नई दिल्ली: इंदौर के सबसे बड़े वस्त्र बाज़ार, सीतलमाता मार्केट, जिसमें करीब एक हज़ार दुकानें हैं वहां तनाव का माहौल है. भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के नेता और इंदौर-4 विधायक मलिनी गौर के बेटे, अक्लव्य सिंह गौर ने व्यापारियों को 25 सितंबर तक सभी मुस्लिम सेल्समेन की सेवाएं समाप्त करने का आदेश दिया है.
उनके अनुयायियों द्वारा ‘विधायक पुत्र’ कहलाए जाने वाले अक्लव्य सिंह गौर चाहते हैं कि अगले दो महीने में सभी मुस्लिम व्यापारी किराए की दुकानें खाली कर दें.
अक्लव्य ने यह निर्देश सितंबर के पहले हफ्ते में सीतलमाता बाज़ार व्यापारी संघ की बैठक में दिए, यह तर्क देते हुए कि क्षेत्र में ‘लव जिहाद’ के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है.
इस बैठक में बाज़ार संघ की अध्यक्ष हेमा पंजवानी और महासचिव अतुल नीमा के अलावा वार्ड काउंसलर के पति राम बाबू राठौर भी मौजूद थे.
पंजवानी ने दिप्रिंट को बताया, “मुस्लिम सेल्समेन सड़क पर खड़े होकर ग्राहकों को बुलाते और गुजरती महिलाओं को घूरते थे. अब अक्लव्य भैया ने इन लोगों पर कड़ी कार्रवाई की है. पहले किसी ने भी अपने दुकानें मुस्लिमों को किराए पर नहीं देनी चाहिए थीं, अब सभी को दुकानें खाली करनी होंगी.”
पंजवानी ने यह भी कहा कि वे पूरे शहर के बाज़ारों में यह कार्रवाई करना चाहते हैं, जब इसे सीतलमाता मार्केट में सफलतापूर्वक लागू कर दिया जाएगा.
बाज़ार संघ के वरिष्ठ सदस्य पप्पू महेश्वरी ने दिप्रिंट से कहा, “भैया ने हमसे विनम्रतापूर्वक दुकानदारों से बात करने और उन्हें मुस्लिम सेल्समेन हटाने के लिए कहने का अनुरोध किया है.”
दिप्रिंट ने अक्लव्य से फोन पर संपर्क किया, लेकिन उन्होंने औपचारिक जवाब देने से इंकार कर दिया. हालांकि, उन्होंने यह पुष्टि ज़रूर की कि उन्होंने ऐसा निर्देश दिया था.
आधार की जांच
बाज़ार संघ के सदस्य और अक्लव्य के करीबी सहयोगी अनिल शर्मा ने कहा कि वे सभी दुकानों के कर्मचारियों के आधार की जांच करेंगे और उनके नाम और पते नोट करेंगे.
शर्मा ने कहा, “दूसरा कदम प्रत्येक मुस्लिम कर्मचारी की ‘लव जिहाद’ मामलों में भागीदारी की जांच करना होगा.” उन्होंने कहा कि इस अभियान का नाम “बाज़ार का शुद्धिकरण” इसलिए रखा गया है क्योंकि इसका एजेंडा उन लोगों से बाज़ार को “साफ” करना है जो ‘लव जिहाद’ मामलों में शामिल हैं.
"डाइरेक्ट एक्शन डे" हिन्दुस्तान के इतिहास का वह खूनी अध्याय है जिसका एक एक शब्द निरपराध हिन्दुओं के खून की स्याही से लिखा गया है। बंगाल में हुए इस नरसंहार के कड़वे सच को कहानियों में भी जगह नहीं मिली।
'हिन्द रक्षक संगठन राष्ट्र, धर्म और संस्कृति के संरक्षण में हिन्दू अस्मिता और… pic.twitter.com/tyoklVEEJ0
— Aklavya Laxman Singh Gaur (@aklavyagaur) September 17, 2025
यह समूह बजरंग दल और विश्व हिंदू परिषद (वीएचपी) के साथ कई गतिविधियों का समन्वय करता है, जैसे कि फिल्में ‘केरल स्टोरी’ और ‘द बंगाल फाइल्स’ दिखाना.
हालांकि, अक्लव्य चुने हुए प्रतिनिधि नहीं हैं, उनके शब्द बाज़ार में असर रखते हैं. वे हिंद रक्षक संगठन के संयोजक हैं.
महेश्वरी ने कहा, “हम यह संदेश नहीं देना चाहते कि इस बाज़ार में लव जिहाद फैला हुआ है. इसलिए मुस्लिम कर्मचारियों को निकालना और अधिक हिंदू कर्मचारियों को रोज़गार देना बेहतर है.”
जब उनसे पूछा गया कि अगर दुकानदार 25 सितंबर की समयसीमा तक आदेश लागू नहीं करते तो क्या करेंगे, महेश्वरी ने कहा, “हमें पता है कि कुछ दुकानदार अपने सेल्समेन को नहीं निकालना चाहते, हम उनकी चिंताओं को सुनेंगे और उनसे बात करेंगे, लेकिन आदेश का पालन करना होगा, अक्लव्य भैया ने यह हमारे भले के लिए प्रस्तावित किया है.”
बाज़ार संघ के महासचिव अतुल नीमा ने आरोप लगाया कि मुस्लिम सेल्समेन हिंदू महिला ग्राहकों से “नवीनतम डिज़ाइन” भेजने के बहाने नंबर बदलते हैं और फिर अजीब समय पर मैसेज करना शुरू कर देते हैं.
28 साल से बाज़ार में काम करने वाले मोहम्मद शाहिद ने कहा कि फोन नंबर दुकानदार लेते हैं. “हम कोई नंबर नहीं लेते, सेठ और ग्राहक ज़रूरत पड़ने पर नंबर बदलते हैं.”
उन्होंने कहा, “मेरी दुकान में केवल सेठ हिंदू हैं, सभी तीन सेल्समेन मुस्लिम हैं. वह हमें निकालना नहीं चाहते, लेकिन कहते हैं कि दबाव के बीच उनके हाथ बंधे हैं.”
अतिरिक्त पुलिस आयुक्त (कानून और व्यवस्था) अमित सिंह ने कहा, “अगर कोई शिकायत दर्ज होती है, तो हम कानून और संविधान के अनुसार उचित कार्रवाई करेंगे.”
‘लव जिहाद’
अक्लव्य के आदेश की वजह शहर में एक कथित ‘लव जिहाद’ मामला माना जा रहा है, जिसमें एक कांग्रेस नेता शामिल थे. कांग्रेस पार्षद अनवर कादरी पर जून में आरोप लगाया गया कि उन्होंने दो मुस्लिम पुरुषों को हिंदू महिलाओं से दोस्ती और विवाह करने के लिए पैसे दिए.
पुलिस के अनुसार, दोनों पुरुषों साहिल शेख और अल्ताफ शाह ने सेक्सुअल असॉल्ट मामलों की पूछताछ के दौरान कादरी का नाम लिया. यह मामला इंदौर में सुर्खियों में आया और कई लोगों का गुस्सा बढ़ा, जिनमें इंदौर बीजेपी अध्यक्ष सुमित मिश्रा भी शामिल हैं, जिन्होंने आरोप लगाया कि कादरी ‘लव जिहाद’ को फंडिंग कर रहे हैं.
अक्लव्य के आदेश को लेकर मुस्लिम कर्मचारियों में डर और चिंता है. वे बैठकें बुला रहे हैं, विचार-विमर्श कर रहे हैं और हालात से निकलने का रास्ता ढूंढ रहे हैं. कुछ मुस्लिम सेल्समेन भी इस मुद्दे पर भीम आर्मी आज़ाद समाज पार्टी के राज्य अध्यक्ष अबीद हुसैन बरकाती से मिले.
हुसैन ने कहा, “हम पहले व्यापारियों के साथ बैठकर अपनी स्थिति समझाने की कोशिश करेंगे. हम लव जिहाद का समर्थन नहीं करते, और अगर कोई ‘लव जिहाद’ में दोषी पाया गया, तो हम उसका बहिष्कार करेंगे.”
उन्होंने कहा कि अगर चर्चा से सही फैसला नहीं निकला, तो वे कानूनी रास्ता अपनाएंगे.
हुसैन ने कहा, “यह आदेश भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14, 15, 16, 25 और 29 का उल्लंघन करता है. हम सिविल कोर्ट जाएंगे, ज़रूरत पड़ी तो हाई कोर्ट तक जाएंगे.”
अनुच्छेद 14 और 15 कानून के सामने समानता सुनिश्चित करते हैं और धर्म, जाति, लिंग, या जन्म स्थान के आधार पर भेदभाव को रोकते हैं. अनुच्छेद 16 सार्वजनिक रोज़गार में समान अवसर की गारंटी देता है. अनुच्छेद 25 धर्म की स्वतंत्रता की रक्षा करता है, जबकि अनुच्छेद 29 अल्पसंख्यकों के सांस्कृतिक और शैक्षिक अधिकारों की रक्षा करता है.
कुछ दुकानदार गुप्त बैठकें कर रहे हैं क्योंकि वे त्योहार के बीच अपने कर्मचारियों को नहीं खोना चाहते. ग्राहकों में से एक बड़ा हिस्सा मुस्लिम महिलाएं हैं और व्यापारियों को डर है कि यह कदम उन्हें नाराज़ कर देगा.
कांग्रेस शहर अध्यक्ष चिंतु चौकसे ने इस आदेश को लेकर इंदौर के पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा है. चौकसे ने कहा, “अगर आदेश के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की गई, तो हम पूरे शहर में विरोध प्रदर्शन करेंगे. हम कार्यकर्ताओं, पार्टी के लोगों और शहर के कई सम्मानित लोगों को इस सांप्रदायिक आदेश के खिलाफ विरोध के लिए बुलाएंगे.”
(इस रिपोर्ट को अंग्रेज़ी में पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें)
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