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Wednesday, 29 October, 2025
होमदेशहरियाणा के युवक का शव लाया गया, 'रूसी कमांडर' ने बताया—वह 'यूक्रेनी हमले' में मारा गया

हरियाणा के युवक का शव लाया गया, ‘रूसी कमांडर’ ने बताया—वह ‘यूक्रेनी हमले’ में मारा गया

हिसार के मदनहेड़ी निवासी 28 वर्षीय सोनू अध्ययन वीजा पर मास्को गया था, उसे सेना में भर्ती होने का लालच दिया गया और सितंबर में ड्रोन हमले में उसकी मौत हो गई, ऐसा उसके चाचा ने बताया.

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गुरुग्राम: कैथल के 24 वर्षीय युवक का शव लाए जाने के कुछ दिन बाद, रूस के लिए यूक्रेन युद्ध में लड़ते हुए मारे गए एक और हरियाणा के युवक का पार्थिव शरीर बुधवार को भारत लाया गया. दोनों की मौत संघर्ष के एक ही दिन हुई थी.

हिसार के मदनहेड़ी गांव के सोनू की मौत 6 सितंबर को एक यूक्रेनी ड्रोन हमले में हुई थी, उनके परिजनों ने बताया. यह जानकारी उन्हें रूसी अधिकारियों से मिली थी. परिवार को यह नहीं पता कि सोनू को कहां तैनात किया गया था.

वह उसी दिन मारे गए जब हरियाणा के ही कैथल जिले के जंडेपुर गांव के एक अन्य युवक करम चंद की युद्ध में मौत हुई थी. करम का शव सोनू से कुछ समय पहले उनके गांव लाया गया था.

इन मौतों से उन भारतीयों के हताहतों की सूची में एक और नाम जुड़ गया है, जो पढ़ाई या नौकरी के लिए विदेश गए थे लेकिन खुद को यूरोपीय युद्धक्षेत्र में फंसा हुआ पाया. मदनहेड़ी के पूर्व सरपंच और सोनू के चाचा नरेंद्र चौहल ने बुधवार को दिप्रिंट को बताया कि सोनू का पार्थिव शरीर दिल्ली पहुंच गया है.

चौहल ने कहा कि सोनू के परिवार को इस दुखद खबर की जानकारी 19 सितंबर को एक “रूसी कमांडर” के फोन कॉल से मिली थी. इसके बाद मॉस्को से 6 अक्टूबर की तारीख वाला “आधिकारिक पत्राचार” आया.

हिसार स्थित परिवार ने बाद में विदेश मंत्रालय (MEA) से संपर्क किया, जिसने 26 अक्टूबर को सोनू की मौत की पुष्टि की और कहा कि उसका शव बुधवार को भारत लाया जाएगा.

चाचा ने बताया कि सोनू ने हाल ही में अपनी ग्रेजुएशन पूरी की थी और पिछले साल मई में रूसी भाषा के कोर्स के लिए स्टडी वीजा पर रूस गया था.

“इस साल 10 अगस्त को कुछ एजेंटों ने उसे अच्छी नौकरी देने का झांसा देकर रूसी सेना में भर्ती करा दिया. सेना में शामिल होने के बाद उसे तुरंत युद्ध के मोर्चे पर भेज दिया गया. उसने आखिरी बार अपनी मां से 3 सितंबर को बात की थी. 19 सितंबर को परिवार को रूसी कमांडर का फोन आया, जिसमें बताया गया कि 6 सितंबर को ड्रोन हमले में सोनू की मौत हो गई,” चौहल ने कहा.

उन्होंने बताया कि सोनू की मौत से परिवार पर संकट आ गया है. “उसके पिता की पहले ही मौत हो चुकी है. वह (सोनू) अपनी मां और मानसिक रूप से अस्वस्थ बहन की देखभाल करता था. उसका बड़ा भाई स्थायी नौकरी नहीं करता, वह पेट्रोल पंप पर काम करता है,” चौहल ने कहा.

विदेश मंत्रालय के संयुक्त सचिव (यूरेशिया) मयंक सिंह ने पिछले हफ्ते हिसार के पूर्व सांसद बृजेन्द्र सिंह को लिखे पत्र में करम चंद और सोनू की मौत की पुष्टि की थी. बृजेन्द्र सिंह ने सरकार से अपील की थी कि जो भारतीय रूसी सेना के साथ लड़ रहे हैं, उन्हें सुरक्षित वापस लाने के प्रयास तेज किए जाएं.

पत्र में मयंक सिंह ने लिखा, “हमें मॉस्को स्थित भारतीय दूतावास से स्वर्गीय श्री करम चंद और श्री सोनू की दुर्भाग्यपूर्ण मौत की जानकारी मिली है.” उन्होंने बताया कि करम का शव 17 अक्टूबर को भारत लाया गया था.

सोनू का शव उस समय रोस्तोव में था और उसे मॉस्को ले जाकर वहां से दिल्ली लाया जाना था, संयुक्त सचिव ने कहा था.

लोग अभी भी युद्ध में फंसे

मदनहेड़ी के एक और 24 वर्षीय युवक, अमन, जो पिछले साल स्टडी वीजा पर सोनू के साथ मॉस्को गया था, अब भी युद्ध के मैदान में फंसा हुआ है. मंगलवार को मीडिया रिपोर्टों में ग्रामीणों के हवाले से यह जानकारी दी गई.

चार दिन पहले, सोनू के भाई ने बताया था कि अमन के परिवार को बॉर्डर से एक डरावना एक मिनट का वीडियो कॉल मिला था, जिसमें अमन ने लगातार हो रहे बमबारी और रोजाना सैनिकों की मौत के बारे में बताया था.

“उन्होंने अमन और सोनू को यह कहकर भर्ती किया था कि उन्हें गार्ड ड्यूटी करनी होगी. लेकिन अब यह उनके लिए जानलेवा साबित हो रही है,” चौहल ने कहा.

इससे पहले, सितंबर में, फतेहाबाद जिले के दो युवकों, अंकित जांगड़ा और विजय पुनिया, के परिवारों को भी इसी तरह के परेशान करने वाले कॉल मिले थे. परिजनों ने बताया था कि दोनों को युद्ध क्षेत्र में भेज दिया गया है.

मंगलवार को गुरुग्राम में दिप्रिंट के फाउंडर और एडिटर-इन-चीफ शेखर गुप्ता के साथ ‘ऑफ द कफ’ कार्यक्रम में बोलते हुए भारत में रूस के राजदूत डेनिस अलीपोव ने कहा कि रूस को अब यह समस्या झेलनी पड़ रही है कि कुछ भारतीय, जो वहां की सेना में सेवा कर रहे हैं, ने रूसी नागरिकता हासिल कर ली है.

उन्होंने कहा, “इनमें से कुछ ने भारत सरकार से मदद मांगी है ताकि वे वापस आ सकें, हालांकि अब वे रूसी नागरिक हैं.”

उन्होंने समझाया कि इसके लिए अलग-अलग प्रावधान हैं. “हम इन अनुरोधों को पूरी समझदारी से देख रहे हैं और समाधान खोजने की प्रक्रिया में हैं. मुझे यकीन है कि हम इस कानूनी स्थिति से निकलने का रास्ता ढूंढ लेंगे,” उन्होंने कहा.

अलीपोव ने यह भी स्पष्ट किया कि रूसी सेना भारतीयों की भर्ती नहीं करती.

उन्होंने कहा, “हालांकि अगर कोई विदेशी नागरिक स्वेच्छा से रूसी सेना में शामिल होने आता है, तो ऐसे व्यक्ति को युद्ध क्षेत्र में भेजने का प्रावधान है. भारत के प्रधानमंत्री ने व्यक्तिगत रूप से हमसे अनुरोध किया था कि भारतीय नागरिकों की भर्ती बंद की जाए और हमने ऐसा करना बंद कर दिया है.”

विदेश मंत्रालय के अधिकारियों ने बताया था कि जुलाई 2024 में रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के साथ शिखर सम्मेलन के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मॉस्को से ऐसी भर्तियां रोकने और भर्ती किए गए भारतीयों की रिहाई की प्रक्रिया तेज करने का आग्रह किया था.

संसद में पूछे गए एक प्रश्न के जवाब में विदेश राज्य मंत्री पबित्रा मार्गरीटा ने मार्च में बताया था कि रूसी सेना में शामिल हुए 12 भारतीय नागरिक तीन साल से चल रहे इस युद्ध में मारे जा चुके हैं. उन्होंने कहा था कि उस समय रूस में 16 भारतीय लापता थे.

(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)


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