करूर, 29 सितंबर (भाषा) तमिलनाडु में करूर के वेलुसामीपुरम में 27 सितंबर को विजय की रैली में मची भगदड़ में जान गंवाने वाले 41 लोगों में से चार लोग एमूर पुथुर गांव के थे, जहां सोमवार को माहौल बेहद गमगीन नजर आया।
भीड़ में अपनी मां से बिछड़ने के बाद गांव लौटे नाबालिग लड़के की जान इस हादसे में बाल-बाल बच गयी।
सत्या ने कहा, “मैं और मेरी मां अभिनेता विजय से मिलने गए थे, लेकिन वह वापस नहीं आईं।”
उन्होंने कहा, “हम सुबह गए थे लेकिन वहां उस समय भीड़ नहीं थी। खाने के लिए कुछ भी नहीं था। शाम को भीड़ बढ़ गई। मेरी मां भीड़ में फंस गईं और मुझे पीछे धकेल दिया गया।”
सत्या ने बताया चूंकि वह सड़क के किनारे था इसलिए उसने आगे बढ़ने की कोशिश छोड़ दी और घर लौटने का फैसला किया लेकिन उसकी मां चंद्रा (लगभग 40) भीड़ में खो गईं।
नौवीं कक्षा के छात्र ने कहा, “मैंने अपनी मां को ढूंढा लेकिन वह नहीं मिलीं। बाद में, मेरा बड़ा भाई सरकारी अस्पताल गया और उन्हें मृत पाया।”
एक अन्य व्यक्ति कलियप्पन ने कहा, “मैंने अपनी पत्नी अरुक्कनी (60) को जाने से मना किया था लेकिन वह चली गईं। बढ़ती भीड़ की खबर सुनकर, मैं वेलुसामीपुरम भागा और उसे घर ले आया। लेकिन वह फिर से विजय को देखने चली गईं।”
उन्होंने बताया कि देर रात तक अरुक्कनी के न लौटने पर वह चिंतित हो गए।
कलियप्पन ने कहा, “फिर मुझे रात में व्हाट्सएप पर एक संदेश मिला, जिसमें मुझे सरकारी अस्पताल आने के लिए कहा गया था। मैं गया और उसकी (अपनी पत्नी की) पहचान की।”
गांव के रहने वाले के. शक्तिवेल की पत्नी और 14 वर्षीय बेटी की भी भगदड़ में मौत हो गई।
भाषा जितेंद्र रंजन
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