नयी दिल्ली, 24 सितंबर (भाषा) वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया ने शराब और कृषि उत्पादों समेत जैविक उत्पादों के व्यापार को सुगम बनाने के लिए एक समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं।
पारस्परिक मान्यता व्यवस्था (एमआरए) के तहत दोनों देश एक-दूसरे के जैविक मानकों और प्रमाणन व्यवस्था को मान्यता देंगे।
मंत्रालय ने कहा, ‘‘एमआरए से बाधाओं को कम करके, प्रमाणन समतुल्यता सुनिश्चित करके और अधिक जैविक उत्पादों और उत्पादकों को समर्थन देकर भारत के जैविक निर्यात को और बढ़ावा मिलने की उम्मीद है।’’
एमआरए की कार्यान्वयन एजेंसियां भारत का कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (एपीडा) और ऑस्ट्रेलिया सरकार का कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी विभाग (डीएएफएफ) हैं।
वाणिज्य मंत्रालय ने कहा कि इस व्यवस्था में दोनों देशों में उगाए और प्रसंस्कृत किए जाने वाले जैविक उत्पाद शामिल हैं। इसमें अप्रसंस्कृत पादप उत्पाद, प्रसंस्कृत खाद्य पदार्थ और शराब शामिल हैं।
जैविक उत्पादों की कीमतें 30-40 प्रतिशत अधिक होने से किसानों को बेहतर आजीविका का लाभ मिलता है।
वाणिज्य सचिव सुनील बर्थवाल ने भारत के जैविक परिवेश के लिए कठोर मानक निर्धारित करने और भारत के जैविक क्षेत्र को पारदर्शी और विश्वसनीय बनाए रखने में राष्ट्रीय जैविक उत्पादन कार्यक्रम (एनपीओपी) की भूमिका पर जोर दिया।
उन्होंने जैविक और अजैविक उत्पादों के बीच सख्त पृथक्करण सुनिश्चित करने के लिए चिह्वांकन, दंड और नियामकीय कदमों की जरूरत बताई। साथ ही किसानों के लिए अधिक क्षमता निर्माण, प्रशिक्षण और सलाहकार सहायता का भी आह्वान किया।
ऑस्ट्रेलिया के कृषि, मत्स्य पालन और वानिकी विभाग के प्रथम सहायक सचिव टॉम ब्लैक ने बताया कि ऑस्ट्रेलिया 5.3 करोड़ हेक्टेयर जैविक कृषि भूमि के साथ इस क्षेत्र में अगुवा है। उन्होंने अनाज, चाय, मसालों, पेय पदार्थों और शराब में व्यापार के अवसरों का उल्लेख किया।
भारत का ऑस्ट्रेलिया को जैविक निर्यात 2024-25 में 89.6 करोड़ डॉलर तक पहुंच गया। इसमें कुल निर्यात मात्रा 2,781.58 टन थी।
भाषा रमण प्रेम
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