नयी दिल्ली, आठ अक्टूबर (भाषा)उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में ‘हरित’ पटाखों के निर्माण और बिक्री से संबंधित मुद्दों पर सुनवाई 10 अक्टूबर तक स्थगित कर दी।
शीर्ष अदालत ने 26 सितंबर को प्रमाणित निर्माताओं को इस शर्त के साथ ‘हरित’ पटाखों के निर्माण की अनुमति दी थी कि वे बिना उसकी मंजूरी के प्रतिबंधित दिल्ली-एनसीआर में इन्हें नहीं बेचेंगे।
न्यायालय ने केंद्र से दिल्ली-एनसीआर में पटाखों के निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध पर नए सिरे से विचार करने को कहा।
इसने पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय (एमओईएफसीसी) को अंतिम निर्णय पर पहुंचने से पहले दिल्ली सरकार, निर्माताओं और विक्रेताओं सहित सभी हितधारकों से परामर्श करने का भी निर्देश दिया।
प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई और न्यायमूर्ति के विनोद चंद्रन की पीठ बुधवार को केंद्र की रिपोर्ट समेत अन्य मुद्दों पर विचार करने वाली थी। हालांकि, केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहे विधि अधिकारी ने स्थगन का अनुरोध किया, जिसे स्वीकार कर लिया गया।
कुछ हरित पटाखों के निर्माताओं की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता बलबीर सिंह ने कहा कि इस मुद्दे पर दिवाली से पहले सुनवाई की जानी चाहिए, जिसके बाद पीठ ने सुनवाई के लिए शुक्रवार की तारीख तय की।
इससे पहले, पीठ ने आदेश दिया था, ‘‘इस बीच, हम उन निर्माताओं को पटाखों का निर्माण करने की अनुमति देते हैं जिनके पास एनईईआरआई (राष्ट्रीय पर्यावरण इंजीनियरिंग अनुसंधान संस्थान) और पेसो (पेट्रोलियम और विस्फोटक सुरक्षा संगठन) का हरित पटाखा प्रमाण पत्र है। हालांकि, इसके लिए निर्माताओं को इस न्यायालय के समक्ष यह वचन देना होगा कि वे इस न्यायालय द्वारा पारित अगले आदेश तक प्रतिबंधित क्षेत्रों में अपने पटाखे नहीं बेचेंगे।’’
शीर्ष अदालत पटाखा निर्माताओं द्वारा दायर याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है, जिसमें प्रतिबंध में ढील देने और ‘हरित’ पटाखे बेचने की अनुमति देने का अनुरोध किया गया है।
भाषा धीरज नरेश
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