न्यूयॉर्क, पांच नवंबर (भाषा) जोहरान ममदानी की शानदार जीत ने अमेरिकी मीडिया और राजनीति के बीच की खाई को और गहरा कर दिया है, क्योंकि एक वर्ग इसे राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के खिलाफ जनादेश और डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट के उभार के रूप में देखता है, जबकि दूसरा इसकी तुलना मार्क्सवाद के उदय से करता है।
भारतीय मूल के डेमोक्रेट ममदानी ने न्यूयॉर्क शहर के महापौर पद के लिए हुए चुनाव में ट्रंप समर्थित निर्दलीय उम्मीदवार एंड्रयू कुओमो और रिपब्लिकन कर्टिस स्लीवा को हराया। ममदानी के अलावा, उनकी पार्टी की सहयोगी मिकी शेरिल को न्यू जर्सी का गवर्नर चुना गया, अबीगैल स्पैनबर्गर वर्जीनिया की गवर्नर बनीं, तथा भारत में जन्मीं गजाला हाशमी डिप्टी गवर्नर चुनी गईं।
पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा ने कहा, ‘‘यह हमें याद दिलाता है कि जब हम मजबूत और दूरदर्शी नेताओं के साथ एकजुट होते हैं, जो महत्वपूर्ण मुद्दों को ध्यान में रखते हैं, तो हम जीत सकते हैं। हमें अब भी बहुत काम करना है और भविष्य उज्ज्वल दिख रहा है।’’
हालांकि, इस जीत ने डेमोक्रेटिक पार्टी के भीतर की दरार को भी उजागर कर दिया है। विशेषज्ञों का कहना है कि जहां कुछ लोग उन्हें पार्टी का भविष्य मानते हैं, वहीं कुछ उनकी जीत को पार्टी के भीतर डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट के उभार के रूप में देखते हैं।
‘द गार्जियन’ अखबार में चुनाव से पहले छपे एक आलेख में कहा गया था, ‘‘ममदानी और कुओमो डेमोक्रेटिक पार्टी के दो बिल्कुल अलग धड़ों का प्रतिनिधित्व करते हैं, जिसकी लोकप्रियता राष्ट्रीय स्तर पर कम होती जा रही है; एक बेहद अलोकप्रिय और बेहद निराशाजनक हैं, जबकि दूसरा सचमुच महत्वाकांक्षी और रोमांचक हैं। न्यूयॉर्कवासियों ने संकेत दे दिया है कि अमेरिका के लिए उन्हें किसके दृष्टिकोण पर भरोसा करना चाहिए।’’
अंतरराष्ट्रीय मामलों के विशेषज्ञ सी राजा मोहन ने बुधवार को अखबार ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित एक लेख में लिखा, ‘‘ममदानी डेमोक्रेटिक सोशलिस्ट्स ऑफ अमेरिका (डीएसए) से संबंधित हैं, जिसकी स्थापना 1982 में कई प्रगतिशील आंदोलनों के विलय से हुई थी और अब यह अमेरिका का सबसे बड़ा समाजवादी संगठन बन गया है।’’
राजा मोहन ने कहा, ‘‘ममदानी का उभार अमेरिकी घरेलू राजनीति में मौजूदा उथल-पुथल और अमेरिका की राजनीतिक आत्मा के लिए चल रही प्रतिस्पर्धा को रेखांकित करता है।’’
इस बीच, अमेरिकी मीडिया ने ममदानी की जीत के बाद एक समानांतर बहस छेड़ दी है। मीडिया के एक वर्ग ने ममदानी की जीत को लोकतांत्रिक राजनीति की एक नयी धारा की शुरुआत बताया जो न केवल प्रगतिशील है, बल्कि समाजवादी, महत्वाकांक्षी और रोमांचक भी है।
‘वाशिंगटन पोस्ट’, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ और ‘द वॉल स्ट्रीट जर्नल’ जैसे मीडिया संस्थानों ने ममदानी की जीत को एक लोकतांत्रिक समाजवादी की सफलता बताया।
‘वाशिंगटन पोस्ट’ ने इस बात पर प्रकाश डाला है कि “शासन का लगभग कोई अनुभव न रखने वाला एक सोशलिस्ट न्यूयॉर्क के महापौर पद का प्रमुख उम्मीदवार कैसे बन गया?”
वहीं, ‘द न्यूयॉर्क टाइम्स’ की शीर्षक में कहा गया है, “कैसे ज़ोहरान ममदानी ने न्यूयॉर्क के अभिजात वर्ग को हराया और महापौर चुने गए।”
‘वॉल स्ट्रीट’ के एक लेख का शीर्षक था, ‘‘कैसे ममदानी एक अल्पज्ञात समाजवादी प्रतिनिधि से न्यूयॉर्क शहर के महापौर बन गए।’’
हालांकि, ‘फॉक्स न्यूज़’ और ‘द न्यू यॉर्क पोस्ट’ जैसे मीडिया के दूसरे धड़े ने ममदानी की जीत को एक चुनौती माना और इसे ‘समाजवादी प्रयोग’ और ‘मार्क्सवाद का उभार’ बताया।
न्यूयॉर्क पोस्ट ने इसे “मार्क्सवाद का उदय” कहा, जिसमें ममदानी की ‘हंसिया और हथौड़ा’ थामे हुए एक एनिमेटेड तस्वीर भी शामिल थी।
भाषा आशीष धीरज
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