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Monday, 13 October, 2025
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वैश्विक मृत्यु दर गिरने के बावजूद नहीं थम रहीं युवाओं की मृत्यु की दर: लैंसेट अध्ययन

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नयी दिल्ली, 13 अक्टूबर (भाषा) विश्वभर में मृत्यु दर में 67 प्रतिशत की गिरावट के बावजूद युवाओं की मृत्यु दर में कमी नहीं आयी है जिसके मुख्य कारणों में आत्महत्या, शराब और मादक पदार्थों का अत्यधिक सेवन शामिल हैं। यह जानकारी वैश्विक अध्ययन में सामने आई है, जो ‘द लैंसेट’ नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।

यह अध्ययन ‘ग्लोबल बर्डन ऑफ डिजीज (जीबीडी) 2023’ का हिस्सा है, जिसमें करीब 3,10,000 स्रोतों और 14,000 से अधिक शोधकर्ताओं व विशेषज्ञों के आंकड़ों का विश्लेषण किया गया है।

वर्ष 2023 में चीन में सर्वाधिक 1.07 करोड़ मौतें दर्ज की गईं। इसके बाद भारत में 98.5 लाख और अमेरिका में तीन लाख से अधिक मौतें हुईं।

जनसंख्या के अनुपात को ध्यान में रखते हुए मृत्यु दर में भारत 73वें स्थान पर रहा जबकि चीन और अमेरिका क्रमशः 166वें और 160वें स्थान पर थे।

अध्ययन में पाया गया कि भारत 30 लाख से अधिक मौतों के साथ कोविड से मौतों वाले पांच देशों की सूची में सबसे ऊपर है। इसके बाद अमेरिका में 12.1 लाख और रूस में 10 लाख से अधिक मौतें हुई हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि उच्च रक्तचाप, वायु प्रदूषण, धूम्रपान और मोटापे सहित 88 कारकों को नियंत्रित कर लगभग 50 प्रतिशत मौतों और अक्षमताओं को टाला जा सकता है।

उन्होंने यह भी पाया कि 1950 से जीवन प्रत्याशा में 20 वर्ष से अधिक की वृद्धि हुई है। महामारी से पहले महिलाओं की औसत जीवन प्रत्याशा 76 वर्ष थी, जबकि पुरुषों में यह 71 वर्ष से अधिक थी।

वॉशिंगटन विश्वविद्यालय के इंस्टीट्यूट फॉर हेल्थ मैट्रिक्स एंड इवैल्यूएशन (आईएचएमई) के निदेशक डा. क्रिस्टोफर म्युअरे ने कहा, ‘दुनिया में वृद्धों की तेजी से बढ़ती आबादी और बदलते जोखिम कारक वैश्विक स्वास्थ्य चुनौतियों का नया युग लेकर आए हैं।

उन्होंने कहा कि जीबीडी अध्ययन में प्रस्तुत साक्ष्य सरकार और स्वास्थ्य क्षेत्र के प्रमुख लोगों के लिए चेतावनी हैं।

शोधकर्ताओं ने कहा कि संक्रामक रोगों से निपटने में वैश्विक स्तर पर महत्वपूर्ण प्रगति हुई है लेकिन मधुमेह, मानसिक रोग और मोटापा चुनौतियां हैं।

भाषा राखी अविनाश

अविनाश

यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.

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