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Tuesday, 25 November, 2025
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राष्ट्रपति मुर्मू ने यशोदा मेडिसिटी का उद्घाटन किया,कहा-स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग

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(तस्वीरों के साथ)

गाजियाबाद (उप्र), 26 अक्टूबर (भाषा) राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने रविवार को कहा कि स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय विकास का अभिन्न अंग है और किसी भी नागरिक को प्रभावी चिकित्सा सेवाओं से वंचित नहीं होना चाहिए।

गाजियाबाद के इंदिरापुरम में एक निजी अस्पताल ‘यशोदा मेडिसिटी’ का उद्घाटन करने के बाद उपस्थित जनसमूह को संबोधित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में सेवा देकर चिकित्सा पेशे से जुड़े लोग राष्ट्र की भी सेवा कर रहे हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं आप सभी की प्रतिबद्धता की सराहना करती हूं। मुझे यह जानकर खुशी हुई कि यशोदा अस्पताल राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राथमिकताओं के अनुरूप ईमानदारी से काम कर रहा है।’’

इस कार्यक्रम में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री अनुप्रिया पटेल भी उपस्थित रहीं।

राष्ट्र निर्माण में स्वास्थ्य सेवा की भूमिका पर जोर देते हुए राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘स्वास्थ्य सेवा राष्ट्रीय विकास का एक अभिन्न अंग है।’’

लोगों को बीमारियों से बचाना और उनके स्वास्थ्य मानकों में सुधार लाना सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकताओं में से एक है, जो देश भर में स्वास्थ्य बुनियादी ढांचे और चिकित्सा सेवाओं का निरंतर विस्तार कर रही है।

उन्होंने आगे कहा, ‘‘ये प्रयास एक स्वस्थ और विकसित भारत के निर्माण में योगदान देंगे।’’

राष्ट्रपति ने देश के हर कोने तक गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवा पहुंचाने के लिए निजी क्षेत्र सहित सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी का भी आह्वान किया।

उन्होंने कहा, ‘‘किसी भी नागरिक को प्रभावी चिकित्सा सेवाओं से वंचित नहीं होना चाहिए। अच्छे निजी संस्थान इस लक्ष्य को प्राप्त करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।’’

राष्ट्रपति ने कहा कि आर्थिक रूप से कमजोर लोग भी देश के विकास में योगदान देते हैं, इसलिए उनका जीवन भी अनमोल है और उन्हें भी पूर्ण सहयोग और स्वास्थ्य सेवा तक पहुंच मिलनी चाहिए।

मुर्मू ने कहा, ‘‘मेरा मानना ​​है कि स्वास्थ्य संबंधी जिम्मेदारियों के साथ-साथ सामाजिक जिम्मेदारियों का निर्वहन भी चिकित्सा संस्थानों की प्राथमिकता होनी चाहिए।’’

उन्होंने कहा कि ‘सिस्टम फॉर टीबी एलिमिनेशन इन प्राइवेट सेक्टर’ (स्टेप्स) के तहत उत्तर भारत का पहला केंद्र ‘यशोदा मेडिसिटी’ को बनाया गया है।

संस्था के प्रबंध निदेशक डॉक्टर पीएन अरोड़ा द्वारा अपनी मां के नाम पर ‘यशोदा मेडिसिटी’ अस्पताल’ खोलने के कदम की मुर्मू ने सराहना की।

मुर्मू ने कहा कि अस्पताल का नाम अपनी माता यशोदा जी के नाम पर रखना भारतीय संस्कारों और स्वदेशी की भावना का उदाहरण है।

उन्‍होंने उम्‍मीद जताई कि स्वदेशी की भावना के साथ चिकित्सा अनुसंधान पर विशेष बल देकर ‘यशोदा मेडिसिटी’ अस्पताल द्वारा स्वास्थ्य सेवाओं के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएंगे।

राष्‍ट्रपति ने कहा कि इस संस्था में कैंसर उपचार की आधुनिकतम सुविधाएं मिलेंगी।

राष्ट्रपति मुर्मू ने अस्पताल का दौरा भी किया और कहा कि उन्होंने पहली बार इतना अत्याधुनिक अस्पताल देखा है, जहां एक ही छत के नीचे सभी तरह की जांच और उपचार की सुविधाएं उपलब्ध हैं, जिससे मरीजों का कीमती समय बचेगा।

उन्होंने कहा कि भारत तेजी से विकास की ओर अग्रसर है और यह तभी संभव है जब देश का हर नागरिक स्वस्थ हो।

उन्होंने कहा कि इस तरह की ‘मेडिसिटी’ न केवल इलाज के लिए बल्कि अनुसंधान और नवाचार के लिए भी जरूरी हैं।

राष्ट्रपति ने सुझाव दिया कि ‘यशोदा मेडिसिटी’ मुंबई स्थित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी-बॉम्बे) जैसे संस्थानों के साथ मिलकर कैंसर की जीन थैरेपी जैसी स्वदेशी तकनीकों को अपनाए।

‘यशोदा मेडिसिटी’ के चेयरमैन डॉ. पी.एन. अरोड़ा ने इस मौके पर अतिथियों का स्वागत किया।

डॉ. अरोड़ा ने पत्रकारों को बताया था कि यशोदा मेडिसिटी अत्याधुनिक तकनीक, अनुभवी चिकित्सकों और प्रशिक्षित स्टाफ से सुसज्जित है।

अरोड़ा ने बताया कि यह न केवल आधुनिक चिकित्सा सेवाओं का केंद्र बनेगा, बल्कि मरीज-केंद्रित देखभाल और स्वास्थ्य जागरूकता का भी प्रतीक होगा।

उन्‍होंने कहा कि संस्था का उद्देश्य केवल बीमारियों का उपचार करना नहीं, बल्कि समाज में स्वास्थ्य शिक्षा को बढ़ावा देना भी है।

इसके पहले डॉक्टर पीएन अरोड़ा ने कहा कि उनकी मां यशोदा देवी का निधन 1986 में कैंसर रोग से हो गया था और तभी उन्‍होंने मरीजों की सेवा का संकल्प लिया। उन्‍होंने कहा कि इस संस्था को विश्‍वस्‍तरीय स्‍वास्‍थ्‍य केन्‍द्र बनाने में सबका सहयोग रहा है।

डॉक्टर अरोड़ा ने मुर्मू को शाल, शंख और स्‍मृति चिह्न भेंट करके उनका अभिनंदन किया। शॉल पर रामायण के दृष्यों को रेशम के धागों से उकेरा गया है और प्रत्येक शॉल को बनाने में कारीगरों ने एक वर्ष का समय लिया।

अरोड़ा ने मुख्‍यमंत्री और रक्षा मंत्री समेत अन्य अतिथियों को भी शॉल, शंख और स्‍मृति चिह्न भेंट किये।

भाषा आनन्द संतोष संतोष

संतोष

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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