तिरुवनंतपुरम, पांच नवंबर (भाषा) केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने बुधवार को घोषणा की कि राज्य मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के कार्यान्वयन को कानूनी रूप से चुनौती देगा। यह निर्णय मुख्यमंत्री द्वारा यहां ऑनलाइन आयोजित एक सर्वदलीय बैठक में लिया गया।
एक आधिकारिक विज्ञप्ति में कहा गया है कि भाजपा को छोड़कर सभी दलों ने सरकार के इस कदम का समर्थन किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि स्थानीय निकाय चुनाव नजदीक आने के साथ, सरकार और राजनीतिक दल, दोनों ही एसआईआर पर सवाल उठाने के तरीके पर कानूनी सलाह लेंगे।
उन्होंने कहा कि 2002 की मतदाता सूची के आधार पर विशेष गहन पुनरीक्षण करना, जबकि पिछले लोकसभा चुनाव की एक अद्यतन सूची पहले से ही लागू है, ‘‘अवैज्ञानिक’’ है और इसमें ‘‘दुर्भावनापूर्ण इरादा’’ निहित है।
कई राजनीतिक दलों ने चिंता व्यक्त की है कि 2002 की मतदाता सूची को आधार के रूप में इस्तेमाल करने से कई समस्याएं पैदा होंगी। उन्होंने आरोप लगाया कि एसआईआर एक विशिष्ट गुप्त उद्देश्य से किया जा रहा है।
केरल विधानसभा में विपक्ष के नेता वी.डी. सतीशन ने कहा कि वह मुख्यमंत्री द्वारा उठाई गई चिंताओं से पूरी तरह सहमत हैं और अगर मामला अदालत में जाता है तो वह इसमें पक्ष बनने के लिए तैयार हैं।
माकपा के राज्य सचिव एम.वी. गोविंदन ने इस कदम (एसआईआर) को ‘असंवैधानिक और लोकतंत्र-विरोधी’ बताया।
यह बैठक राज्य में निर्वाचन आयोग द्वारा एसआईआर प्रक्रिया शुरू करने के बाद, बूथ स्तरीय अधिकारियों (बीएलओ) द्वारा गणना फॉर्म वितरित करने और एकत्र करने के लिए घरों का दौरा शुरू करने के एक दिन बाद आयोजित की गई।
सर्वदलीय बैठक में भाग लेने वालों में पी सी विष्णुनाध (कांग्रेस), सत्यन मोकेरी (भाकपा), पी के कुन्हालीकुट्टी (आईयूएमएल), स्टीफन जॉर्ज (केरल कांग्रेस एम), पी जे जोसेफ (केरल कांग्रेस), मैथ्यू टी थॉमस (जनता दल सेक्युलर), थॉमस के थॉमस (राकांपा), उझावलिक्कल वेणुगोपाल (कांग्रेस एस), के जी प्रेमजीत (केरल कांग्रेस बी), एडवोकेट शाजी जीएस पणिक्कर (आरएसपी लेनिनवादी) शामिल थे।
भाषा वैभव प्रशांत
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