नयी दिल्ली, सात अक्टूबर (भाषा) दिल्ली पुलिस के विशेष स्टाफ और गुरुग्राम अपराध शाखा के संयुक्त दल ने दक्षिणपूर्वी दिल्ली के आस्था कुंज पार्क के पास मुठभेड़ के दौरान 50,000 रुपये के इनामी वांछित गैंगस्टर को मार गिराया। एक अधिकारी ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
नेपाल का मूल निवासी भीम महाबहादुर जोरा (39) मई 2024 में 63 वर्षीय चिकित्सक योगेश चंद्र पॉल की उनके जंगपुरा स्थित आवास में डकैती के दौरान हत्या के मामले में वांछित था।
पुलिस उपायुक्त (दक्षिणपूर्व) हेमंत तिवारी ने बताया, ‘‘जोरा एक नेपाली गिरोह का मुख्य कर्ताधर्ता था, जो अपने सदस्यों को भारत के महानगरों में संपन्न परिवारों में घरेलू सहायक के रूप में काम पर रखता था।’’
उन्होंने बताया, ‘‘परिवारों का विश्वास हासिल करने के बाद गिरोह के सदस्य कथित तौर पर नकदी और कीमती सामान लूटने से पहले उन्हें नींद की दवाएं देते थे और कभी-कभी हिंसा या हत्या को भी अंजाम देते थे।’’
अधिकारी ने बताया कि यह मुठभेड़ सोमवार-मंगलवार की दरम्यानी रात को हुई, जब दिल्ली और हरियाणा पुलिस की संयुक्त टीम को राष्ट्रीय राजधानी में जोरा की गतिविधि के बारे में सूचना मिली।
डीसीपी ने कहा, ‘‘जंगपुरा हत्याकांड के बाद से फरार चल रहा आरोपी बार-बार नेपाल भागकर गिरफ्तारी से बचने में कामयाब रहा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘आस्था कुंज पार्क के पास उसे पकड़ने की योजना बनायी गयी, जहां वह आधी रात के आसपास दिखायी दिया था। जब पुलिस ने उसे आत्मसमर्पण करने के लिए कहा, तो उसने पुलिस पर गोलियां चला दीं, जिसके बाद पुलिस ने आत्मरक्षा में जवाबी गोलीबारी की।’’
उन्होंने बताया कि आरोपियों द्वारा चलाई गई दो गोलियां गुरुग्राम पुलिस के निरीक्षक नरेंद्र शर्मा और दिल्ली पुलिस के एसआई शुभम चौधरी की बुलेटप्रूफ जैकेट पर लगीं, जिससे वे बाल-बाल बच गए।
अधिकारी ने बताया कि पुलिस ने आत्मरक्षा में जोरा के पैरों पर दो गोलियां चलाईं, जिनमें से एक गोली लगने से वह गंभीर रूप से घायल हो गया।
जोरा को एम्स ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया, जहां चिकित्सकों ने उसे मृत घोषित कर दिया।
पुलिस ने घटनास्थल से एक स्वचालित पिस्तौल और कारतूस बरामद किए।
मई 2024 में जोरा अपने गिरोह के सदस्यों के साथ जंगपुरा स्थित चिकित्सक पॉल के घर में घुस गया और डकैती के दौरान चिकित्सक पर जानलेवा हमला किया।
इस मामले में पुलिस को शुरुआती सफलता तब मिली जब एक आरोपी बसंती को गिरफ्तार किया गया, जो चिकित्सक के घर पर घरेलू सहायिका के रूप में काम करती थी।
डीसीपी ने बताया, ‘‘जोरा और उसके अन्य साथी नेपाल भाग गए और लगभग 16 महीने तक गिरफ्तारी से बचते रहे। दिल्ली के पास उसकी गतिविधियों के बारे में सूचना मिलने पर दिल्ली और गुरुग्राम पुलिस की टीमों ने एक समन्वित अभियान शुरू किया, जिसके परिणामस्वरूप उसे मार गिराया गया।’’
गुरुग्राम पुलिस शहर में हाल में दर्ज दो मामलों के सिलसिले में उस पर नज़र रख रही थी।
अधिकारी ने बताया कि भीम महावीर जोरा के नाम से भी पहचाने जाने वाले आरोपी द्वारा संचालित आपराधिक गिरोह में नेपाली नागरिक शामिल थे। यह गिरोह दिल्ली, गुजरात, कर्नाटक, उत्तर प्रदेश और हरियाणा में सक्रिय था।
यह गिरोह प्लेसमेंट एजेंसियों का फायदा उठाकर बड़े शहरों में संपन्न परिवारों को निशाना बनाता था।
डीसीपी ने कहा, ‘‘वे घरेलू सहायक के रूप में काम करते थे और बाद में कीमती सामान लूटने से पहले परिवार के सदस्यों को नशीला पदार्थ मिला हुआ खाना या पेय पदार्थ देकर बेहोश कर देते थे। कुछ मामलों में वे हिंसा या हत्या को भी अंजाम देते थे।’’
जोरा 2014 से सक्रिय था और कई राज्यों में दर्ज डकैती, चोरी और हत्या के पांच अन्य मामलों से जुड़ा था
डीसीपी ने बताया कि जोरा द्वारा इस्तेमाल किए गए हथियार को फोरेंसिक विश्लेषण के लिए भेज दिया गया है।
भाषा गोला माधव
माधव
यह खबर ‘भाषा’ न्यूज़ एजेंसी से ‘ऑटो-फीड’ द्वारा ली गई है. इसके कंटेंट के लिए दिप्रिंट जिम्मेदार नहीं है.