नयी दिल्ली, चार नवंबर (भाषा) वायुसेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने मंगलवार को सेना के लिए प्रस्तावित ‘थिएटर’ संबंधी योजना पर कहा कि तीनों सेनाओं के बीच तालमेल के लिए एक नया ढांचा बनाने का कोई भी फैसला राष्ट्रीय हित में होगा और इस पर विचार-विमर्श चल रहा है।
एक संवाद सत्र में एयर चीफ मार्शल ने ड्रोन के इस्तेमाल से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए तीनों सेनाओं, अर्धसैनिक बलों और कुछ नागरिक संस्थाओं को मिलाकर एक संयुक्त ढांचा बनाने की भी वकालत की।
उन्होंने कुछ हलकों में इस धारणा को भी खारिज किया कि भारतीय वायुसेना (आईएएफ) सुधार पहल का विरोध कर रही है और सुझाव दिया कि नए सुधार उपाय को सावधानीपूर्वक चर्चा और विश्लेषण के बाद आगे बढ़ाया जाना चाहिए।
‘भारत शक्ति’ द्वारा आयोजित भारत रक्षा सम्मेलन में उन्होंने कहा, ‘‘मैं यह नहीं कह रहा हूं कि हमें एक और ढांचे की जरूरत नहीं है। हमें एक और संयुक्त ढांचे की जरूरत हो सकती है। लेकिन मेरा मानना है कि हम कहीं और मौजूद कुछ संरचनाओं पर भरोसा न करें और यह न कहें कि यह हमारे लिए उपयुक्त होगा।’’
एयर चीफ मार्शल सिंह से इस धारणा के बारे में पूछा गया कि भारतीय वायुसेना, खासकर ऑपरेशन सिंदूर के बाद, थिएटर गठित करने की योजना का विरोध कर रही है।
उन्होंने कहा, ‘‘आइए देखें कि आज हमारे पास क्या है, हम कहां चूक गए या क्या हम चूके। अगर नहीं, तो हमने क्या अच्छा किया। आइए इसे और अधिक औपचारिक रूप दें।’’
वायुसेना प्रमुख ने कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ तीनों सेनाओं के तालमेल का प्रतिबिंब था क्योंकि तीनों सेनाएं एक टीम के रूप में काम कर रही थीं।
उन्होंने कहा, ‘‘हो सकता है कि इस बार एक-दूसरे के साथ हमारे अपने व्यक्तिगत समीकरण काम आए। कल, ऐसा नहीं हो सकता है। क्योंकि हम सभी इंसान हैं। कुछ लोगों के विचारों में थोड़े-बहुत मतभेद होंगे। अगर एक औपचारिक ढांचा होगा, तो इससे हमें मदद मिलेगी।’’
वायुसेना प्रमुख ने संकेत दिया कि सुधार उपायों पर चर्चा और विचार-विमर्श चल रहा है।
उन्होंने कहा, ‘‘इसके लिए मॉडल क्या होना चाहिए, क्या मुझे चरणबद्ध तरीके से आगे बढ़ना चाहिए या एक ही बार में पूरी ताकत लगा देनी चाहिए। इस पर चर्चा चल रही है।’’ उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि निर्णय ‘राष्ट्र पहले’ के दृष्टिकोण पर आधारित होगा।
उन्होंने कहा, ‘‘आखिरकार जो भी फैसला लिया जाएगा, वह देशहित में होगा।’’
‘थिएटर मॉडल’ के तहत, सरकार थलसेना, वायुसेना और नौसेना की क्षमताओं को एकीकृत करना चाहती है और युद्धों तथा अभियानों के लिए उनके संसाधनों का बेहतर उपयोग करना चाहती है।
योजना के अनुसार, प्रत्येक थिएटर कमांड में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की इकाइयां होंगी और ये सभी एक विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्र में सुरक्षा चुनौतियों का सामना करने के लिए एक इकाई के रूप में काम करेंगी।
वर्तमान में थलसेना, नौसेना और वायुसेना की अलग-अलग कमान हैं। अपने संबोधन में वायुसेना प्रमुख ने वायु रक्षा प्रणालियों की तर्ज पर ड्रोन के उपयोग से संबंधित मुद्दों को संभालने के लिए एक अलग इकाई के निर्माण की भी वकालत की।
एयर चीफ मार्शल सिंह ने ड्रोन और काउंटर-ड्रोन तकनीकों के विकास की तीव्र गति पर विचार करते हुए कहा कि ऐसा ढांचा लाभकारी होगा।
उन्होंने यह भी कहा कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ ने वायु शक्ति की प्रधानता की पुष्टि की।
उन्होंने कहा, ‘‘इस तरह की घटनाएं आपको यह एहसास कराती हैं कि उस दिन जिस चीज ने हमें बचाया, वह वायु शक्ति ही थी।’’
उन्होंने कहा, ‘‘जब मैं वायु शक्ति की बात कर रहा हूं, तो मैं सिर्फ वायु सेना की बात नहीं कर रहा हूं। हम हवाई माध्यम की बात कर रहे हैं।’’ उन्होंने कहा कि व्यापक वायु शक्ति ही भविष्य है।
वैश्विक स्तर पर विभिन्न संघर्ष क्षेत्रों में ड्रोन के बढ़ते इस्तेमाल पर एयर चीफ मार्शल सिंह ने कहा कि मानवरहित हवाई मंच एक ‘निश्चित स्तर’ तक काम कर सकते हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘ड्रोन वास्तव में आपको युद्ध नहीं जिता सकते। वे सहायता कर सकते हैं, वे भ्रम पैदा कर सकते हैं, वे डेटा और सूचनाओं का अतिभार पैदा कर सकते हैं।’’
वायुसेना प्रमुख ने कहा, ‘‘अगर आप अंततः किसी जगह पर हमला करना चाहते हैं, दुश्मन के इलाके में अंदर तक किसी जगह को तबाह करना चाहते हैं, तो आपके पास ऐसे हथियार होने चाहिए जो मारक क्षमता रखते हों। फिलहाल ड्रोन ऐसा नहीं कर सकता।’’
भाषा संतोष माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.
