रवार को आयोजित इस शिखर सम्मेलन का विषय ‘हरित कौशल और युवा जलवायु कूटनीति के साथ भविष्य को सशक्त बनाना : 1.5 डिग्री सेल्सियस के लिए जमीनी स्तर पर कार्रवाई’ रखा गया था।
शिखर सम्मेलन में मुख्य भाषण जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय की महानिदेशक तातियाना वालोवाया ने दिया। इसमें वैश्विक स्थिरता और जलवायु कूटनीति को बढ़ावा देने में युवाओं के नेतृत्व वाले नवाचार की अहम भूमिका को रेखांकित किया गया।
शिखर सम्मेलन में भारत के 28 और संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) एवं अमेरिका के दो-दो युवा परिवर्तनकर्ताओं ने हिस्सा लिया, जिन्होंने एआई, जलवायु लचीलापन, स्वास्थ्य, शिक्षा, स्वच्छ जल और चक्रीय अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में परिवर्तनकारी परियोजनाएं प्रदर्शित कीं।
भारतीय प्रतिनिधिमंडल में शामिल दिल्ली-एनसीआर (राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र), बेंगलुरु, हैदराबाद और मुंबई के युवाओं ने भारत में नवाचार की व्यापकता पर प्रकाश डाला।
भारतीय युवा परिवर्तनकर्ताओं ने जिन परियोजनाओं का प्रदर्शन किया, उनमें आद्या कंचन (बेंगलुरु) की ‘एनआईआरआई’, अयाना (गुरुग्राम) की ‘भूमि’ और सुदीक्षा (बेंगलुरु) की ‘ख्लोर’ परियोजनाएं प्रमुख हैं।
‘एनआईआरआई’ जहां व्यक्तिगत कार्रवाई के जरिये जल संरक्षण को बढ़ावा देने वाला एक आईओटी (इंटरनेट ऑफ थिंग्स) केंद्रित मंच है, वहीं ‘भूमि’ टिकाऊ खेती के लिए एक किफायती एआई-आधारित स्मार्ट मृदा परीक्षण समाधान और ‘ख्लोर’ जागरूक खरीदारों को सत्यापित टिकाऊ फैशन ब्रांड से जोड़ने वाला एक फैशन मंच है।
गुरुग्राम की समायरा क्रिस्टी डैनियल ने ‘अनबॉक्स्ड’ नामक परियोजना पेश की, जो हरित कल के लिए रोजमर्रा की पैकेजिंग में बदलाव पर केंद्रित है। वहीं, वडोदरा की यश्वी त्रिवेदी ने ‘ब्लूम’ नामक परियोजना का प्रदर्शन किया, जो समावेशी मासिक धर्म स्वास्थ्य शिक्षा के जरिये किशोरियों को सशक्त बनाती है।
जिनेवा स्थित संयुक्त राष्ट्र कार्यालय में गाम्बिया के स्थायी प्रतिनिधि मुहम्मदौ एमओ काह ने कहा कि 1एम1बी इंपैक्ट शिखर सम्मेलन में “अगली पीढ़ी एक न्यायसंगत, टिकाऊ और समावेशी भविष्य की ओर ले जाने वाला मार्ग तैयार कर रही है।”
उन्होंने कहा, “आज, जब हम हरित कौशल, एआई कौशल और युवा जलवायु कूटनीति के साथ भविष्य को सशक्त बनाने के लिए एकजुट हुए हैं, तो 1एम1बी जैसे मंच एक महत्वपूर्ण उत्प्रेरक के रूप में काम करते हैं, जो युवाओं को हरित कौशल विकसित करने, एआई में महारत हासिल करने और नीतियों को प्रभावित करने तथा स्थानीय एवं वैश्विक समाधानों को बढ़ावा देने वाले जलवायु राजदूत बनने के लिए सशक्त बनाते हैं।”
शिखर सम्मेलन में ‘युवा जलवायु कूटनीति कार्यक्रम’ की औपचारिक शुरुआत की गई, जो ‘1.5 मैटर्स’ के तहत एक प्रमुख पहल है। ‘1.5 मैटर्स’ 1एम1बी के संस्थापक मानव सुबोध की ओर से शुरू किया गया एक वैश्विक आंदोलन है, जिसे 1एम1बी ग्रीन स्किल्स अकादमी का समर्थन हासिल है।
वैश्विक तापमान वृद्धि को 1.5 डिग्री सेल्सियस तक सीमित रखने के पेरिस जलवायु समझौते के लक्ष्य के अनुरूप, इस कार्यक्रम का मकसद जलवायु कार्रवाई में तेजी लाना और युवाओं को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भारत का प्रतिनिधित्व करने के लिए तैयार करना है, जो हरित नवाचार और स्थिरता में भारत के बढ़ते नेतृत्व को दर्शाता है।
भाषा पारुल सुरेश
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