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Friday, 31 October, 2025
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सोनम वांगचुक ने भूख हड़ताल समाप्त की, लद्दाख में हिंसा के बीच शांति की अपील

प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांगचुक ने कहा कि क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए उन्होंने यह कदम एहतियातन उठाया है. उन्होंने माना कि उनका विरोध प्रदर्शन आगे और हिंसा को जन्म दे सकता है, इसलिए उन्होंने इसे रोकने का निर्णय लिया.

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लेह (लद्दाख): राज्य का दर्जा और लद्दाख को छठी अनुसूची में शामिल करने की मांग को लेकर लेह में हिंसक झड़पों के बीच, समाजसेवी सोनम वांगचुक ने बुधवार को अपनी 15 दिन लंबी भूख हड़ताल समाप्त कर दी.

प्रेस कॉन्फ्रेंस में वांगचुक ने कहा कि क्षेत्र में स्थिरता लाने के लिए उन्होंने यह कदम एहतियातन उठाया है. उन्होंने माना कि उनका विरोध प्रदर्शन आगे और हिंसा को जन्म दे सकता है, इसलिए उन्होंने इसे रोकने का निर्णय लिया.

वांगचुक ने हिंसक प्रदर्शनों की निंदा करते हुए शांति की अपील की. उन्होंने कहा कि इस प्रदर्शन के पीछे कोई राजनीतिक दल नहीं है, क्योंकि कोई भी पार्टी इतनी मज़बूत नहीं है कि युवाओं को इस स्तर पर लामबंद कर सके.

उन्होंने कहा, “इस घटना ने हमारे उस शांतिपूर्ण आंदोलन को बाधित कर दिया, जो पिछले 5 सालों से चल रहा था. युवाओं से हमें संकेत मिल रहे थे कि उन्हें लगने लगा है कि शांति का रास्ता काम नहीं कर रहा. आज की घटना उसी का परिणाम है. लेह में कोई पार्टी इतनी मज़बूत नहीं है कि बड़े पैमाने पर युवाओं को जुटा सके. यह प्रदर्शन युवाओं की बेरोजगारी और अन्य बड़े मुद्दों से उपजा है. हमने आज जनरेशन-ज़ेड की बेचैनी देखी… मैं उनकी हताशा समझ सकता हूं, लेकिन उनके विरोध के तरीके की निंदा करता हूं.”

इससे पहले भी सोनम वांगचुक ने युवाओं से शांति की अपील करते हुए कहा था कि हिंसा केवल उनके आंदोलन को नुकसान पहुंचाती है. एक्स (X) पर साझा एक वीडियो संदेश में उन्होंने लिखा,
“लेह में हुई घटनाओं से बहुत दुखी हूं. मेरा शांतिपूर्ण मार्ग आज असफल हो गया. मैं युवाओं से अपील करता हूं कि कृपया यह बेतुकी हरकतें बंद करें. यह केवल हमारे मकसद को नुकसान पहुंचाती हैं.”

वीडियो संदेश में वांगचुक ने युवाओं से हिंसा का रास्ता न अपनाने की अपील करते हुए कहा कि यह उनके लद्दाख के अधिकारों के लिए किए गए लंबे संघर्ष को निष्फल कर देता है. उन्होंने बताया कि कल 35 दिन से भूख हड़ताल पर बैठे दो लोगों की हालत बिगड़ने पर उन्हें अस्पताल में भर्ती कराना पड़ा, जिससे गुस्सा भड़क उठा और आज लेह में पूर्ण बंद का ऐलान हुआ. इस दौरान हजारों युवा सड़कों पर उतर आए और कई दफ्तरों व पुलिस वाहनों में आगजनी हुई.

उन्होंने कहा, “आज हमारे उपवास का 15वां दिन है और मुझे यह दुखद रिपोर्ट देना पड़ रहा है कि लेह शहर में हिंसा और तोड़फोड़ भड़क उठी. यह जनरेशन-ज़ेड का आंदोलन है, जो पिछले 5 वर्षों से बेरोज़गारी और अन्य समस्याओं से जूझ रहा है. मैं लद्दाख की युवा पीढ़ी से अपील करता हूं कि हिंसा का मार्ग न अपनाएं. मैंने वर्षों तक शांतिपूर्वक उपवास और मार्च किए, और फिर हिंसा… यह हमारा रास्ता नहीं है. सरकार से भी मेरी अपील है कि लद्दाख के मुद्दों पर संवेदनशील बने और युवाओं की आवाज़ सुने.”

यह घटनाक्रम तब सामने आया है जब लद्दाख में बड़े पैमाने पर विरोध प्रदर्शन हिंसक हो गए और प्रदर्शनकारियों ने सरकारी दफ्तरों और लेह स्थित बीजेपी कार्यालय को निशाना बनाया.

गौरतलब है कि लद्दाख के लोग लंबे समय से केंद्र शासित प्रदेश को संविधान की छठी अनुसूची में शामिल करने और राज्य का दर्जा बहाल करने की मांग कर रहे हैं. संविधान की छठी अनुसूची में अनुच्छेद 244(2) और 275(1) शामिल हैं, जिनमें असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम के जनजातीय क्षेत्रों के प्रशासन से जुड़े प्रावधान हैं.

इसके साथ ही, अनुच्छेद 370 हटाए जाने के बाद से लद्दाख और जम्मू-कश्मीर को राज्य का दर्जा देने की मांग लगातार उठ रही है.


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