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Sunday, 2 November, 2025
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प्रत्येक महिला को विश्वास होना चाहिए कि न्याय व्यवस्था उसके साथ है: न्यायमूर्ति सूर्यकांत

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लखनऊ, दो नवंबर (भाषा) भारत के आगामी प्रधान न्यायाधीश सूर्यकांत ने रविवार को कहा कि प्रत्येक महिला को ‘‘यह विश्वास होना आवश्यक है कि न्याय व्यवस्था उसके साथ खड़ी है।’’

प्रेस में जारी एक बयान के अनुसार, न्यायमूर्ति सूर्यकांत उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण द्वारा न्यायिक प्रशिक्षण एवं अनुसंधान संस्थान (जेटीआरआई), लखनऊ में रविवार को आयोजित ‘‘कानूनी सहायता के माध्यम से प्रजनन स्वायत्तता में बाधाओं को दूर करना’’ विषय पर एक संवेदनशीलता कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे।

कार्यक्रम में उच्चतम न्यायालय के न्यायमूर्ति विक्रम नाथ, इलाहाबाद उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति अरुण भंसाली, न्यायमूर्ति मनोज कुमार गुप्ता, न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी और न्यायमूर्ति राजन रॉय भी उपस्थित थे।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने कहा, ‘‘परिस्थितियां कैसी भी हों, प्रत्येक महिला यह आत्मविश्वास पाने की अधिकारी है कि न्याय व्यवस्था उसके साथ दृढ़ता से खड़ी है।’’

उन्होंने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण की उपलब्धियों की सराहना की और कृत्रिम मेधा (एआई) चैटबॉट ‘न्याय मार्ग’ की शुरुआत पर बधाई दी। उन्होंने कहा कि यह पहल लाभार्थियों और उनके अधिकारों के बीच की दूरी को कम करेगी।

न्यायमूर्ति विक्रम नाथ ने डॉ. भीमराव आंबेडकर के विचारों का उल्लेख करते हुए कहा कि किसी समुदाय की प्रगति उसकी महिलाओं की प्रगति से मापी जाती है। उन्होंने समाज में महिलाओं की स्थिति का जिक्र किया और ‘संकल्प’ कार्यक्रम जैसे प्रयासों की सराहना की, जो प्रजनन स्वायत्तता से जुड़े मुद्दों पर संवेदनशीलता को बढ़ावा देते हैं।

न्यायमूर्ति अरुण भंसाली ने कहा कि यह कार्यक्रम और ‘न्याय मार्ग’ चैटबॉट, न्याय तक पहुंच को सुदृढ़ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं।

न्यायमूर्ति महेश चंद्र त्रिपाठी ने कहा कि दुष्कर्म पीड़िताओं, विशेषकर नाबालिगों को न केवल हिंसा का आघात झेलना पड़ता है, बल्कि उन्हें अनचाही गर्भावस्था, सामाजिक कलंक और भावनात्मक तनाव का बोझ भी उठाना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘न्याय केवल निर्णयों में ही नहीं, बल्कि उन संवेदनाओं में निहित है, जिनसे हम असहाय अवस्था में हमारे पास आने वालों को संभालते हैं।’’

कार्यक्रम के तकनीकी सत्र की अध्यक्षता इलाहाबाद उच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति अजय भानोट ने की।

इस सत्र में ‘नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ मेंटल हेल्थ एंड न्यूरो साइंसेज, राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन सहित विभिन्न संस्थानों के विशेषज्ञों ने अनिच्छित मातृत्व में मनोवैज्ञानिक सहयोग, पुलिस-चिकित्सा-न्यायालय समन्वय, प्रजनन निर्णयों में विधिक सहायता की भूमिका और एमटीपी अधिनियम के चिकित्सीय व विधिक पहलुओं पर विस्तृत चर्चा की।

इस अवसर पर न्यायमूर्ति सूर्यकांत ने उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण कार्यालय, गोमती नगर विस्तार, लखनऊ स्थित नव-निर्मित प्रेक्षागृह ‘स्पंदन’ का उद्घाटन किया। यह अत्याधुनिक सभागार प्रशिक्षण कार्यक्रमों, सम्मेलनों और जन-जागरूकता अभियानों के लिए निर्मित किया गया है।

भाषा राजेंद्र खारी

खारी

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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