चंडीगढ़, 28 सितंबर (भाषा) पंजाब सरकार ने पराली जलाने के दुष्प्रभावों और फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) प्रणाली के लाभों से लोगों को अवगत कराने के लिए व्यापक अभियान शुरू किया है जिसके तहत नुक्कड़ नाटक, दीवार पर चित्रकारी और अन्य गतिविधियां शामिल की जाएंगी। अधिकारियों ने रविवार को यह जानकारी दी।
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुडियां ने कहा कि राज्य सरकार ने पराली जलाए जाने को लेकर बढ़ती चिंता को दूर करने और राज्य में टिकाऊ कृषि पद्धतियों को बढ़ावा देने के अपने कदम के तहत फसल अवशेष प्रबंधन के लिए एक व्यापक और महत्वाकांक्षी सूचना, शिक्षा और संचार (आईईसी) योजना का अनावरण किया है।
अक्टूबर और नवंबर में धान की कटाई के बाद दिल्ली में वायु प्रदूषण बढ़ने के लिए अक्सर पंजाब और हरियाणा में पराली जलाने को जिम्मेदार ठहराया जाता है।
धान की कटाई के बाद रबी की फसल गेहूं की बुवाई के लिए समय बहुत कम मिलता है, इसलिए कुछ किसान अगली फसल की बुवाई के लिए पराली को जल्दी से साफ करने के लिए अपने खेतों में आग लगा देते हैं।
खुडियां ने कहा कि इस व्यापक अभियान का उद्देश्य समुदायों, छात्रों और किसानों को पर्यावरण-अनुकूल प्रथाओं की ओर व्यवहारिक बदलाव लाने के लिए प्रेरित करना है, जिससे टिकाऊ कृषि को बढ़ावा मिले।
बहुआयामी आईईसी रणनीति में अधिकतम पहुंच और प्रभाव के लिए डिजाइन की गई गतिविधियों की एक विस्तृत श्रृंखला शामिल है।
सूचना के प्रभावी प्रसार के लिए, विभाग ग्रामीण क्षेत्रों में सूचनात्मक संदेश प्रसारित करने के लिए 50 समर्पित प्रचार वैन तैनात करेगा।
उन्होंने कहा कि इसके अतिरिक्त, सांस्कृतिक माध्यम से संदेश संप्रेषित करने के लिए 444 ‘नुक्कड़ नाटक’ आयोजित किए जाएंगे।
भाषा संतोष नरेश
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