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लेह, 24 सितंबर (भाषा) लद्दाख को राज्य का दर्जा देने की मांग को लेकर बुधवार को यहां जारी आंदोलन हिंसक हो गया। इस दौरान सड़कों पर आगजनी और झड़पें हुई, जिसमें चार लोगों की मौत हो गई और 22 पुलिसकर्मियों समेत कम से कम 45 लोग घायल हो गए। अधिकारियों ने यह जानकारी दी।
लद्दाख को राज्य का दर्जा देने और छठी अनुसूची के विस्तार की मांग को लेकर जारी आंदोलन के हिंसक रूप लेने के बाद जलवायु कार्यकर्ता सोनम वांगचुक ने 15 दिन से जारी अपनी भूख हड़ताल बुधवार को समाप्त कर दी।
कई घायलों की हालत गंभीर होने के कारण मृतकों की संख्या बढ़ने की आशंका है।
सुबह की शुरुआत लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के साथ हुई। सैकड़ों लोग सड़कों पर उतर आए। भाजपा कार्यालय में तोड़फोड़ की गई और कई वाहनों को आग लगा दी गई।
लद्दाख की राजधानी में पूर्ण बंद के बीच आग की लपटें और काला धुआं देखा जा सकता था।
अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शनकारियों द्वारा व्यापक हिंसा शुरू करने के बाद स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए पुलिस को गोलीबारी और आंसू गैस के गोले छोड़ने पड़े।
प्रशासन ने लद्दाख के लेह जिले में भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता (बीएनएसएस) की धारा 163 के तहत निषेधाज्ञा लागू कर दी।
अधिकारियों ने बताया कि निषेधाज्ञा के तहत पांच या इससे अधिक व्यक्तियों के एकत्र होने पर प्रतिबंध लगा दिया गया है।
कांग्रेस नेता एवं पार्षद फुंटसोग स्टैनजिन त्सेपाग पर मंगलवार को धरना स्थल पर कथित रूप से भड़काऊ भाषण देने के लिए मामला दर्ज किया गया।
लेह एपेक्स बॉडी (एलएबी) की युवा शाखा ने विरोध प्रदर्शन और बंद का आह्वान किया था क्योंकि 10 सितंबर से 35 दिन की भूख हड़ताल पर बैठे 15 लोगों में से दो की हालत मंगलवार शाम बिगड़ने के बाद उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था।
यह अनशन उनकी चार सूत्री मांगों – राज्य का दर्जा, छठी अनुसूची का विस्तार, लेह और कारगिल के लिए अलग लोकसभा सीट और नौकरियों में आरक्षण – के समर्थन में केंद्र पर बातचीत फिर से शुरू करने के लिए दबाव बनाने के लिए था।
वांगचुक ने ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन में कहा कि प्रदर्शनकारियों में से दो, 72 वर्षीय एक पुरुष और 62 वर्षीय एक महिला को मंगलवार को अस्पताल ले जाया गया था और कहा कि संभवतः यह हिंसक विरोध का तात्कालिक कारण था।
स्थिति तेजी से बिगड़ने पर उन्होंने अपील की और घोषणा की कि वे अपना अनशन समाप्त कर रहे हैं।
वांगचुक ने आंदोलन स्थल पर बड़ी संख्या में एकत्र अपने समर्थकों से कहा, ‘‘मैं लद्दाख के युवाओं से हिंसा तुरंत रोकने का अनुरोध करता हूं क्योंकि इससे हमारे उद्देश्य को नुकसान पहुंचता है तथा स्थिति और बिगड़ती है। हम लद्दाख और देश में अस्थिरता नहीं चाहते।’’
उन्होंने कहा, ‘‘यह लद्दाख और मेरे लिए व्यक्तिगत रूप से सबसे दुखद दिन है क्योंकि पिछले पांच वर्षों से हम जिस रास्ते पर चल रहे हैं वह शांतिपूर्ण था… हमने पांच मौकों पर भूख हड़ताल की और लेह से दिल्ली तक पैदल चले लेकिन आज हम हिंसा और आगजनी की घटनाओं के कारण शांति के अपने संदेश को विफल होते हुए देख रहे हैं।’’
उन्होंने प्रशासन से आंसू गैस के गोले दागना बंद करने की भी अपील की तथा सरकार से अधिक संवेदनशील होने का आग्रह किया।
वांगचुक ने कहा, ‘‘हम अपना अनशन तुरंत समाप्त कर रहे हैं… यदि हमारे युवा अपनी जान गंवाते हैं तो भूख हड़ताल का उद्देश्य पूरा नहीं होगा।’
उन्होंने कहा, ‘‘अब ठंडे दिमाग से बातचीत को आगे बढ़ाने का समय आ गया है। हम अपना आंदोलन अहिंसक रखेंगे और मैं सरकार से भी कहना चाहता हूं कि वह हमारे शांति संदेश को सुने… जब शांति के संदेश की अनदेखी की जाती है, तो ऐसी स्थिति पैदा होती है।’’
वांगचुक ने कहा कि यह स्थिति युवाओं में हताशा का नतीजा है, क्योंकि उन्हें रोजगार नहीं मिल रहा है। उन्होंने दावा किया कि लद्दाख में कोई लोकतंत्र नहीं है और जनता से किया गया छठी अनुसूची का वादा भी पूरा नहीं किया गया है।
संविधान की छठी अनुसूची शासन, राष्ट्रपति और राज्यपाल की शक्तियों, स्थानीय निकायों के प्रकार, वैकल्पिक न्यायिक तंत्र और स्वायत्त परिषदों के माध्यम से प्रयोग की जाने वाली वित्तीय शक्तियों के संदर्भ में विशेष प्रावधान करती है। छठी अनुसूची चार पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मेघालय, मिजोरम और असम की जनजातीय आबादी के लिए है।
गृह मंत्रालय और लद्दाख के प्रतिनिधियों, जिनमें एलएबी और करगिल डेमोक्रेटिक अलायंस (केडीए) के सदस्य शामिल हैं, के बीच छह अक्टूबर को वार्ता का एक नया दौर निर्धारित है।
दोनों संगठन पिछले चार वर्षों से अपनी मांगों के समर्थन में संयुक्त रूप से आंदोलन कर रहे हैं और अतीत में सरकार के साथ कई दौर की वार्ता भी कर चुके हैं।
अधिकारियों ने बताया कि प्रदर्शन के आह्वान पर लेह शहर में बंद रहा और एनडीएस स्मारक मैदान में बड़ी संख्या में लोग एकत्र हुए तथा बाद में छठी अनुसूची और राज्य के समर्थन में नारे लगाते हुए शहर की सड़कों पर मार्च निकाला।
उन्होंने बताया कि स्थिति तब और बिगड़ गई जब कुछ युवकों ने भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और ‘हिल काउंसिल’ के मुख्यालय पर पथराव किया। उन्होंने बताया कि शहरभर में बड़ी संख्या में तैनात पुलिस और अर्धसैनिक बलों ने स्थिति को नियंत्रण में लाने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े।
युवाओं के समूहों ने एक वाहन और कुछ अन्य वाहनों में आग लगा दी, और भाजपा कार्यालय को भी निशाना बनाया। उन्होंने परिसर और एक इमारत में मौजूद फर्नीचर और कागजात में आग लगा दी।
इस बीच उपराज्यपाल कविंदर गुप्ता ने कहा कि लद्दाख के हिंसा प्रभावित लेह जिले में और अधिक जानमाल की हानि रोकने के लिए कर्फ्यू लगाया गया है।
उन्होंने कहा कि लद्दाख में शांतिपूर्ण माहौल बिगाड़ने की साजिश के तहत हिंसा भड़काई गई।
गुप्ता ने कहा कि हिंसा के लिए जिम्मेदार लोगों की पहचान की जाएगी और देश के कानून के अनुसार उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
लगभग चार महीने तक रुकी रही वार्ता के बाद, केंद्र ने 20 सितंबर को एलएबी और केडीए को वार्ता के लिए आमंत्रित किया था।
पूर्व सांसद एवं एलएबी के अध्यक्ष थुपस्तान छेवांग, जिन्होंने 27 मई को अंतिम दौर की वार्ता के बाद निकाय से इस्तीफा दे दिया था, पुनः अध्यक्ष पद पर आसीन हो गये हैं और वार्ता के दौरान उनके संयुक्त प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व करने की संभावना है।
कांग्रेस ने एलएबी से बाहर होने का फैसला तब किया जब कुछ घटकों ने यह विचार व्यक्त किया कि अगले महीने ‘लेह हिल काउंसिल’ के चुनावों के मद्देनजर एलएबी प्रतिनिधिमंडल को गैर-राजनीतिक होना चाहिए।
भाषा
देवेंद्र नरेश
नरेश
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